नई दिल्ली (New Delhi) । पृथ्वी की स्व-स्वच्छता प्रक्रिया (self-cleaning process) के सबसे अहम घटक हाइड्रोक्साइड अणुओं (hydroxide molecules) को लेकर विज्ञानियों ने दावा किया है कि अब तक की धारणा के विपरीत ये अणु सूर्य के बिना अंधेरे में भी बनते हैं। पृथ्वी के वातावरण से प्रदूषकों (pollutants) को दूर करने में मददगार इन अणुओं को लेकर कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, इरविन में शोध किया गया।
शोधकर्ता प्रोफेसर सेर्गेय नीजकोरोदोव ने बताया कि वातावरण का मजबूत विद्युत क्षेत्र हवा (electric field wind) में मौजूद जल कणों और इसके चारों तरफ मौजूद हवा से हाइड्रोक्साइड अणुओं का निर्माण करता है। नीजकोरोदोव कहते हैं, वातावरण में मौजूद हाइड्रोकार्बन व प्रदूषकों को ऑक्सीकरण के जरिये ही दूर किया जा सकता है।
सके लिए हाइड्रोक्साइड जरूरी है, वरना ये हमेशा के लिए वातावरण में बने रहेंगे। इस शोध से जुड़े फ्रांस में ल्योन विश्वविद्यालय के एक वायुमंडलीय रसायनशास्त्री क्रिश्चियन जॉर्ज कहते हैं, हाइड्रोक्साइड उन प्रतिक्रियाओं को शुरू करता है, जो वायु प्रदूषकों को तोड़ते हैं और सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रिक ऑक्साइड जैसे हानिकारक रसायनों को वातावरण से हटाने में मदद करते हैं, जो की असल में जहरीली गैसें हैं।
प्रदूषण को कम करने में मिलती है मदद
नेशनल एकेडमी साइंस जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक यह अध्ययन हाइड्रोक्साइड के स्रोतों को लेकर हमारी समझ को बढ़ाता है, जिससे वायुमंडलीय प्रदूषण को कम करने में मदद मिलती है। नीजकोरोदोव कहते हैं, पारंपरिक ज्ञान के मुताबिक हाइड्रोक्साइड गठन के लिए उत्प्रेरक के रूप में सूर्य के प्रकाश या धातुओं की जरूरत होती है लेकिन ऐसा नहीं है।
निष्कर्ष से यह मिलेगी मदद
असल में इन दोनों में किसी की भी जरूरत नहीं है। शुद्ध पानी में ही बूंदों की सतह पर विशेष परिस्थितियों से हाइड्रोक्साइड बनाया जा सकता है। नीजकोरोदोव की टीम ने अंधेरे में हाइड्रोक्साइड का अध्ययन किया और पाया कि अंधेरे में भी पर्याप्त हाइड्रोक्साइड का निर्माण होता है। शोधकर्ताओं (researchers) को उम्मीद है कि ये निष्कर्ष उनको सटीक वायु प्रदूषण कंप्यूटर मॉडल बनाने में मदद करेंगे।
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