– पीड़ित यवती ने आरोपितों को पहचानने से किया इनकार; सीआईडी भी पेश नहीं कर सकी सबूत
भोपाल (Bhopal)। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh ) की राजधानी भोपाल (Capital Bhopal) में साल 2019 के बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले (Well-known honey trap cases) से जुड़े मानव तस्करी के प्रकरण के तीन आरोपित बरी हो गए। पीड़ित महिला ने कोर्ट में तीनों आरोपित आरती दयाल, श्वेता जैन और अभिषेक सिंह ठाकुर को पहचानने से इनकार कर दिया, वहीं, सीआईडी भी अदालत में इस मामले में कोई सबूत पेश नहीं कर सकी।
दशम अपर सत्र न्यायाधीश पल्लवी द्विवेदी की अदालत ने सोमवार को सुनवाई के दौरान मानव तस्करी के मामले में आरोपित श्वेता विजय जैन, आरती दयाल और अभिषेक को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। न्यायालय ने अपने फैसले में माना कि मामले में ऐसा कुछ नहीं है, जिसके आधार पर आरोपितों को दोषी ठहराया जा सके। अभियोजन पक्ष आरोपितों के खिलाफ मामला साबित करने में विफल रहा है।
गौरतलब है कि सीआईडी ने बहुचर्चित हनीट्रैप मामले में वर्ष 2019 में भारतीय दंड विधान की धारा 370, 370 ए और 120बी में प्रकरण पंजीबद्ध किया था। इन पर मार्च-अप्रैल 2019 में राजगढ़ और भोपाल में मानव तस्करी और यौन शोषण के आरोप थे।
आरोपित अभिषेक के वकील तारिक सिद्दीकी ने बताया कि अदालत में अभियोजन पक्ष इस संबंध में कोई भी सबूत नहीं दे सका कि हनी ट्रैप मामले की जांच के दौरान स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को एक युवती की खरीद फरोख्त की जानकारी मिली थी। इसके बाद सीआइडी भोपाल ने पीड़िता की शिकायत पर मानव तस्करी का एक अन्य केस दर्ज किया था। 27 दिसंबर 2019 को तीनों आरोपित अभिषेक, आरती और श्वेता के खिलाफ चालान पेश किया गया था और पीड़िता के साथ 17 गवाहों की सूची पेश की गई थी। पीड़िता ने यह भी कहा है कि उसने अपने पिता को उक्त तथ्यों और परिस्थितियों के बारे में सूचित नहीं किया था। पीड़िता की गवाही असंगत और परस्पर विरोधाभासी है।
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