नई दिल्ली। हैदरपोरा मुठभेड़ (Hyderpora Encounter) में मारे गए आमिर मागरे (Aamir Magre) के पिता मोहम्मद लतीफ मागरे (Mohd Latif Magre) बेटे का शव (son’s body) हासिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गए हैं। उन्होंने सर्वोच्च अदालत में दी गई याचिका में बेटे का शव कब्र से निकालकर रस्मों के अनुसार सुपुर्द-ए-खाक करने की मांग की है। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सरकार को शव निकालने का आदेश दिया था, हालांकि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस पर रोक लगा दी थी। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए हामी भर दी है। अब 27 जून को मोहम्मद लतीफ मागरे की याचिका पर सुनवाई की जाएगी।
श्रीनगर के हैदरपोरा में 15 नवंबर 2021 को सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में चार आतंकियों को मार गिराने की बात कही थी। सभी के शवों को किसी अज्ञात जगह दफना दिया गया था। स्थानीय लोगों के भारी विरोध प्रदर्शन पर अल्ताफ अहमद भट और डॉ. मुदासिर गुल के शव कब्र से निकालकर परिवार को सौंपे गए थे। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश सीटी रवि कुमार और न्यायाधीश सुधांशु धुलिया ने याचिका पर कहा कि अदालत इस मामले में सुनवाई करेगी।
मोहम्मद मागरे के वकील आनंद ग्रोवर ने कहा कि उनके मुवक्किल ने जीवन भर सेना से सहयोग किया है। वे केवल अपने बेटे की अंतिम रस्में निभाने के लिए शव की मांग कर रहे हैं। ग्रोवर ने कहा कि इस मामले में जल्द से जल्द सुनवाई होनी चाहिए क्योंकि कब्र में शव की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। देरी होने पर शव को निकालना संभव नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि अदालत के कई फैसले उनके मुवक्किल का पक्ष मजबूत करते हैं। इन दलीलों ने अदालत ने मामले को सुनवाई के लिए 27 जून को लिस्ट कर दिया।
पुलिस ने चारों लोगों को बताया था आतंकी
उल्लेखनीय है कि 27 मई को हाईकोर्ट की एकल पीठ ने पिता को शव सौंपने के निर्देश दिए थे। साथ ही कहा था कि शव निकालने से जन स्वास्थ्य को खतरा हो तो मोहम्मद मागरे को अंतिम रस्में निभाने के लिए कब्रगाह ले जाया जाए। ऐसी सूरत में सरकार को एक पिता को बेटे की अंतिम रस्में नहीं निभाने देने पर पांच लाख का मुआवजा देना होगा। वहीं तीन जून को खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले पर रोक लगा दी। इसमें पुलिस ने मारे गए चारों को आतंकी करार दिया था, जबकि परिवार सदस्यों ने आतंकी होने से इनकार किया था।
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