नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए सरकार और किसान नेताओं के बीच हुईं अभी तक की सभी वार्ताएं असफल रही हैं। शुक्रवार को भी सरकार और किसान नेताओं के बीच हुई बैठक बेनतीजा रही, लिहाजा किसानों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनका आंदोलन हर रूप में जारी रहेगा और वह 26 जनवरी को टैक्टर मार्च जरूर निकालेंगे। अब यह मार्च किस तरह और कैसे निकाला जाएगा, इसके लिए किसान नेता कल यानि रविवार अहम बैठक करेंगे।
सरकार के साथ सभी वार्ता में शामिल रहने वाले कीर्ति किसान यूनियन के उपाध्यक्ष एवं किसान नेता राजिंदर सिंह ने न्यूज18 हिंदी को बताया कि यह पहले से ही तय है कि हम टैक्टर मार्च जरूर निकालेंगे। अब यह मार्च कैसे निकाला जाएगा, इसको लेकर सभी किसान नेता कल एक अहम बैठक करने जा रहे हैं, जिसमें इसको लेकर हर अहम रणनीति तय की जाएगी।
सरकार से बातचीत में आगे रहने वाले प्रमुख किसान नेता दर्शपाल सिंह ने भी स्पष्ट किया है की दिल्ली के सभी बोर्डर्स पर किसान लगातार बड़ी संख्या में आ रहे हैं। उत्तराखंड और राजस्थान में लगातार ट्रैक्टर मार्च हो रहे हैं और सैंकडों की संख्या में किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं। बिहार और मध्यप्रदेश में किसानों के पक्के मोर्चे लगे हुए हैं।
दर्शपाल सिंह ने बताया कि ‘किसान दिल्ली चलो यात्रा’ कल यानि 15 जनवरी को ओडिशा से शुरू हो चुकी है। यह यात्रा सात दिनों में ओडिशा से पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश होते हुए दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हुए अपने किसानों के पास 21 तारीख को पहुंचेगी। ‘किसान ज्योति यात्रा’ 12 जनवरी से पुणे से शुरू हुई है और यह 26 जनवरी को दिल्ली पहुंचेगी। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र के जलगांव से महिलाओं का एक जत्था भी दिल्ली रवाना होगा। 500 से ज्यादा की संख्या में केरल से किसान शाहजहांपुर बॉर्डर पर पहुंचे हैं। तमिलनाडु के किसानों ने भी कृषि कानूनों की कॉपी जलाकर भारत सरकार के इस तर्क का जवाब दिया है कि केरल और तमिलनाडु में किसान इन कानूनों का समर्थन करते हैं।
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