मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी माने जाने वाले मुंबई (Mumbai) को अगर पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन की डोज मिल जाए, तो BMC 60 दिनों के भीतर पूरे शहर की जनता को वैक्सीन लगा सकती है। मुंबई की 1 करोड़ 25 लाख आबादी को वैक्सीनेट करने के लिए बीएमसी ने अपना रोडमैप (Roadmap) तैयार कर लिया है। बीएमसी के एडिशनल मुंसिपल कमिश्नर सुरेश काकानी ने अपनी योजना की जानकारी दी है।
BMC प्रशासन के अनुसार, मुंबई के 24 वार्ड में वैक्सीनेशन सेंटर (Vaccination Center) बनाने का काम लगभग पूरा हो गया है। जबकि 100 प्राइवेट अस्पतालों की भी इसके लिए मदद लेने की बीएमसी की तैयारी है। इसके अलावा एनजीओ और हाउसिंग सोसायटी की भी मदद लेने का प्लान तैयार है। बस इंतजार है तो वैक्सीन का। अगर पर्याप्त मात्रा में केंद्र या ग्लोबल टेंडर के जरिए वैक्सीन उपलब्ध हो जाती है तो 2 से 3 दिनों में इस प्लान को कार्यान्वित किया जा सकता है।
बीएमसी के पास मुंबई में 4 मेडिकल कॉलेज हैं। इसके अलावा एक डेंटल कॉलेज (Dental College) और 16 हॉस्पिटल से 28 डिस्पेंसरी भी हैं। अगर जरूरत पड़े तो अस्थायी स्टाफ को हायर करने के भी अधिकार नीचे के अधिकारियों को दिए गए हैं।
कितना होता है एक वैक्सीनेशन सेंटर का खर्चा?
बीएमसी के एडिशनल मुंसिपल कमिश्नर सुरेश काकानी ने बताया, 1 वैक्सीनेशन सेंटर का खर्चा 5 लाख के करीब आता है जिसमें नर्स, डॉक्टर, सपोर्टिंग स्टाफ, कोल्ड स्टोरेज की सुविधा होती है। सब मिलाकर मुंबई में फिलहाल 28 से ज्यादा वैक्सीनेशन सेंटर चालू हैं। आने वाली तीसरी लहर की आशंका के बीच अगर वैक्सीनेशन ज्यादा से ज्यादा लोगों को हो जाता है तो तीसरी लहर का खतरा भी कम होगा। आगे ज्यादा लोगों को अस्पतालों में भर्ती करने की नौबत भी नहीं आएगी। बीएमसी का ध्यान फिलहाल इस ओर ही है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट कैसे किया जाए।
बीएमसी ने वैक्सीन के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किया है, जिसकी आखिरी तारीख 25 मई है। इसके बाद ही टेंडर का स्टेटस पता चल पाएगा।
तीसरी लहर को लेकर बीएमसी की क्या है तैयारी?
बीएमसी प्रशासन के अनुसार, सभी जंबो सेंटर पूरी तरीके से कार्यान्वित रहेंगे। मौजूदा वक्त में मुंबई में करीब 30,500 बेड उपलब्ध हैं, जिसमें से करीब 12,000 ऑक्सीजन बेड, करीब तीन हजार आईसीयू बेड और करीब 15,000 वेंटिलेटर बेड हैं। इसके अलावा बीएमसी चार और बड़े जंबो सेंटर आने वाले वक्त के लिए तैयार कर रही है। जिसमें करीब साढे पांच हजार बेड उपलब्ध रहेंगे। इसमें से 70 फीसदी ऑक्सीजन बेड रहेंगे जबकि 10 से 15 फीसदी आईसीयू बेड की संख्या इन जंबो सेंटर्स में होगी।
हर जंबो सेंटर में 200 से 250 बेड का एक पीडियाट्रिक वार्ड भी बनाया जा रहा है। शुरुआत में 25 से 50 बेड बनाए जाएंगे जैसी जरूरत होगी वैसे इसे आगे बढ़ाया जाएगा। पीडियाट्रिक (Pediatric) के लिए बीएमसी ने एक टास्क फोर्स का गठन भी किया है, उनकी सूचनाओं के आधार पर ही बीएमसी काम कर रही है। वेंटिलेटर को कैसे खोला जाना चाहिए, कौन-सी दवाओं का इस्तेमाल होना चाहिए, इन सभी सूचनाओं के आधार पर बीएमसी ने अपनी पूरी प्लानिंग की है। इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि अगर छोटा बच्चा भर्ती होता है तो उसके माता पिता भी वहां रह सकें। सभी बातों का ख्याल रखकर ही सेंटर्स को डिजाइन करने की कोशिश बीएमसी कर रही है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved