नयी दिल्ली। केंद्र सरकार ने आम बजट पेश (general budget presented) कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने इस बार के बजट में कई सेक्टरों में भारी निवेश का लक्ष्य रखा तो वहीं कई जगह कटौती की भी गई है। बजट में वित्त वर्ष 2022-23 के आम बजट ( budget presented) में 7.5 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का प्रावधान किया गया है, यह व्यय जीडीपी का 2.9 फीसदी होगा। इसके साथ ही कटे एवं पॉलिश हीरे और रत्नों पर कस्टम ड्यूटी को घटाकर 5 फीसदी करने की घोषणा भी की। सीतारमण ने कहा कि वर्चुअल डिजिटल एसेट के ट्रांसफर से होने वाली किसी भी आय पर 30 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा।
वहीं दूसरी ओर साल भर पहले चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था। इस महत्वाकांक्षी टारगेट से मीलों पीछे छूट जाने के बाद सरकार ने इसमें संशोधन किया है। अगले वित्त वर्ष के लिए पेश हुए बजट में विनिवेश के टारगेट को आधे से भी कम कर दिया गया है. इस मोर्चे पर मिली असफलता ने Fiscal Deficit को लेकर भी सरकार की परेशानियां बढ़ा दी है। वहीं सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से होने वाली आय के अनुमान में भारी कटौती करते हुए इसे 1.75 लाख करोड़ रुपये से घटाकर 78,000 करोड़ रुपये कर दिया है। इसके साथ ही उसने अगले वित्त वर्ष में विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए कहा कि अगले वित्त वर्ष में सरकार को विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है। सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष के विनिवेश लक्ष्य में बड़ी कटौती की घोषणा की है। पिछले साल उन्होंने 2021-22 के बजट में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य घोषित किया था। लेकिन वित्त वर्ष खत्म होने में सिर्फ दो महीने का ही वक्त रह जाने के बीच सरकार अबतक सिर्फ 12,030 करोड़ रुपये का ही विनिवेश राजस्व जुटा पाई है। इसमें 2,700 करोड़ रुपये एयर इंडिया की बिक्री से मिले हैं जबकि 9,330 करोड़ रुपये विभिन्न केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों में सरकार की अल्पांश हिस्सेदारी बेचने से मिले हैं। दूसरी तरफ सरकार को उम्मीद है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में अपनी हिस्सेदारी बेचकर वह वर्ष 2021-22 के संशोधित विनिवेश लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेगी। एलआईसी का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) लाने की तैयारियां चल रही हैं और मार्च में इसके आने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके अलावा सरकार बीपीसीएल, शिपिंग कॉरपोरेशन, कंटेनर कॉरपोरेशन, आरआईएनएल और पवनहंस लिमिटेड की भी रणनीतिक बिक्री की कोशिश में लगी हुई है। सरकार इसके पहले भी कई बार अपने विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने से चूकी है। वर्ष 2020-21 में 2.10 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन सरकार सिर्फ 37,897 करोड़ रुपये ही जुटा पाई थी। विदित हो कि वर्ष 2017-18 और 2018-19 में लगातार दो साल सरकार विनिवेश लक्ष्य से आगे निकल गई थी। वर्ष 2018-19 में विनिवेश का बजट लक्ष्य 80,000 करोड़ रुपये का था लेकिन सरकार 84,972 करोड़ रुपये जुटाने में सफल रही थी। इसके पहले 2017-18 में भी उसने एक लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से अधिक 1,00,056 करोड़ रुपये का विनिवेश राजस्व जुटाया था।