नई दिल्ली (New Delhi)! मिडिल-ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका (MENA) एवं यूरोप में मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था यूरो-मेड ह्यूमन राइट्स मॉनिटर (Euro-Med Human Rights Monitor) ने आरोप लगाया है कि इजरायली सेना गाजा संघर्ष (israeli army gaza conflict) में मारे गए फिलिस्तीनियों की लाशों से उनके अंगों को चुरा रही है। मानवाधिकार संस्था ने इस मामले की स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच का आह्वान किया है। संस्था का आरोप है कि इजरायली सुरक्षा बल के जवान कब्र खोदकर भी फिलिस्तीनी लाशों से अंग चुरा रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दर्जनों लाशों को रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति को भी सौंपा गया है, जिसने उन्हें दफनाने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए दक्षिणी गाजा पट्टी में पहुंचाया गया है। वहां भी इजरायली सेना ने दर्जनों शवों को अपने पास रखा हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि मानवाधिकार संगठन ने गाजा पट्टी में तैनात कई चिकित्सा पेशेवरों की रिपोर्ट का हवाला देते हुए लाशों से अंग चोरी के बारे में चिंता व्यक्त की है। इन चिकित्सकों ने कुछ शवों की जांच की थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच के दौरान उन्हें अंग चोरी के सबूत मिले, जिनमें कोक्लीयर (कान के पार्ट) और कॉर्निया (आंख के पार्ट) के गायब होने के साथ-साथ लिवर, किडनी और हार्ट जैसे अन्य महत्वपूर्ण अंग भी शामिल हैं।
गाजा पट्टी में कई फिलिस्तीनी अस्पतालों के डॉक्टरों ने यूरो-मेड मॉनिटर टीम को बताया कि अंग चोरी को केवल फोरेंसिक चिकित्सा जांच से साबित या अस्वीकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि मौत से पहले कई शरीरों की शल्य चिकित्सा की जाती है। उन्होंने कहा कि हमलों की भीषणता व गहनता और घायल नागरिकों की आमद को देखते हुए सभी लाशों का विश्लेषणात्मक जांच करना उनके लिए असंभव था, लेकिन इजरायली सेना द्वारा संभावित अंग चोरी के कई संकेतों का पता चला है।
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इजरायल का मृत फिलिस्तीनियों के शवों को अपने पास रखने का इतिहास रहा है। इसने कम से कम 145 फ़िलिस्तीनियों के अवशेषों को अपने मुर्दाघरों में और लगभग 255 को जॉर्डन की सीमा के पास अपने तथाकथित “नंबर्स कब्रिस्तान” में रख रखा है, जो जनता की पहुंच से बाहर है। इसके अलावा इजरायल ने 75 लापता लोगों के अवशेष भी रख रखे हैं जिनकी पहचान अबतक नहीं की गई है।
यूरो-मेड मॉनिटर की एक पूर्व रिपोर्ट के अनुसार, इजरायली अधिकारियों ने फिलिस्तीनी लाशों को जीरो डिग्री टेम्परेचर वाले माहौल में रखा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सड़-गल ना सकें और संभवतः अंग चोरी के सबूत छुपाए जा सकें।
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