बीजिंग। चीन (China) में शून्य कोविड नीति (zero covid policy) के कारण शंघाई (Shanghai) के निवासियों को अभूतपूर्व उपेक्षा और दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ रहा है। सोशल मीडिया पर लीक हुए वीडियो (videos leaked) में यहां मानवाधिकारों के स्पष्ट उल्लंघन की पुष्टि की जा रही है। अमेरिकी पत्रिका नेशनल रिव्यू की रिपोर्ट में बताया गया है कि महामारी की रोकथाम के लिए चीन की व्यवस्था का क्रूर और अमानवीय पक्ष उजागर हुआ है।
लीक हुए वीडियो में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की व्यवस्था के तहत सफेद मेडिकल आइसोलेशन गाउन में लोगों को पीटते हुए, उन्हें ले जाते हुए, या दरवाजों को वेल्डिंग करते हुए और मेटल रॉड से प्रवेश मार्ग को बंद करते हुए दिखाया गया है। इन अस्थायी शिविरों में हजारों लोगों को हिरासत में लिया जा रहा है। इनमें पुरुष, महिला और बच्चे एक ही छत के नीचे, अपर्याप्त भोजन और अन्य बुनियादी जरूरतों की कमी के बावजूद रहने को मजबूर हैं।
हजारों को भेजा जा रहा क्वारंटीन सेंटरों में
लॉकडाउन के दौरान चीनी सरकार सर्विलांस के लिए रोबोटिक कुत्ते और ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है। इसके खिलाफ लोगों में नाराजगी है। रोबोटिक कुत्ते और ड्रोन के जरिए चेताया जाता है कि लोग कहीं भी एकत्रित न हों, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी। चीन सरकार जबरन लोगों को क्वारंटीन सेंटर भेज रही है। शंघाई के बिकाई इलाके में करीब 1000 लोगों को जबरन क्वारंटीन में भेज दिया गया है और उनके घरों को सैनेटाइज किया जा रहा है।
तिब्बत में लगातार मानवाधिकारों का उल्लंघन जारी
चीन चाहता है कि तिब्बत में सब कुछ ठीक है, लेकिन हाल में एक माह के भीतर दो घटनाएं बताती हैं कि क्षेत्र में बीजिंग मानवाधिकारों का हनन कर रहा है। इन घटनाओं में राजधानी ल्हासा में मारे गए 25 वर्षीय लोक गायक और तिब्बती अमदो प्रांत के 81 वर्षीय नगाबा की मौत हुई। इन मौतों को चीन ने अपने सिचुआन प्रांत में दिखाया ताकि तिब्बत में सब कुछ अच्छा बताया जा सके। इस घटना की जानकारी हांगकांग पोस्ट ने प्रकाशित की है।
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