कानपुर। पूरे देश भर में कोरोना संक्रमण का कहर लगातार जारी है। रिकॉर्ड मामलों और मौतों से पूरा देश हिल गया है। यूपी का हाल भी बेहाल है। कानपुर में संक्रमण की रफ्तार भले धीमी हो गई हो, लेकिन मौत का आंकड़ा अभी भी रुकने का नाम नहीं ले रहा है। श्मशान घाट और विद्युत शवदाह केंद्र पर अंतिम संस्कार के लिए लोगों जगह नहीं मिल रही है। कानपुर के शिवराजपुर खेरेश्वर घाट का भी यही हाल है। खेरेश्वर घाट पर भी सैकड़ों लाशें दफना दी गई हैं। बताया जा रहा है कि लकड़ी की कमी होने के चलते और महंगी लकड़ी होने की वजह से ग्रामीणों ने शव को दफना दिया है।
कदम-कदम पर लाशें, पैर रखने की जगह नहीं
ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोरोना काल में सैकड़ों मौतें हुईं। शव गंगा में दफना दिए गए लेकिन पुलिस प्रशासन को भनक तक नहीं लगी। गुरुवार को जब भनक लगी तो पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। हर दो-तीन फीट की दूरी पर एक शव दफनाया गया। कहीं-कहीं तो पैर रखने तक की जगह नहीं थी।
गांव में भी बरपा कहर
अप्रैल महीने में शहर में रोजाना सैकड़ों शवों का अंतिम संस्कार किया जाता था। गंगा में शव मिलने से साफ हो गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजाना कई लोग मरते रहे हैं। मौतें कैसे हुईं, यह तो स्पष्ट नहीं है, लेकिन आशंका है कि ये भी कोरोना संक्रमित या कोरोना जैसे लक्षणों वाले हो सकते हैं।
अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं, तो शव दफनाए
ग्रामीणों ने बताया कि घाट पर लकड़ी आदि की व्यवस्था नहीं है। जहां देते भी हैं, बहुत महंगी देते हैं। एक शव के अंतिम संस्कार में पांच से सात हजार रुपये खर्च हो जाते हैं। मजबूर और गरीबों के लिए ये रकम बड़ी है। इसलिए लोगों ने शव दफनाने शुरू कर दिए। पिछले एक महीने से शवों की संख्या बढ़ गई है। ग्रामीणों के मुताबिक सैकड़ों शव यहां दफनाए गए हैं। बहुत से शव पानी के बहाव में बह गए।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved