चंडीगढ़: आर्मी डेंटल कोर में पुरुषों के लिए 90% रिक्तियां आरक्षित करने के सेना के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. लैंगिक भेदभाव के गंभीर मामले को देखते हुए पंजाब की डॉ. सतबीर कौर ने याचिका दायर की थी. सतबीर खुद एक डेंटल सर्जन हैं, जो एडीसी में शॉर्ट सर्विस कमीशन की आवेदक हैं.
याचिकाकर्ता के मुताबिक, कुल 30 रिक्तियों में से सेना ने 27 सीटें पुरुषों के लिए और केवल 3 महिलाओं के लिए आरक्षित की हैं. नेशनल एलिजिबिलिटी एंड एंट्रेंस टेस्ट फॉर मास्टर्स इन डेंटल साइंसेज (NEET-MDS) एडीसी के लिए आवेदन करने के लिए एक योग्यता है. याचिका में कहा गया है कि जहां 2934 के एनईईटी रैंक तक के पुरुषों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया है, तो वहीं महिलाओं को केवल 235 रैंक तक ही बुलाया गया है.
एडीसी में भर्ती की आयु 45 वर्ष तक रखी गई है. पिछले वर्ष तक यह लिंग-तटस्थ थी, यानी ऐसी भर्ती जहां नियम पुरुषों और महिलाओं दोनों को शामिल होने की अनुमति देते हैं. पुरुषों के लिए आरक्षण से भर्तियां नहीं की जा सकती हैं. भारत के संविधान के अनुसार, अनुच्छेद 15 और 16 के तहत यह स्वीकार्य नहीं है.
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति जीएस संधावालिया और न्यायमूर्ति जगमोहन बंसल की उच्च न्यायालय की पीठ ने 13 दिसंबर तक जवाब मांगते हुए यह भी निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता महिला का ठीक ढंग से साक्षात्कार किया जाना चाहिए. हालांकि, अंतिम परिणाम उच्च न्यायालय में याचिका के अधीन होगा. सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसलों को भी याद दिलाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने रूढ़िवादी बयानों के आधार पर लैंगिक-समानता का उल्लंघन करने के लिए रक्षा सेवाओं को फटकार लगाई थी.
याचिकाकर्ता के मुताबिक सैन्य अधिकारी लैंगिक समानता के समर्थन में नहीं हैं क्योंकि वे राजनीतिक कार्यकारी के आधिकारिक बयानों के साथ-साथ संवैधानिक प्रावधानों का भी उल्लंघन कर रहे हैं. उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत दी है और निर्देश दिया है कि उसका इंटरव्यू किया जाना चाहिए और एडीसी भर्ती के परिणाम याचिका के परिणाम के अधीन रहेंगे.
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