नई दिल्ली । सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Khadge) को अध्यक्ष पद सौंपने के बाद (After Handing Over the Presidency) बधाई दी (Congratulated) और कहा, अब मैं राहत महसूस कर रही हूं (I am Relieved Now)। सोनिया गांधी ने कहा, कांग्रेस के नए अध्यक्ष खड़गे जी व अन्य नेताओं को धन्यवाद करती हूं। मैं प्रसन्न हूं, खड़गे जी अनुभवी और धरती से जुड़े नेता हैं। अपनी लगन से वह इस ऊंचाई तक पहुंचे हैं, उनसे पार्टी को प्रेरणा मिलेगी और उनके नेतृत्व में कांग्रेस मजबूत होगी।
मैं इसलिए राहत महसूस कर रही हूं, मैं इस बात को स्पष्ट करना चाहती हूं कि आपने इतने सालों से मुझे जो प्यार और सम्मान दिया है, उसका अहसास मुझे जीवन की आखिरी सांस तक रहेगा, लेकिन यह सम्मान एक बड़ी जिम्मेदारी भी थी। उन्होंने आगे कहा, परिवर्तन संसार का नियम है। ये जीवन के हर क्षेत्र में होता है। आज हमारी पार्टी के सामने बहुत सारी चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती देश के सामने लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा बना है, उसका मुकाबला कैसे करें? कांग्रेस के सामने पहले भी बड़े संकट आए हैं, लेकिन हमने हार नहीं मानी। मैं मलिकार्जुन खड़गे का स्वागत करती हूं।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने 26 अक्टूबर, 2022 को लगभग ढाई दशकों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले गैर-गांधी अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाल लिया। पद संभालने से पहले खड़गे ने राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, वहीं खड़गे की ताजपोशी पर पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने कहा कि खड़गे की नीतियां पंडित जवाहर लाल नेहरू की नीतियां होगी। लोकतंत्र और समाजवाद को हमें मजबूत करना, जाति प्रथा को खत्म करना है। इसमें कुछ नई भी नीतियां शामिल हो सकती हैं। पिछले हफ्ते हुए कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में खड़गे ने शशि थरूर को भारी अंतर से हराकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमाया था। वह कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी की जगह लेंगे।
इससे पहले कांग्रेस नेता अजय माकन ने सभा को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी के समर्थन में एक प्रस्ताव भी पास किया। पार्टी के सभी मौजूद वरिष्ठ नेताओं ने खड़े होकर प्रस्ताव का अनुमोदन किया। उन्होंने कहा, इतनी सारी बातें और इतने सारे कार्य सोनिया जी ने पिछले 25 वर्षों में देश के लिए और कांग्रेस के लिए किए, लेकिन फिर भी हमने कोशिश की है, इस प्रस्ताव के अंदर कुछ भावनाएं, जो कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की, नेताओं की, देश के लोगों की हैं, वो इसमें डाल सकें। उन्होंने पंचमढ़ी से उदयपुर तक बीते 25 सालों के दरमियान इतिहास के सभी जरुरी अफसरों को संगठन को पुनर्विचार और रणनीति निर्माण के लिए प्रेरित और बाध्य किया। सबसे शक्तिशाली विचार जो उदयपुर शिविर में उभरा, वह कन्याकुमारी से कश्मीर तक ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का था।
उन्होंने जनहित एवं मूल्यों की रक्षा के लिए कभी भी सत्ता की इच्छा नहीं रखी। वो सत्ता में नहीं रहीं, लेकिन कांग्रेस अध्यक्षा के तौर पर उन्होंने देश की सरकार को जनता के हक में नए और ठोस अधिकार संबंधी कानून बनाने के लिए प्रेरित किया। सूचना का अधिकार अधिनियम, महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम, वन अधिकार अधिनियम, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, खाद्य सुरक्षा अधिनियम, भूमि-अर्जन, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्था संबंधी अधिनियम, उसी युग के उपहार हैं। उन्होंने आगे कहा, सोनिया जी ने आम सहमति और विकास के न्यूनतम साझा कार्यक्रम को एक राजनीतिक मूल्य में बदला और अपने अप्रतिम राजनीतिक कौशल से देश की जरुरतों के लिहाज से, भिन्न-भिन्न राजनैतिक सोच वाली पार्टियों के समूह और लोगों को एक मंच पर खड़ा कर दिया। यह प्रयोग जितना सफल साबित हुआ, उतना ही ऐतिहासिक महत्व का भी था।
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