नई दिल्ली। आम सहमति (Consensus) बनाने में माहिर माने जाने वाले भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) के नवनियुक्त गवर्नर (Newly appointed Governor) संजय मल्होत्रा (Sanjay Malhotra) ने नई आयकर व्यवस्था (New Income Tax System) को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह ऐसे समय में केंद्रीय बैंक की कमान संभालने जा रहे हैं, जब अर्थव्यवस्था (Economy) धीमी वृद्धि दर और उच्च मुद्रास्फीति (High Inflation) की दोहरी चुनौती का सामना कर रही है।
आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस में स्नातक और प्रिंसटन विश्वविद्यालय से सार्वजनिक नीति में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल करने वाले 56 वर्षीय मल्होत्रा वर्तमान में वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव हैं और वह शक्तिकान्त दास का स्थान लेंगे। उनके पास बिजली, वित्त और कराधान जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता के साथ सार्वजनिक नीति में तीन दशक से अधिक का अनुभव है।
मल्होत्रा ऐसे समय केंद्रीय बैंक के 26वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाल रहे हैं, जब आरबीआई पर आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए प्रमुख ब्याज दर रेपो में कटौती का दबाव है। शक्तिकांत दास ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए मानक ब्याज दर को लगभग दो साल तक अपरिवर्तित रखा। वहीं, जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर जुलाई-सितंबर में घटकर सात तिमाहियों में सबसे निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर रही है।
माना जाता है कि मल्होत्रा के वित्त मंत्री के साथ अच्छे संबंध हैं। यह मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों को अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुरूप बनाने में मददगार हो सकते हैं। उन्हें एक ‘टीम’ के रूप में काम करने वाला कहा जाता है। वह मानते हैं कि कीमतों को अकेले केंद्रीय बैंक प्रबंधित नहीं कर सकता है और इस कार्य के लिए सरकारी मदद की भी आवश्यकता है।
इसलिए दौड़े में आगे थे
साल 2022 में संजय मल्होत्रा को केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक के निदेशक के रूप में नामांकित किया था। दरअसल, रिजर्व बैंक का कामकाज केंद्रीय निदेशक बोर्ड देखता है। ऐसे में मल्होत्रा के पास इस काम का लंबा अनुभव है, इसलिए आरबीआई के गवर्नर की दौड़ में वो सबसे आगे रहे।
कराधान नीतियों की जिम्मेदारी
संजय मल्होत्रा केंद्रीय बजट तैयार करने में अहम जिम्मेदारी निभाते रहे हैं। उनके नेतृत्व में राजस्व विभाग कर संग्रह के आंकड़ों का आकलन करता है और कराधान से संबंधित नीतियों को अंतिम रूप देता है। बजट तैयार करने के दौरान मल्होत्रा विभिन्न हितधारकों जैसे उद्योग संघों, व्यापारिक संगठनों और कर विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करते हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वे किसी भी मुद्दे पर काम करने से पहले वे उस पर जमकर शोध करते हैं।
दास आज कार्यमुक्त होंगे
छह साल तक आरबीआई की कमान संभालने वाले शक्तिकान्त दास मंगलवार को अपना कार्यकाल पूरा कर दायित्व से मुक्त हो जाएंगे। अपने कार्यकाल के दौरान दास ने कोविड के चुनौतीपूर्ण समय में देश की मौद्रिक नीति का कुशल मार्गदर्शन करने के साथ आर्थिक वृद्धि एवं मुद्रास्फीति के बीच समुचित संतुलन साधने की भी कोशिश की। दास ने भारत की ओर से ब्रिक्स, इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड और सार्क में प्रतिनिधित्व किया है।
बजट बनाने में संजय मल्होत्रा की अहम भूमिका
आरबीआई के नवनियुक्त गवर्नर संजय मल्होत्रा को राज्य और केंद्र सरकार में वित्तीय और काराधान मामलों में व्यापक अनुभव है। वर्तमान में वे वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव का पदभार संभाल रहे हैं। वे देश का केंद्रीय बजट बनाने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। उन्हें पीएम मोदी के पसंदीदा अफसरों की सूची में शुमार किया जाता है।
मूलत: राजस्थान के रहने वाले मल्होत्रा ने अपने 33 सालों से अधिक के करियर में उन्होंने बिजली, वित्त और कराधान, सूचना प्रौद्योगिकी, माइनिंग आदि सहित विविध क्षेत्रों में काम किया है। उन्होंने आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर विज्ञान में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। साथ ही प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से सार्वजनिक नीति में मास्टर्स डिग्री हासिल की है। वे सरकारी कंपनी आरईसी लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी भी रह चुके हैं। अपने पिछले कार्यभार में उन्होंने वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय सेवा विभाग में सचिव का पद संभाला था।
इसलिए दौड़े में आगे थे
साल 2022 में संजय मल्होत्रा को केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक के निदेशक के रूप में नामांकित किया था। दरअसल, रिजर्व बैंक का कामकाज केंद्रीय निदेशक बोर्ड देखता है। ऐसे में मल्होत्रा के पास इस काम का लंबा अनुभव है, इसलिए आरबीआई के गवर्नर की दौड़ में वो सबसे आगे रहे।
कराधान नीतियों की जिम्मेदारी
संजय मल्होत्रा केंद्रीय बजट तैयार करने में अहम जिम्मेदारी निभाते रहे हैं। उनके नेतृत्व में राजस्व विभाग कर संग्रह के आंकड़ों का आकलन करता है और कराधान से संबंधित नीतियों को अंतिम रूप देता है। बजट तैयार करने के दौरान मल्होत्रा विभिन्न हितधारकों जैसे उद्योग संघों, व्यापारिक संगठनों और कर विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करते हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वे किसी भी मुद्दे पर काम करने से पहले वे उस पर जमकर शोध करते हैं।
शानदार रहा शक्तिकांत दास का कार्यकाल
10 दिसंबर को कार्यमुक्त हो रहे शक्तिकांत दास करीब छह साल तक आरबीआई के गवर्नर रहे। 12 दिसंबर 2018 में उन्हें इस पद पर नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल बाद में तीन साल और बढ़ाया गया था। नवंबर 2016 में जब नोटबंदी हुई थी, तब भी दास ही मुख्य मोर्चे पर थे। उन्होंने कोविड के दौरान और उसके बाद देश में महंगाई की समस्या को काबू में करने की दिशा में उल्लेखनीय काम किया है। दास ने भारत की ओर से ब्रिक्स, इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड और सार्क में प्रतिनिधित्व किया है।
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