भोपाल। मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन ने मानव अधिकार हनन से जुड़े तीन मामलों में संज्ञान लेकर संबंधित विभागाधिकारियों से प्रतिवेदन मांगा है। मानव अधिकार आयोग ने जिन तीन मामलों का संज्ञान लिया है, उसमें पहला मामला इंदौर का है। इंदौर शहर में पुलिसकर्मियों की प्रताडऩा से घबराकर 21 वर्षीय आकाश बाडिय़ा ने बीते बुधवार को आत्महत्या कर ली थी। मोबाइल में मैसेज और इंस्टाग्राम स्टोरी में एक लाइन का सुसाइड नोट मिला है, इसमें लिखा है, सब इंसपेक्टर विकास शर्मा एवं टीआई चंदननगर थाना, ये दोनों लोग जिम्मेदार हैं मेरी मौत के। इधर, पुलिस कमिश्नर इंदौर ने कहा कि डीसीपी जोन-1 को जांच के लिए कहा है। दोषी पर सख्त कार्रवाई होगी। मृतक आकाश के बड़े भाई विकास बाडिय़ा ने बताया कि आकाश रंजीत सिंह कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष का छात्र था। उसकी एक युवती से मित्रता थी। हाल ही में दोनों को एरोड्रम थाना क्षेत्र से एसआई विकास शर्मा चंदननगर थाने ले गया था।
आरोप है कि उसने आकाश से मारपीट की और एनडीपीएस एक्ट में फंसाने व करियर खराब करने की धमकी दी। आकाश ने 16 फरवरी दोपहर सुसाइड नोट अपलोड किया और कुछ देर बाद खुदकुशी कर ली। एरोड्रम टीआई के मुताबिक, जिस युवती का नाम आ रहा है, उसकी नौ फरवरी को गुमशुदगी दर्ज हुई थी। इधर तेजाजीनगर थाना एसआई ने आरोपों को निराधार बताया है। वहीं टीआई चंदननगर का कहना है कि मेरा कोई लेना-देना नहीं है। वैसे भी सुसाइड नोट में पूर्व व वर्तमान टीआई के नाम का उल्लेख नहीं है। इस गंभीर मामले में मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस महानिदेशक, मध्यप्रदेश एवं पुलिस कमिश्नर, इंदौर से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
दूसरा मामला कटनी का है। जिले के बाकल में आंगनवाड़ी भवन की छत का प्लास्टर गिरने से चार बच्चे घायल हो गए। बच्चों को अस्पताल ले जाकर उनकी मरहम-पट्टी कराई गई। एक बच्चे के पैर में कुछ ज्यादा ही चोट आने से उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बहोरीबंद रैफर किया गया। जिस जगह प्लास्टर गिरा, बच्चे वहां से दूर बैठे थे। यदि बच्चों के सिर पर प्लास्टर गिरता तो बेहद गंभीर हादसा हो सकता था। मामले में मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने संचालक, महिला एवं बाल विकास विभाग, मप्र शासन, कलेक्टर एवं एकीकृत बाल विकास परियोजना अधिकारी, कटनी से मामले की जांच कराकर एक माह में जवाब मांगा है। आयोग ने यह भी पूछा है कि क्या जख्मी बच्चों को कोई मुआवजा राशि दी गई है या नहीं?
तीसरा मामला टीकमगढ़ जिले का है। जिले की नगर परिषद कारी में एक बुजुर्ग महिला पिछले चार सालों से प्रधानमंत्री आवास योजना की दूसरी किस्त के लिए भटक रही है। चार साल पहले उसे पीएम आवास की पहली किस्त के साथ एक लाख रुपये मिले थे। राशि मिलते ही महिला ने अपना कच्चा मकान तोड़कर पक्के मकान की दीवार खड़ी कर दी, लेकिन फिर दूसरी किस्त आज तक नहीं मिली। बुजुर्ग महिला और उसके दो छोटे-छोटे नातियों के साथ रहती है, क्योंकि 7 साल पहले फूलादेवी की बेटी की मौत हो गई थी और उसके तीन साल बाद उसके दामाद का भी देहांत हो गया। बेटी दामाद के जब दो छोटे-छोटे बच्चे साहिल और नीरज अनाथ हो गए, तो बूढ़ी नानी ने उन्हें सहारा दिया। फूलादेवी दोनों बच्चों के साथ कच्चे मकान में रहती थी। चार साल पहले प्रधानमंत्री आवास योजना में उनके दामाद का नाम शामिल किया गया। पहली किस्त मिलते ही कच्चा मकान तोड़कर पक्के मकान की दीवारें खड़ी कर लीं, फिर दूसरी किस्त नहीं मिली। मामले में मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, टीकमगढ़ से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
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