कृष्णगिरी! राष्ट्रसंत, यतिवर्य, सर्वधर्म दिवाकर डॉ वसंतविजयजी (Dr. Vasantvijay)ने अपने प्रवचन में कहा कि मानव जीवन परमात्मा की ओर से मिला हुआ बेशकीमती उपहार है, इसे विषाद नहीं प्रसाद बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियां सबके जीवन में आती है इसलिए व्यक्ति को हर परिस्थिति में प्रभु का प्रसाद मानकर खुशहाल जीवन जीना चाहिए। संतश्री ने व्यक्ति को प्रेम, समर्पण, त्याग व सामंजस्य की भावना के साथ परस्पर परिवार और समाज में रहने की सीख दी। उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने रंग को तो बदल नहीं सकता मगर जीवन जीने के ढंग को बदलकर अवश्य महान बन सकता है। डॉ वसंतविजयजी ने इच्छाएं कम करने की प्रेरणा देते हुए यह भी कहा कि सदैव प्रसन्नता और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ अपने उत्थान के कर्मक्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए।