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    जानवरों के पेट में पलेंगे इंसानी बच्‍चे, scientist कर रहे प्रयोग

  • March 14, 2021

    टोक्‍यो। जापान के एक स्टेम-सेल वैज्ञानिक (Stem cell scientist) को वहां की सरकार ने एक खास शोध के लिए सरकारी सहायता (Government aid) देने की शुरुआत की है. वैज्ञानिक उस तरीके पर काम कर रहा है, जिससे पशुओं के गर्भ में मानव-कोशिकाओं का विकास (Development of human cells in the womb of animals) हो सकेगा. यानी जानवर एक तरह से सरोगेट मां (surrogate mother) की तरह काम करेंगे, जिनकी कोख से वैसी कोई चीज जन्म लेगी, जिसके शरीर में इंसानी अंग हों.

    विज्ञान की दुनिया में इंसान एक से बढ़कर एक प्रयोग कर रहा है. कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण(Prosthesis transplant) जैसी मुश्किल और एक समय पर असंभव समझी जाने वाली प्रक्रिया अब आम है. इसी कड़ी में वैज्ञानिक और आगे बढ़ने की सोच रहे हैं. जापान में हिरोमित्सू नकॉची (Hiromitsu Nakauchi) नाम के वैज्ञानिक, जो यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो (Joe University of Tokyo) में स्टेम सेल के अगुआ हैं, उन्हें जापान सरकार ने जानवरों की कोख में इंसानी भ्रूण के विकास पर प्रयोग करने की इजाजत दे दी.



    वैज्ञानिक अपनी टीम समेत इसपर काम भी शुरू कर चुके हैं. टीम की योजना ये है कि पहले चूहों के एंब्रियो में मानव कोशिकाएं विकसित की जाएं और फिर उस एंब्रियो को सरोगेट जानवरों के गर्भ में प्रत्यारोपित कर दिया जाए. इस प्रयोग का असल मकसद इंसानी शिशु बनाना नहीं, बल्कि ऐसे पशु तैयार करना है, जिनके शरीर के अंग मानव कोशिकाओं से बने हों ताकि जरूरतमंद इंसानों में ये प्रत्यारोपित किए जा सकें.

    इन देशों ने किया विरोध
    जापान से पहले कई देश इसे कुदरत से खिलवाड़ बताते हुए ऐसे प्रोजेक्ट को नामंजूर कर चुके हैं. इनमें अमेरिका भी एक देश है. वहां साल 2015 से पहले लैब्स में इस तरह की कोशिशें चल रही थीं लेकिन फिर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ इसे गलत बताते हुए इस तरह के किसी भी प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी. वहीं जापान के साइंटिस्ट कुदरती प्रक्रिया को चुनौती देते हुए जानवर की कोख से इंसान के जन्म लेने के प्रोजेक्ट पर जुट गए हैं. अगर ये हो सका तो ये साइंस का सबसे बड़ा कारनामों में से एक हो सकता है.

    ऐसे होगा प्रयोग
    जापान के साइंटिस्ट ने इसका खाका भी तैयार कर लिया है, कि कैसे इस प्रोजेक्ट को अंजाम देना है. शुरुआती तौर पर इसमें चूहे के गर्भाशय में ह्यूमन सेल्स डेवलप किए जाएंगे. इसके बाद के चरण में जानवर की कोख में सेरोगेसी की संभावना देखी जाएगी. यानी इंसान के भ्रूण को जानवर के गर्भाशय में डेवलप करने की प्रक्रिया पर काम किया जाएगा.

    खतरनाक हो सकता है ये प्रोजेक्ट
    जापान के मशहूर जेनेटिसिस्ट हिरोमित्सू नकॉची ने इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया है. पहले पहल जानवर के गर्भाशय में मानव अंगों को उगाने की प्रक्रिया पर काम होगा, जिसे किसी जरूरतमंद इंसान को प्रत्यारोपित किया जा सके.

    भविष्‍य में इस खतरें की संभावना
    इस प्रोजेक्ट में सबसे खतरनाक बात ये है कि ये इसका अगला चरण अपने मकसद से भटक सकता है. अगर ये प्रोजेक्ट कामयाब हो गया तो फिर संभव है कि आने वाले वक्त में एक ऐसा जीव अस्तित्व में आ जाए जो आधा इंसान और आधा जानवर हो. या फिर ये भी हो सकता है कि गर्भ में भ्रूण के पलने से इंसानी कोशिकाएं किसी तरह बढ़ते हुए पशु के दिमाग तक भी पहुंच जाएं. ऐसे में उसका मस्तिष्क बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है.

    इसी बात को देखते हुए दुनिया के कई देशों ने इस तरह के प्रोजेक्ट रोक दिए. ऐसे प्रोजेक्ट को आर्थिक सहायता देनी बंद कर दी. हालांकि जापान की एजुकेशन और साइंस मिनिस्ट्री ने सालभर पहले इसे अप्रूव कर दिया. इधर काम में लगे वैज्ञानिकों का कहना है कि हम जानवर के गर्भाशय में अचानक से मानव अंग नहीं उगा लेंगे. हम धीरे-धीरे उस चरण तक पहुंचेंगे. हमारा एडवांस रिसर्च हमें उस जगह तक ले जाएगा. उनका प्लान है कि इस प्रोसेस को धीरे-धीरे अंजाम दिया जाए. पहले जानवरों के हाइब्रिड गर्भाशय उगाने पर काम होगा.

    क्या है सरोगेसी की प्रक्रिया
    इसमें अगर किसी महिला को गर्भाशय से जुड़ी बड़ी समस्या होती है तो वो गर्भ में शिशु को धारण नहीं कर पाती. या फिर बार-बार गर्भपात होता है. ऐसे मामलों में किसी दूसरी महिला के गर्भाशय में मानव भ्रूण को विकसित किया जाता है. इसकी प्रक्रिया बड़ी नॉर्मल होती है और ऐसे कई मशहूर सेलिब्रेटी हुए हैं, जिन्होंने इस विधि से संतान हासिल की है.

    इस विधि में माता-पिता के शुक्राणु का मेल परखनली विधि से करवा कर भ्रूण को सरोगेट मदर (किराए की कोख वाली महिला) के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है. इस प्रक्रिया में बच्चे का जेनेटिक संबंध माता-पिता से ही होता है, बस भ्रूण का विकास और उसका जन्म सरोगेसी के जरिए होता है. इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए अब मानव भ्रूण का विकास किसी जानवर के गर्भाशय में करने की तैयारी चल रही है. यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो में इस प्रोजेक्ट पर काम भी शुरू हो गया है.

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