नई दिल्ली। कश्मीर घाटी में बीते कुछ महीनों में स्थानीय हिंदुओं और प्रवासी लोगों पर हमले तेज हुए हैं। इसके चलते सुरक्षा बल सतर्क हैं और अब ऐक्शन मोड में आ गए हैं। सुरक्षा बलों ने 250 ओवरग्राउंड वर्कर्स को अरेस्ट किया है, जो आतंकवादियों को मदद करते थे या फिर उन्हें जानकारी देते थे। इन लोगों को यूएपीए और पब्लिक सिक्योरिटी ऐक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है। इनमें से ज्यादातर लोगों को जम्मू-कश्मीर से बाहर की जेलों में रखा गया है। इन लोगों पर ऐक्शन की शुरुआत बीते साल हुई थी। मई 2021 तक ही 150 लोगों को प्रशासन ने गिरफ्तार किया था।
लेकिन इनके आंकड़े में बीते 5 महीने में तेजी से इजाफा हुआ है। अकेले मई में ही करीब 50 लोगों को अरेस्ट किया गया है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2020 में 135 लोगों को अरेस्ट किया गया था। इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने आतंकवादियों को मूवमेंट में मदद की। हथियारों की सप्लाई में मदद की और उन्हें रहने के ठिकाने दिलाए। ओवरग्राउंड वर्कर्स उन लोगों को कहा जाता है, जो आम नागरिक की तरह ही जिंदगी जीते हैं, लेकिन अंदरखाने आतंकवादियों के संपर्क में रहते हैं। आम लोगों की तरह ही नौकरी करने और अन्य कामों में शामिल होने के चलते इनकी पहचान करना मुश्किल होता है।
ऐसे में ओवरग्राउंड वर्कर्स और भी खतरनाक हो जाते हैं। होम मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने इनके कामकाज को लेकर कहा कि ये लोग कोशिश करते हैं कि हमलावर की पहचान न हो सके। ज्यादातर हमलों में अब छोटे हथियारों का इस्तेमाल हो रहा है, जिन्हें वह छिपाकर रखते हैं। हर किसी की जांच करना सुरक्षा बलों के लिए संभव नहीं होता है। ऐसे में इन हथियारों को लेकर जाना आसान होता है। एक तरफ सुरक्षा बल कश्मीर में हिंसा को रोकने की कोशिशों में जुटे हैं तो वहीं केंद्र सरकार की ओर से इस बात की जांच की जा रही है कि आखिर इन घटनाओं में किसका हाथ है।
बता दें कि सुरक्षा बलों ने 24 मई को अवंतिपोरा में जैश-ए-मोहम्मद के टेरर मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था और 8 लोगों को अरेस्ट कर लिया था। इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने आतंकियों को शरण दी, सुविधाएं मुहैया कराईं और हथियारों की भी सप्लाई करने का काम किया। इन लोगों ने आसिफ शेख और एजाज भट नाम के दो आतंकियों को हथियार मुहैया कराए थे। इसके अलावा एक और ओवरग्राउंड वर्कर को 26 मई को एनआईए ने अरेस्ट किया था। इस शख्स पर सुजवां आतंकी हमले में शामिल होने का आरोप था, जिसकी पहचान आबिद अहमद मीर के तौर पर हुई थी।
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