नई दिल्ली: कर्नाटक हाईकोर्ट ने प्राइवेसी की अहमियत समझाते हुए एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि शादी के बाद पत्नी भी अपने पति के आधार की जानकारी हासिल नहीं कर सकती. सबकी अपनी प्राइवेसी होती है और इसका हनन नहीं किया जा सकता है.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी केवल शादी का हवाला देकर अपने हसबैंड के आधार कार्ड (UID) की जानकारी नहीं ले सकती हैं.
जस्टिस एस सुशील दत्त यादव और विजयकुमार ए पटेल की बेंच ने कहा कि शादी हो जाने से किसी की प्राइवेसी खत्म नहीं हो जाती. सभी को इसका पालन करना चाहिए और इसकी अहमियत को समझना चाहिए.
क्या है पूरा मामला?
हुबली की एक महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया. यह महिला अपने अलग हो चुके पति के आधार नंबर, इनरोलमेंट डिटेल्स और फोन नंबर का जानकारी हासिल करना चाहती थी. उसका कहना था कि उसका पति इस समय कहां रह रहा है, इसका कोई अता पता नहीं है. वह फैमिली कोर्ट के आदेश को उस तक नहीं पहुंचा पा रही है.
महिला इस डिटेल्स के लिए UIDAI के पास पहुंची थी और पूरे डिटेल्स की मांग की थी लेकिन यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने महिला का मांग को खारिज कर दिया है. UIDAI ने कहा कि इसके लिए हाईकोर्ट के आदेश की दरकार होगी. इसके बाद महिला ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
डिविजनल बेंच ने क्या कहा?
सुनवाई के दौरान डिविजनल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि किसी भी जानकारी के खुलासे से पहले दूसरे व्यक्ति को भी अपनी बात रखने का अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि दो लोगों की शादी किसी के प्राइवेसी को खत्म नहीं कर सकती है. हालांकि, डिविजनल बेंच बाद में इस मामले को सिंगल बेंच के पास भेज दिया. सिंगल बेंच ने आठ फरवरी 2023 को UIDAI को महिला के पति को नोटिस जारी करने का आदेश दिया. इसके साथ ही महिला के आवेदन को आरटीआई एक्ट के तहत कंसीडर करने के लिए कहा.
2005 में हुई थी दोनों की शादी
बता दें कि दोनों की शादी नवंबर 2005 में हुई थी और उनकी एक बेटी भी है. रिश्ते में खटास की वजह से पत्नी ने कानूनी कार्रवाई की शुरुआत की थी. फैमिली कोर्ट ने गुजारा भत्ता के रूप में पत्नी के लिए 10 हजार और बेटी के लिए 5 हजार रुपये अलग से दिए जाने की बात कही थी.
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