काबुल । युद्ध और हिंसा के साए में अफगानिस्तान के बच्चों के सामने इन दिनों भूख एक बड़े संकट की तरह मुंह बाये खड़ा है। लंबे समय से हिंसाग्रस्त अफगानिस्तान में एक करोड़ से अधिक बच्चे बहुत ही खराब स्थिति में हैं। इन बच्चों के लिए मूलभूत आवश्यकताएं तो बाद की बात है खाने की समस्या का तुरंत समाधान आवश्यक है। यह समस्या 2021 में भी बने रहने की आशंका है। इन जरूरतों को पूरा करने के लिए अरबों डालर मदद की जरूरत पड़ेगी। यह आकलन अफगानिस्तान में काम करने वाले एक मानवाधिकार संगठन ‘सेव द चिल्ड्रन’ का है।
संगठन के कंट्री डायरेक्टर क्रिस न्यामांडी के अनुसार युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में एक करोड़ अस्सी लाख अफगान नागरिकों को खाने की समस्या है। इनमें से नब्बे लाख से ज्यादा बच्चे हैं। संगठन का मानना है कि 2021 में बच्चों को भोजन उपलब्ध कराने में ही लगभग तीन सौ करोड़ डालर की मदद की जरूरत होगी। हिंसाग्रस्त क्षेत्र में बच्चों की हालत पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
लंदन की संगठन के रिपोर्ट में एक 10 वर्षीय बच्ची ब्रिश्ना का जिक्र है जो पूर्वी नांगरहार प्रांत की रहने वाली है। उसने बताया कि उनका परिवार हिंसा के कारण अपना घर छोड़ दूसरे जिले में रहने को मजबूूर है। उसने बताया,’जिंदगी काफी मुश्किल हो गई है क्योंकि एकमात्र मेरे पिताजी कमाने वाले हैं और अभी बीमार हैं।’ ब्रिश्ना ने बताया कि सही तरीके से खाना खाए लंबा समय बीत गया।
कोरोना महामारी ने बच्चों की स्थिति को और अधिक दयनीय बना दिया है। यहां के लोगों का मानना है कि सरकार के भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था की खराब हालत ने भी इन दिक्कतों को और बढ़ाया है। सेव द चिल्ड्रन की दिसंबर की रिपोर्ट के अनुसार तीन लाख बच्चे सर्दीके मौसम में आवश्यक गर्म कपड़ों से भी वंचित हैं और इसलिए बीमार हो रहे हैं। आर्गेनाइजेशन की ओर से अफगानिस्तान के 34 में से 12 प्रांतों के 1 लाख परिवारों को जाड़े में राहत के लिए मदद दी गई। इसके तहत इन्हें ईंधन और हीटर, कंबल, गर्म कपड़े जैसे कोट, मोजे, जूते और टोपी दी गई है।
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