इंदौर: इंदौर (Indore) की बंद पड़ी प्रसिद्ध हुकुमचंद मिल (Hukumchand Mill) के मजदूरों के लिए बड़ी और अच्छी खबर आयी है. हुकुमचंद मिल के मजदूरों (laborers) को उनका बकाया पैसा मिलेगा. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) ने मजदूरों को भुगतान के लिए 464 करोड़ रुपए (Rs 464 crore) की राशि मंजूर कर दी है.
नयी सरकार में हुकुमचंद मिल मजदूरों के लिए राहत भरी खबर है. आज भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने बड़ा फैसला लिया. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मजदूरों को भुगतान के लिए 464 करोड़ रुपए की राशि मंजूर कर दी है. मिल के सैकड़ों मजदूरों का लाखों रुपए बरसों से बकाया था. इसके लिए वो मिल प्रबंधन से लेकर कोर्ट तक में अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं.
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने आज भोपाल में नगरीय प्रशासन विभाग की बैठक ली. इसमें ये फैसला लिया गया. उन्होंने कहा इंदौर की हुकुमचंद मिल के मजदूरों को उनका बकाया पैसा दिया जाएगा. सीएम ने फाइल पर दस्तखत कर दिए. मजदूरों के भुगतान के लिए 464 करोड़ रुपए की राशि को मंजूरी दे दी है.
आज की बैठक में सीएम ने उज्जैन में क्षिप्रा नदी के शुद्धिकरण के लिए प्रोजेक्ट बनाने का निर्देश अफसरों को दिया. उन्होंने सख्ती से कहा कि कान्ह नदी का गंदा पानी किसी भी हालत में क्षिप्रा नदी में नहीं मिलना चाहिए. बल्कि गंदे पानी को नई तकनीक से रिसाइकिल कर दोबारा उपयोग करने लायक बनाएं.
इंदौर की हुकुमचंद मिल 12 दिसंबर 1991 से बंद पड़ी है. उसके बाद से 5895 मजदूर और उनके परिवार बकाया भुगतान के लिए भटक रहे हैं. वर्षों पहले हाई कोर्ट ने मिल मजदूरों के पक्ष में 229 करोड़ रुपये का मुआवजा तय किया था. प्रबंधन, सरकार से लड़ाई के लंबे वक्त में कई मजदूर अपना हक पाए बिना ही इस दुनिया को अलविदा कह गए. मामला कोर्ट में है.
मुख्यमंत्री ने नगरीय प्रशासन विभाग के लिए एलॉट पैसा दूसरे काम में खर्च होने पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा इसकी जांच होगी. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा नगरीय निकायों की वित्तीय व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए.कंपाउंडिंग, बिल्डिंग परमिशन की व्यवस्था को सरल करें.
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