डेस्क: हैदराबाद के पास 400 एकड़ में फैले कांचा गचीबावली जंगल की कटाई को लेकर पूरे भारत में चिंता बढ़ी हुई है और लोग इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं. तेलंगाना सरकार कांचा गचीबावली जंगल की जमीन को IT और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए इस्तेमाल करना चाहती है, लेकिन इसके लिए लाखों जानवरों के घरों और पर्यावरण को दांव पर लगाया जा रहा है.
इंडोनेशिया सरकार तेलंगाना से भी कई कदम आगे निकल गई है और दुनिया की सबसे बड़ी वन-कटाई परियोजना चला रही है. इंडोनेशिया गन्ने से बनने वाले बायोएथेनॉल, चावल और अन्य खाद्य फसलों के उत्पादन के लिए बेल्जियम के आकार के बराबर के जंगलों को साफ करने की योजना बना रहा है. जिसकी वजह से जंगलों में रहने वाले जानवरों और इसके मूलनिवासी समूहों को विस्थापित होना पड़ सकता है.
स्थानीय समुदायों का कहना है कि वे पहले से ही सरकार समर्थित इस परियोजना से नुकसान का सामना कर रहे हैं, वहीं पर्यावरण पर नजर रखने वाले एक्टिविस्ट इसको दुनिया में सबसे बड़ा नियोजित वन विनाश अभियान बता रहे हैं.
इंडोनेशिया में दुनिया का तीसरा सबसे बड़े वर्षावन है, जिसमें वन्य जीवन और पौधों की कई लुप्तप्राय प्रजातियां पाई जाती हैं. जिनमें ओरांगुटान, हाथी और विशाल वन फूल शामिल हैं. इनमें से कुछ प्रजातियां ऐसी हैं, जो कहीं और नहीं पाई जाती.
इंडोनेशिया दशकों से देश की खाद्य सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए खाद्य संपदा, विशाल बागानों का निर्माण कर रहा है, जिसमें अलग-अलग स्तर पर कामयाबी मिली है. इस अवधारणा को पूर्व राष्ट्रपति जोको विडोडो ने अपने 2014-2024 प्रशासन के दौरान पुनर्जीवित किया था.
इंडोनेशिया राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियान्टो ने ऐसी परियोजनाओं का विस्तार करते हुए बायोएथेनॉल के उत्पादन के लिए फसलों को भी इसमें शामिल किया है, ताकि इंडोनेशिया की अपनी ऊर्जा मिश्रण में सुधार लाने और ज्यादा नवीकरणीय तकनीक विकसित करने की महत्वाकांक्षा को पूरा किया जा सके.
प्रबोवो ने अक्टूबर 2024 में कहा था, “मुझे पूरा विश्वास है कि चार से पांच साल के भीतर हम खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता हासिल कर लेंगे. हमें ऊर्जा में आत्मनिर्भर होना चाहिए और हमारे पास इसे हासिल करने की क्षमता है.”
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved