इंदौर। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने अयोध्यापुरी कालोनी (ayodhyaapuri colony) में भूखंड पीडि़तों (plot victims) की जमीन सिम्प्लेक्स इन्वेस्टमेंट प्रा.लि. ने जो खरीद रखी है उससे संबंधित दस्तावेजों की जानकारी उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए हैं। 96 सदस्यों की 4 एकड़ जमीन सिम्प्लेक्स इन्वेस्टमेंट (simplex investment) में शामिल है और इसी मामले में सुरेन्द्र संघवी (Surendra Sanghvi) और उनके बेटे प्रतीक संघवी (Pratik sanghvi) के खिलाफ प्रशासन ने एफआईआर (FIR) दर्ज करवाई थी और लम्बे समय तक फरारी के बाद संघवी को हाईकोर्ट से जमानत मिली, जिसे पुलिस महकमे की ओर से प्रदेश शासन ने सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में चुनौती दी है, जिसमें अयोध्यापुरी रहवासी संघ ने भी अग्रिम जमानत के आदेश को खारिज करने की मांग की है। 8 हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट ने जानकारी देने के निर्देश दिए हैं अन्यथा अग्रिम जमानत का आदेश खारिज भी किया जा सकता है। यानी संघवी पर तलवार लटकी रहेगी। शासन और रहवासी संघ के अभिभाषकों ने सुप्रीम कोर्ट (supreme court) को यह भी जानकारी दी कि जांच में सहयोग नहीं किया जा रहा है और ना चाहे गए दस्तावेज उपलब्ध करवाए गए।
मुख्यमंत्री (chief minister) के निर्देश पर पिछले दिनों गृह निर्माण संस्थाओं (Home developing organisations) के फर्जीवाड़े और भूमाफियाओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई। कलेक्टर मनीष सिंह ने सख्ती दिखाते हुए देवी अहिल्या श्रमिक कामगार समिति की जांच भी शुरू करवाई और पीडि़तों को मौके पर कब्जे भी दिलवा दिए हैं। प्रेस कॉम्प्लेक्स (press complex) के पास स्थित अयोध्यापुरी में कई सदस्यों को ना सिर्फ भूखंडों के कब्जे मिले, बल्कि उस पर उन्होंन ेमकान का निर्माण कर लिया और संस्था का दफ्तर भी दो भूखंडों पर बना लिया है। संस्था की बिकी जमीनें रसूखदारों ने खरीदी, उनमें से कई जमीन सरेंडर हो गई है। वहीं एक जमीन सिम्प्लेक्स इन्वेस्टमेंट (land simplex investment) ने भी खरीदी है, जिसके चलते सुरेन्द्र व प्रतीक संघवी पर एफआईआर दर्ज हुई और इस मामले में दीपक मद्दे सहित अन्य को भी आरोपी बनाया गया है। चार एकड़ जमीन जो सिम्प्लेक्स इन्वेस्टमेंट ने खरीदी वह किस खाते से प्राप्त किए गए और उसका हिसाब-किताब क्या है, क्योंकि सिम्प्लेक्स ने देवी अहिल्या के पक्ष में जो 2.20 करोड़ का चेक दिया था वह भी बाउंस हो गया और संस्था के खाते में राशि आई भी नहीं। लिहाजा 2005 से लेकर 2009 तक के बीच सिम्प्लेक्स इन्वेस्टमेंट (simplex investment) से अयोध्यापुरी की जमीन खरीदी से संबंधित सभी दस्तावेज और अन्य जानकारियां मांगी गई है। कल सुप्रीम कोर्ट में शासन की ओर से अग्रिम जमानत पर हाईकोर्ट के दिए आदेश को रद्द करने की जो अपील की गई है उस पर सुनवाई हुई। इसमें अयोध्यापुरी रहवासी संघ भी एक पार्टी है और उसकी ओर से भी अभिभाषक खड़े हुए हैं। शासन और रहवासी संघ के अभिभाषकों ने सुप्रीम कोर्ट (supreme court) बताया कि संघवी द्वारा जांच में सहयोग नहीं किया जा रहा है। दस्तावेज, ऑडिट रिपोर्ट, बैंक खातों के लेन-देन सहित सिम्प्लेक्स इन्वेस्टमेंट के खातों सहित अन्य कई दस्तावेज अभी तक जांच के लिए उपलब्ध नहीं करवाए गए हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि अग्रिम जमानत को अगर बहाल रखना है तो यह जानकारी देना होगी, जिसके लिए आठ हफ्ते का समय कोर्ट ने दिया है।
9 प्रॉपर्टी ब्रोकर हुए पेश… दो दर्जन टाउनशिप की दी जानकारी
कलेक्टर मनीष सिंह (collector manish singh) ने पिछले दिनों धड़ल्ले से कटी कालोनियों और उनमें डायरियों पर बिके भूखंडों की जांच-पड़ताल शुरू करवाई। एक दर्जन से अधिक ब्रोकरों यानी दलालों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी हुए, जिनकी लगातार पेशी चल रही है। एक दलाल को जेल भी भिजवाया। इस पूरे मामले की जांच अपर कलेक्टर राजेश राठौर द्वारा की जा रही है। उन्होंने बताया कि कल 9 ब्रोकर पेश हुए और उनसे संबंधित जानकारियां ली गई। दो दर्जन से अधिक टाउनशिपों में इन ब्रोकरों ने माल बेचा है। वहीं एक अन्य ब्रोकर नीलेश पोरवाल को 29 नवम्बर को पेश होने के लिया कहा गया है। जबकि एक ब्रोकर प्रतीक खंडेलवाल ने बाहर होने के कारण अगली पेशी पर उपस्थित होने की अनुमति मांगी है।
चम्पू, चिराग, धवन मामले की भी आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
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