तुलसी के मंत्री पद का हरण या एक दिन का ग्रहण
तुलसी सिलावट के पीछे भी कुछ न कुछ लगा रहता है। अब नया मुद्दा बिलकुल अलग है। कानून-कायदे के मुताबिक बिना विधायक रहते आप 6 माह से ज्यादा मंत्री नहीं रह सकते। सितंबर में सिलावट यह अवधि पूर्ण कर रहे हैं। इसके बाद उन्हें मंत्री पद छोडऩा पड़ेगा। मंत्री रहने का विकल्प एक ही है और वह यह कि 1 दिन के लिए मंत्री पद से इस्तीफा दें और अगले दिन फिर शपथ हो जाए, लेकिन ऐसा अभी संभव होता दिख नहीं रहा है। ऐसे में बिना मंत्री पद के ही चुनाव लडऩा पड़ सकता है और यह घाटे का सौदा रहेगा। अब सिलावट ज्योतिरादित्य सिंधिया के नंबर 1 सिपहसालार हैं, ऐसी स्थिति में जितना सिलावट सोच रहे हैं उससे ज्यादा सिंधिया के दिमाग में होगा। देखते हैं क्या होता है। फिलहाल तो इस संवैधानिक प्रावधान ने सिलावट की नींद उड़ा रखी है।
हुए खाक या इत्तेफाक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की डिक्शनरी का एक शब्द अपेक्षित इन दिनों उमेश शर्मा के लिए बहुत भारी साबित हो रहा है। गौरव रणदिवे के भाजपा का नगर अध्यक्ष बनने के बाद जो समीकरण बने हैं उसमें शर्मा अनपेक्षित हो गए। पिछले कुछ दिनों में भाजपा कार्यालय में हुई कुछ बैठकों और आयोजनों में शर्मा की गैर मौजूदगी रही। यह गैरमौजूदगी चर्चा का विषय भी बनी और इसे रणदिवे के नगर अध्यक्ष बनने के बाद के घटनाक्रम से जोडक़र देखा जाने लगा। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा उछला और नई बहस छिड़ गई। आखिरकार शर्मा को कहना पड़ा कि यह गैरमौजूदगी अपेक्षित नहीं होने के कारण रही। देखते हैं यह सिलसिला जारी रहता है या महज इत्तेफाक है।
कलेक्टर की सीढ़ी
रोहन सक्सेना कलेक्टर मनीष सिंह के इंदौर में सबसे पसंदीदा अफसर हैं। उनकी इंदौर में दोबारा पदस्थापना भी कलेक्टर के कारण ही हुई है। अपने पसंदीदा अफसर को हमेशा अच्छे पद पर देखना सब चाहते हैं। एकेवीएन इंदौर के एमडी पद की दौड़ में अनेक अफसर शामिल हैं, पर आईएएस विजय दत्ता, राप्रसे के अफसर डॉ. वरद मूर्ति मिश्रा केदारसिंह व रजनीश कसेरा के बाद इस सूची में ताजा नाम जुड़ा है जिला पंचायत सीईओ रोहन सक्सेना का। सक्सेना के गुना कनेक्शन के चलते उच्च स्तर से उनका नाम आगे बढ़ाया गया है। मामला मुख्य सचिव इकबालसिंह बैंस के कारण अटका हुआ है। कलेक्टर को बैंस का प्रिय पात्र माना जाता है और यदि सिंह की मदद मिल गई तो फिर सक्सेना का दौड़ में नंबर 1 रहना तय है।
निशाने पर आईजी
इंदौर के आईजी पद के एक दावेदार जयदीप प्रसाद के केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद अब सबकी निगाहें राकेश गुप्ता पर हैं। यदि वर्तमान आईजी विवेक शर्मा ने ठीक से लामबंदी नहीं की तो इंदौर में एएसपी, डीआईजी के रूप में लंबी पारी खेल चुके गुप्ता उपचुनाव के बाद यहां मोर्चा संभाल सकते हैं। संघ में अपने मजबूत नेटवर्क के कारण पिछले 15 साल में हमेशा अहम भूमिका में रहे गुप्ता की गिनती उन अफसरों में होती है जो भले ही देरी से गोली चलाते हैं, पर उनका निशाना हमेशा सधा हुआ होता है। देखते हैं इस बार निशाना सही लगता है या नहीं।
धूपर का परिवारवाद
मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन पर सिंधिया परिवार के दबदबे की बातों अकसर उठती हैं, लेकिन अब मध्यप्रदेश टेनिस एसोसिएशन पर अनिल धूपर का दबदबा भी दिखने लगा है। पिछले 20 सालों में जिसे धूपर ने चाहा वही उनके अलावा एसोसिएशन का अध्यक्ष या सचिव बना। इस बार की एसोसिएशन की कार्यकारिणी में पदाधिकारी के रूप में तो धूपर हैं ही, उनके भाई अतुल और बेटे अर्जुन भी कार्यकारिणी में हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष तो दोपहर के अजीज मित्र अनिल महाजन हैं ही।
चाहत की नजाकत
राजेंद्रसिंह सेंगर निगम के लिए कोई नया नाम नहीं हैं। वे यहां कुछ साल पहले उपायुक्त रह चुके हैं, लेकिन इन दिनों उनका अलग ही जलजला है। सेंगर नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्रसिंह के खास हैं और इन दिनों उनके ओएसडी भी। अब नगरीय प्रशासन विभाग और खासकर इंदौर नगर निगम के अपने पुराने अनुभव का लाभ सेंगर अपने बॉस को भी दिलवा रहे हैं। वक्त की नजाकत को भांपने वाले निगम के अफसरों की आमद रफ्त सेंगर के यहां शुरू हो चुकी है। निगम में हाल ही में हुए बदलाव में इसकी झलक भी देखी जा सकती है।
पंडितजी की लैंडिंग
जब दिग्विजयसिंह मुख्यमंत्री थे और इंदौर आते थे, तब विमानतल पर कृपाशंकर शुक्ला के पहुंचने का अपना एक अलग अंदाज होता था। यह माना जाता था कि पंडितजी आ गए हैं, मतलब सीएम का प्लेन लैंड करने ही वाला है। पिछले दिनों कांग्रेस के नेता डीआईजी को ज्ञापन देने रानीसराय पहुंचे। वह पोर्च में डीआईजी का इंतजार कर रहे थे, तभी एक कार वहां आकर रुकी तो सब चौंक पड़े। देखा तो पता चला कि पंडितजी आए हैं। उन्हें इस अदा में देखकर कांग्रेसियों को इंदौर विमानतल के पुराने टर्मिनल भवन के पोर्च की याद ताजा हो गई। पंडितजी इन दिनों अस्वस्थ हैं और ज्यादा पैदल चल नहीं पाते, इसलिए कार डीआईजी ऑफिस के पोर्च तक पहुंच गई।
और अंत में
इनोवा वाले टीआई…इन्दौर के 30 से अधिक टीआई पुरानी सरकारी जीप में ही अपनी ड्यूटी बजा रहे हैं, लेकिन लसूडिय़ा टीआई इंद्रमणि पटेल इससे हटकर हैं। कुछ समय पहले ही बाणगंगा से लसूडिय़ा पहुंचे पटेल इन दिनों अपनी इनोवा पर बहुरंगी बत्ती कसवाकर घूमते हैं। पूरे क्षेत्र में टीआई की इनोवा चर्चा में है और कई बार तो इस इनोवा को देख पुलिस के अफसर भी चौंक जाते हैं, क्योंकि इंदौर के डीआईजी की गाड़ी भी इनोवा ही है। मतलब गाड़ी के मामले में तो दोनों बराबर।
अरविंद तिवारी
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