इंदौर। पिछले दिनों शासन (Governance) ने दो नए अधिकारियों (officers) को इंदौर निगम (corporation) में पदस्थ किया। पति-पत्नी (husband and wife) की इस जोड़ी ने कल अपना कार्यभार संभाला, जिसमें स्मार्ट सिटी के नए सीईओ ऋषभ गुप्ता ( CEO Rishabh Gupta) और उनकी पत्नी भव्या मित्तल (Bhavya Mittal) को निगमायुक्त (Municipal Commissioner) ने राजस्व और ई-नगर पालिका (E-Municipality) का जिम्मा सौंपा है। अभी नगर निगम (Municipal Corporation) का राजस्व गड़बड़ाया है, जिसके चलते उसकी पूरी जिम्मेदारी नवागत महिला अफसर को सौंपी गई है। सम्पत्ति कर, लीज, मार्केट, लाइसेंस से लेकर सम्पत्तियों के सर्वे, जल कर की वसूली सख्ती से करवाई जाना है। इंदौर कलेक्ट्र्ेट ( Indore Collectorate) में भी भव्या मित्तल (Bhavya Mittal) पदस्थ रह चुकी हैं और इंदौर निगम आने से पहले वे सीईओ जिला पंचायत नीमच के पद पर कार्यरत थीं।
पिछले दिनों निगम (corporation) में पदस्थ रहे आईएएस अधिकारी एस. कृष्ण चैतन्य (S. Krishna Chaitanya) को कलेक्टर बनाकर भेजा गया। हालांकि उन्होंने राजस्व में अच्छा काम भी किया और कोविड काल के दौरान भी 540 करोड़ रुपए से ज्यादा की राजस्व वसूली भी की। पिछले दिनों हुए तबादला आदेशों में आईएएस अधिकारी ऋषभ गुप्ता ( Rishabh Gupta) को इंदौर स्मार्ट सिटी डवलपमेंट कम्पनी लिमिटेड का नया सीईओ बनाकर भेजा गया। कल उन्होंने स्मार्ट सिटी दफ्तर नेहरू पार्क पहुंचकर अपना कार्यभार ग्रहण किया और चल रहे प्रोजेक्टों की जानकारी ली और अलग-अलग निगम (corporation) अधिकारियों (officers) से चर्चा भी की। अभी उन्हें स्मार्ट सिटी के चल रहे प्रोजेक्टों की मैदानी जानकारी भी लेना है, जिसका वे कल दौरा भी करेंगे। वहीं उनकी पत्नी श्रीमती भव्या मित्तल (Bhavya Mittal) को निगमायुक्त (Municipal Commissioner) ने महत्वपूर्ण राजस्व विभाग के साथ ई-नगर पालिका की जिम्मेदारी भी दी है। इसके अलावा सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों और इन विभागों की अपीलीय अधिकारी की जिम्मेदारी भी वे संभालेंगी। इसके साथ ही अतिरिक्त प्रशासकीय, वित्तीय स्वीकृति और आवंटित विभागों की कार्रवाई का जिम्मा भी रहेगा। राजस्व विभाग की सम्पूर्ण जिम्मेदारी में सम्पत्ति कर, लीज, निगम (corporation) के मार्केट, व्यापारिक लाइसेंस, सम्पत्तियों का सर्वे, उनका डाटा तैयार करने के अलावा जलकर वसूली भी शामिल रहेगी। उल्लेखनीय है कि कोरोना के चलते नगर निगम (corporation) के राजस्व में भी कमी आई है और शासन (Governance) स्तर से बकाया राशि भी निगम को हासिल नहीं हो पा रही है।
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