नई दिल्ली: भारत में अक्टूबर-नवंबर में होने वाला वनडे वर्ल्ड कप वेस्टइंडीज के बिना होगा. क्रिकेट फैंस के लिए इससे मायूस करने वाली खबर शायद ही कोई हो. क्योंकि जो टीम एक वक्त खौफ का दूसरा नाम थी, उसे अब हर तीसरी टीम हरा रही. पिछले वर्ल्ड कप में तो जैसे-तैसे क्वालिफायर से निकलकर वेस्टइंडीज ने वर्ल्ड कप का टिकट कटा लिया था. लेकिन, 5 साल बाद कैरेबियाई टीम ने क्वालिफायर में ही दम तोड़ दिया. वेस्टइंडीज को इस टूर्नामेंट में जिम्बाब्वे, नीदरलैंड और स्कॉटलैंड जैसी टीमों से भी हार का सामना करना पड़ा. पूरे टूर्नामेंट में वेस्टइंडीज की टीम बिखरी नजर आई.
खराब फील्डिंग ने डुबोई लुटिया: एक समय वेस्टइंडीज की फील्डिंग की दुनियाभर में चर्चा होती थी. लेकिन वर्ल्ड कप क्वालिफायर में वेस्टइंडीज की लुटिया डूबने की एक वजह फील्डिंग रही. लीग स्टेज में टीम ने 10 कैच छोड़े. ग्राउंड फील्डिंग तो इससे भी खराब रही. अमेरिका के खिलाफ पहले मैच में भी वेस्टइंडीज ने शून्य के स्कोर पर गजानंद सिंह का कैच छोड़ा था और उन्होंने नाबाद 101 रन ठोक डाले थे. हालांकि, वेस्टइंडीज वो मैच जीत गया था. लेकिन, जीत का अंतर और बड़ा हो सकता था, जो उस एक कैच के कारण नहीं हो पाया था.
जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच में वेस्टइंडीज ने 5 कैच टपकाए थे. यही वजह रही कि एक समय 200 रन के भीतर सिमटता दिख रहा जिम्बाब्वे 268 रन के स्कोर तक पहुंच गया और आखिर में ये रन उसपर भारी पड़े. जिम्बाब्वे से हार तो मिली ही. सुपर-6 राउंड में भी कैरेबियाई टीम बिना किसी पॉइंट्स के साथ पहुंचीं. उस मैच में वेस्टइंडीज ने जिम्बाब्वे के ऑलराउंडर सिकंदर रजा का 1 और 3 रन के स्कोर पर कैच छोड़ा था और उन्होंने 68 रन की पारी खेली और रयान बर्ल के साथ 87 रन की मैच विनिंग साझेदारी की थी.
बर्ल का भी कैच उस मैच में छूटा था. यही कारण था कि कोच डैरेन सेमी ने वेस्टइंडीज को क्वालिफायर की सबसे खराब फील्डिंग टीम कहा था.स्कॉटलैंड के खिलाफ मैच में भी वेस्टइंडीज ने ब्रैंडन मैकमुलन का कैच छोड़ा था और ये भी कैरेबियाई टीम पर भारी पड़ा. चोट और अजीबोगरीब टीम सेलेक्शन: वर्ल्ड कप क्वालिफायर के दौरान वेस्टइंडीज की टीम खिलाड़ियों की चोट और बीमारी से परेशान रही.
इसी वजह से वेस्टइंडीज के खिलाफ फर्स्ट चॉइस प्लेइंग-XI उतारना चुनौती जैसा रहा. वेस्टइंडीज ने पहले 3 मैच में ओपनर जॉनसन चार्ल्स से नंबर-3 पर बल्लेबाजी कराई. इसका कारण शमराह ब्रूक्स की बीमारी थी. इसकी जगह अगर शाई होप अगर और नीचे खेलने आते तो शायद टीम के लिए अच्छा होता. यानिक करियाह की चोट ने भी वेस्टइंडीज की उम्मीदें कमजोर की और टीम से इकलौता लेग स्पिनर भी छीन लिया. वानिंदु हसारंगा और क्रिस ग्रीव्स के प्रदर्शन ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि करियाह कैरेबियाई टीम के लिए कितने अहम होते.
सुपर ओवर में नीदरलैंड से हारे: लोगन वैन बीक ने वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच में सुपर ओवर से पहले 14 गेंद में 28 रन ठोके थे. बीक ने ज्यादातर रन ताकाशिंगा क्रिकेट क्लब वाले एंड की शॉर्ट लेग साइड की छोटी बाउंड्री की तरह शॉट खेलकर बनाए थे. यह समझ से परे था कि वेस्टइंडीज ने सुपर ओवर में वैन बीक को क्यों पवेलियन एंड से गेंदबाजी करने का फैसला किया, जिससे नीदरलैंड के इस बल्लेबाज को मैदान की छोटी बाउंड्री की तरफ शॉट खेलने का मौका मिला.
वेस्टइंडीज के लिए जेसन होल्डर ने सुपर ओवर फेंका था. उन्होंने पहली दो गेंद फुलटॉस फेंकी और इसे बाद सारी गेंद शॉर्ट और वाइड फेंकी. नतीजा बीक ने 6 गेंद में 30 रन ठोक डाले. उन्होंने 3 चौके और इतने ही छक्के मारे. वेस्टइंडीज 31 रन नहीं चेज कर पाई और सुपर ओवर में मैच हार गई. जब मैच के बाद कोच सैमी से ये सवाल पूछा गया कि किसने होल्डर से सुपर ओवर कराने का फैसला लिया था. तो शुरू में तो वो चुप रहे. फिर गहरी सांस लेते हुए उन्होंने कहा था कि मुझे कप्तान के फैसले पर पूरा भरोसा है. इसके अलावा भी टूर्नामेंट में कैरेबियाई टीम ने कई और गलतियां की, जिसने उसके विश्व कप खेलने की उम्मीदें खत्म कर दीं.
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