संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र में इस्राइल और फिलिस्तीन के बीच विवाद के मसले पर आज भारत ने अपना पक्ष रखा है। भारत ने बताया कि आखिर दोनों राज्यों के बीच मसला कैसे सुलझेगा। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए कहा कि इस्राइल और फिलिस्तीन के बीच स्थायी शांति की गारंटी के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं हैं। इस विवाद के समाधान के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है जो हमें वहां तक ले जा सकती है।
बता दें कि इस्राइल और फिलिस्तीन दो ऐसे देश हैं, जिनका विवाद काफी लंबे समय से चला आ रहा है। दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने और मतभेद को खत्म करने के लिए कई बार समझौते हुए पर निष्कर्ष कुछ खास नहीं निकला। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से उन सभी वजहों के बारे में बताएंगे, जिसके कारण इन दोनों देशों के बीच का विवाद दिन-प्रतिदिन बढ़ता चला गया।
इस्राइल और फिलिस्तीन के बीच के मतभेद ओटोमन साम्राज्य के खत्म होने के साथ
इस्राइल और फिलिस्तीन के बीच के मतभेद की शुरुआत ओटोमन साम्राज्य के खत्म होने के साथ होती है। इस दौरान पूरे यूरोप में राष्ट्रवाद का व्यापक प्रभाव देखा जा रहा था। कई देश टुकड़ों-टुकड़ों में बंटे थे। राष्ट्रवाद की लहर इन्हें एक कर रही थी। इटली और जर्मनी जैसे देश राष्ट्रवाद के नाम पर एक हो रहे थे। इसका प्रभाव यहूदियों के बीच भी देखने को मिला। राष्ट्रवाद की भावना यहूदी लोगों के बीच जगी। उन्हें अपने पवित्र स्थान पर दोबारा जाकर बसने की लालसा उठी।
यहीं से जियोनिष्ट आंदोलन की शुरूआत होती है। 19वीं शताब्दी में यहूदियों की यह पवित्र भूमि फिलिस्तीन के नाम से जानी जाती थी। इस दौरान पूरे यूरोप में यहूदी बिखरे हुए थे। उनके साथ यूरोप में काफी शोषण होता आया था। जियोनिष्ट आंदोलन के दौरान शुरूआत में छोटे स्तर पर यहूदियों का पलायन फिलिस्तीन की ओर हुआ। इसके बाद आता है प्रथम विश्व युद्ध का दौरा। 1917 में बेलफोर डिक्लेरेशन आया। कई लोगों का मानना है कि बेलफोर डिक्लेरेशन ही वह प्रमुख वजह थी, जिसने इस्राइल और फिलिस्तीन मतभेद को जन्म दिया।
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