डेस्क: यमन (Yemen) में रह रहे पूर्व पति से अपनी दो नाबालिग बेटियों को खुद के संरक्षण (कस्टडी) में लेने की मांग कर रही छह बच्चों की मां की मदद करने में केंद्र सरकार (Central Government) ने असमर्थता जताई है. महिला ने बेटियों को अपने संरक्षण में लेने के लिए केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) में याचिका दायर की है. केंद्र सरकार ने कहा कि वह विदेशी अदालत में कानूनी कार्यवाही के लिए वित्तीय सहायता नहीं मुहैया करा सकती. केंद्र के इस रुख से श्रीलंकाई मूल के पति से बेटियों को वापस दिलाने की मांग कर रही महिला के प्रयास को तगड़ा झटका लगा है.
केंद्र सरकार ने कहा कि यमन में भारतीय दूतावास के पास उसके पति या उसकी बेटियों को अपनी निगरानी में लेने का अधिकार नहीं है. सरकार ने कहा कि वह महिला को बच्चों का संरक्षण देने वाली सऊदी अरब की अदालत के आदेश को भी वहां लागू नहीं कर सकती है. केंद्र ने केरल उच्च न्यायालय में महिला की याचिका के जवाब में बयान दाखिल करके अपने रुख को साफ किया. याचिका में केंद्र सरकार को उसे कानूनी सहायता समेत अन्य आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है, ताकि वह अपनी दो नाबालिग बेटियों को अपने संरक्षण में ले सके.
2006 में श्रीलंकाई नागरिक से की थी शादी
वकील जोस अब्राहम के माध्यम से दायर याचिका के मुताबिक महिला ने साल 2006 में श्रीलंकाई नागरिक से शादी की और दोनों के छह बच्चे हैं. शादी के बाद दोनों सऊदी अरब में रह रहे थे. साल 2017 में पति ने पत्नी और उसके चार बच्चों को ‘जबरन’ भारत वापस भेज दिया, लेकिन दो बेटियों को अपने पास रखा. तब इन दोनों की उम्र छह और नौ साल थी. महिला को कई महीने बाद पता चला कि उसने एक यमनी महिला से शादी कर ली है और दोनों बेटियों को अपने साथ लेकर यमन चला गया है.
रियाद शरिया अदालत में मुकदमा दायर किया
इसके बाद महिला ने साल 2019 में अपनी बेटियों को अपने अधिकार में लेने के लिए रियाद शरिया अदालत में एक मुकदमा दायर किया. अदालत ने एक पक्षीय आदेश देकर महिला के पक्ष में फैसला सुनाया. याचिका में बताया गया कि इस आदेश को क्रियान्वित नहीं किया जा सका क्योंकि सऊदी पुलिस के अनुसार उसके पति को यमन से वापस लाने का कोई रास्ता नहीं था. महिला ने बताया कि केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने और सऊदी अदालत के आदेश के अनुरूप बेटियों को वापस लाने के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए अनुरोध किया गया था. महिला ने बताया कि सरकार की ओर से इस दिशा में कुछ नहीं किए जाने पर उसे अदालत का दरवाजा खटखटाने लिए मजबूर होना पड़ा है.
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