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    ‘ड्रैगन’ की चाल का कैसे निकलेगा तोड़? विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार को किया कंगाल

  • October 13, 2024

    डेस्क: ड्रैगन यानी चीन अपनी चाल चल चुका है. जिसका नुकसान भारत को उठाना पड़ रहा है. बीते 9 कारोबारी दिनों में विदेशी निवेशकों ने भारत के शेयर बाजार से 58,700 करोड़ रुपए से ज्यादा निकाल लिए हैं. खास बात तो ये है कि बीते 55 महीनों में विदेशी निवेशकों ने सबसे बड़ी बिकवाली की है. वहीं शेयर बाजार के इतिहास विदेशी निवेशकों की दूसरी सबसे बड़ी बिकवाली है. अभी अक्टूबर खत्म होने में काफी दिन बचे हुए हैं.

    अगर विदेशी निवेशक इसी तरह से पैसा निकालते रहे तो बिकवाली का आंकड़ां 65 हजार करोड़ रुपए को भी पार कर सकता है. अगर ऐसा हुआ तो शेयर बाजार के इतिहास में विदेशी निवेशकों की किसी एक महीने में सबसे बड़ी बिकवाली हो सकती है. वैसे बरते 5 साल में तीन बार ऐसा देखने को मिला है जब किसी एक महीने में विदेशी निवेशकों ने 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की बिकवाली की हो. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर एनएसडीएल में किस तरह के आंकड़ें देखने को मिले हैं?

    एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर के महीने में विदेशी निवेशकों की ओर से 58,711 करोड़ रुपए निकाले जा चुके हैं. खास बात तो ये है तो अक्टूबर का महीना अभी खत्म नहीं हुआ है. ये आंकड़ां अभी बढ़ भी सकता है. जबकि पिछले महीने सितंबर में विदेशी निवेशकों की ओर से 57,724 करोड़ रुपए का निवेश किया था. एनएसडीएल के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी निवेशक जून महीने से सितंबर महीने तक लगातार निवेश कर रहे थे. इन चार महीनों में विदेशी निवेशकों की ओर 1.24 लाख करोड़ रुपए का निवेश कर दिया था. लेकिन अक्टूबर की बिकवाली ने सब बराबर कर दिया. मौजूदा साल में सितंबर तक कुल निवेश का आंकड़ां जो एक लाख करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गया था वो अब घटकर 41,899 करोड़ रुपए पर आ गया है.


    खास बात तो ये है कि विदेशी निवेशकों की बीते 55 महीने में सबसे बड़ी बिकवाली की है. वहीं शेयर बाजार के इतिहास में ये दूसरी सबसे बड़ी बिकवाली की है. आंकड़ों के अनुसार मार्च 2020 में विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार से 61,973 करोड़ रुपए की बिकवाली की थी. जिसके बाद अब इतनी बड़ी बिकवाली विदेशी निवेशकों की ओर से की गई है. वैसे बीते 5 साल से तीसरा ऐसा मौका है, जब विदेशी निवेशकों की ओर से किसी एक महीने में 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की बिकवाली की हो. इससे पहले आखिरी बार जून 2022 में 50,203 करोड़ रुपए की बिकवाली देखने को मिली थी.

    वहीं दूसरी ओर बॉन्ड मार्केट में भी मामूली गिरावट देखने को मिली थी. अक्टूबर के महीने में बॉन्ड बाजार से विदेशी निवेशकों ने 1635 करोड़ रुपए निकाले हैं. जबकि पिछले महीने सितंबर में निवेशकों की ओर 1299 करोड़ रुपए का निवेश किया था. मौजूदा साल में से दूसरा मौका पर है जब विदेशी निवेशकों ने बॉन्ड बाजार से पैसा निकालने के बारे में सोचा है. अप्रैल के महीने में विदेशी निवेशकों की ओर से 10,949 करोड़ रुपए की निकासी की थी. वैसे मौजूदा साल में विदेशी निवेशकों ने बॉन्ड मार्केट में 1,08,612 करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया है.

    वेंचुरा सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख विनीत बोलिंजकर ने कहा कि विशेष रूप से पश्चिम एशिया में इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष ने बाजार में अनिश्चितता बढ़ा दी है. इससे वैश्विक निवेशक जोखिम से बच रहे हैं. एफपीआई सतर्क हो गए हैं और उभरते बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर संकट के कारण ब्रेंट क्रूड का भाव 10 अक्टूबर को 79 डॉलर प्रति बैरल हो गया जबकि 10 सितंबर को यह 69 डॉलर प्रति बैरल था. इससे भारत में महंगाई और वित्तीय बोझ बढ़ने का जोखिम उत्पन्न हुआ है.

    जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार का मानना ​​है कि चीन में धीमी अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए मौद्रिक और राजकोषीय उपायों की घोषणा के बाद एफपीआई भारत में बेचो, चीन में खरीदो’ की रणनीति अपना रहे हैं. एफपीआई चीन में शेयरों में पैसा लगा रहे हैं, जो अब भी अपेक्षाकृत सस्ता है. कुल मिलाकर इन सब कारणों से भारतीय शेयर बाजार में एक अस्थायी अवरोध पैदा हुआ है.

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