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    कैसे हूई मां दुर्गा के छठे रूप देवी कात्‍यायिनी की उत्‍पत्ति, जानें कथा

  • April 18, 2021


    आज चैत्र नवरात्रि के छठे दिन भक्‍त मां कात्यायनी देवी की पूरे श्रद्धा भाव से पूजा कर रहें हैं । इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। शक्ति के छठे रूप को मां कात्यायनी (Mother Katyayani) के नाम से जाना जाता है। इनकी उपासना से जीवन के चारों पुरुषार्थों (purushaarthon) अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की आसानी से प्राप्त हो जाती है। तो आइए हम आपको मां कात्यायनी की महिमा (glory) के बारे में बताते हैं।



    ऐसा है मां का यह स्वरूप
    पुराणों के अनुसार कात्यायनी देवी की पूजा गृहस्थ और विवाह (marriage) के इच्छुक व्यक्तियों के साथ-साथ शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में प्रयासरत भक्तों के लिए भी बहुत ही लाभदायक हैं, क्योंकि मां कात्यायनी अमोद्य फलदायिनी है। मां कात्यायनी देवी का शरीर सोने की भांति चमकीला है। चार भुजा वाली मां कात्यायनी शेर पर सवार है, जिनके एक हाथ में तलवार (sword)और दूसरे हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। साथ ही दूसरें दोनों हाथों में वरमुद्रा और अभयमुद्रा है।

    मां कात्यायनी की कथा:
    महार्षि कात्यायन (Maharishi Katyayan) ने देवी आदिशक्ति की घोर तपस्या की थी। इसके परिणामस्वरूप उन्हें देवी उनकी पुत्री के रूप में प्राप्त हुई थीं। देवी का जन्म महार्षि कात्यान के आश्राम में हुआ था। इनकी पुत्री होने के चलते ही इन्हें कात्यायनी पुकारा जाता है। देवी का जन्म जब हुआ था उस समय महिषासुर (Mahishasura) नाम के राक्षस का अत्याचार बहुत ज्यादा बढ़ गया था। असुरों ने धरती के साथ-साथ स्वर्ग (heaven) में त्राही मचा दी थी। त्रिदेवों के तेज देवी ने ऋषि कात्यायन के घर अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन जन्म लिया था। इसके बाद ऋषि कात्यायन ने मां का पूजन तीन दिन तक किया। इसके बाद दशमी तिथि के दिन महिषासुर का अंत मां ने किया था। इतना ही नहीं, शुम्भ और निशुम्भ ने स्वर्गलोक पर आक्रमण कर दिया था। वहीं, इंद्र का सिंहासन भी छीन लिया था। सिर्फ इतना ही नहीं नवग्रहों को बंधक भी बना लिया था। असुरों ने अग्नि और वायु का बल भी अपने कब्जे में कर लिया था। स्वर्ग से अपमानित कर असुरों ने देवताओं (gods) को निकाल दिया। तब सभी देवता देवी के शरण में गए और उनसे प्रार्थना (Prayer) की कि वो उन्हें असुरों के अत्याचार से मुक्ति दिलाए। मां ने इन असुरों का वध किया और सबको इनके आतंक से मुक्त किया।

    नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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