नई दिल्ली (New Delhi) । अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह (separatist leader amritpal singh) को लेकर 15 दिन पहले केंद्रीय गृहमंत्रालय (Union Home Ministry) की एक बैठक हुई। खबर है कि उस बैठक का सबसे बड़ा मुद्दा खालसा वहीर अभियान और सिंह की निजी सेना आनंदपुर खालसा फोर्स का था। कहा जा रहा है कि इन दोनों ही बिंदुओं ने केंद्र सरकार (Central government) को खासा परेशान कर रखा था और यहीं से सिंह की धरपकड़ की स्क्रिप्ट लिखी गई। अब विस्तार से समझते हैं।
कहा जा रहा है कि कार्यक्रमों के दौरान सिंह के भड़काऊ बयानों ने केंद्र सरकार की चिंताएं बढ़ा दी थीं। इस दौरान वह खालसा वहीर अभियान और AKF को मजबूत करने की कोशिश करता था। साथ ही वह सरकार पर सिख युवाओं को हथियार छीनने के आरोप लगाता था और यह डर पैदा करता था कि ऐसा आगे चलकर समुदाय को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है।
क्या था प्लान
खबर है कि अमृतपाल की गिरफ्तारी के बाद परेशानियों से बचने के लिए केंद्र ने पंजाब पुलिस (Punjab Police) को उसके सभी साथियों को पूर्वोत्तर या दक्षिणी राज्यों की जेलों में ले जाने के लिए कहा। एक मीडिया रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से बताया गया, ‘खुफिया एजेंसियों (intelligence agencies) ने उसके सभी साथियों को पूर्वोत्तर और दक्षिण के राज्यों की जेलों में शिफ्ट करने का सुझाव दिया था।’
उन्होंने आगे बताया, ‘ये सभी जेलें पंजाब से दूर हैं और वहां सिख आबादी भी कम है।’ खास बात है कि एजेंसियों ने अजनाला जैसी घटना से बचने के लिए यह कदम उठाया था।
हथियारों का कनेक्शन
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब पुलिस के एक अधिकारी ने खालसा वहीर को लेकर कहा, ‘असल में इस मार्च का मकसद ऑटोमैटिक हथियारों और गोला बारूद का समर्थन करने वालों को शामिल करना और साथ ही अमृतपाल के खालिस्तान के विचारों को फैलाना था।’
अधिकारी ने कहा, ‘अमृतपाल ने केंद्र के हथियारों के लाइसेंस के रिव्यू के फैसले पर आपत्ति जताई थी। उसने दावा किया था कि सिख के सभी पांच तख्त हथिायारों का समर्थन करते हैं। उसने जोर दिया कि इससे सिख निशाना बनेंगे और बगैर हथियारों के रह जाएंगे। उसने कहा है कि ऐसा ही हिटलर ने यहूदियों के साथ किया था। पहले उनके हथियार लिए गए और फिर उन्हें मारा गया।’
यूपी-बिहार से भी हैं तार
रिपोर्ट के अनुसार, एक अधिकारी ने बताया कि AKF को लेकर अलग ही तरह की चिंताएं थीं। हालांकि, इस निजी सेना का इस्तेमाल लोगों को डराने के लिए ही किया जा रहा था, लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ गैर सिख प्रवासी कामगारों पर असहीष्णुता ने चिंताएं बढ़ा दी थीं।
पाकिस्तान का एंगल समझें
बैठक के दौरान अधिकारियों ने जानकारी दी कि अमृतपाल साल 2012 में दुबई गया था और अपने परिवार के ट्रांसपोर्ट के कारोबार में ड्राईवर के तौर पर काम किया था। उस दौरान वह जसवंत सिंह रोडे के संपर्क में आ गया था। दरअसल, जसवंत पाकिस्तान में रह रहे खालिस्तानी ऑपरेटिव लखबीर सिंह रोडे और उग्रवादी परमजीत सिंह पम्मा का भाई था। आशंका जताई जा रही है कि उन्होंने ही अमृतपाल को ISI तक पहुंचाया, जहां उसे पंजाब में खालिस्तानी भावनाएं भड़काने के लिए रुपयों की पेशकश की गई।
कहा जा रहा है कि खालिस्तानी समर्थक जगतार सिंह तारा का करीबी अवतार सिंह खांडा ही अमृतपाल का बड़े हैंडलर था और उसके उभरने की वजह भी था। खबर है कि केंद्रीय एजेंसियों को वारिस पंजाब दे और पाकिस्तान के कुछ लोगों के बीच भीतार मिले हैं। पता चला है कि खालसा वहीर के लिए जुटाए गए फंड के कुछ हिस्से और अमृतपान का इस्तेमाल अमृतपाल का परिवार निजी कामों के लिए कर रहा था। इसके अलावा बैठक में अधिकारियों ने अमृतपाल के आने के बाद बढ़ी ड्रोन की घटनाओं के एंगल से भी जांच की बात कही है।
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