नई दिल्ली: भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हो सकते हैं या नहीं, इसको लेकर भारत सरकार सभी विकल्पों की तलाश कर रही है. इस पूरे मंथन मेें एक जानकारी चुनाव आयोग के हवाले से सामने आई है. आयोग के मुताबिक अगर देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाते हैं तो चुनाव आयोग को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें यानी ईवीएम खरीदने के लिए हर 15 साल में तकरीबन 10,000 करोड़ रूपये की जरूरत होगी.
चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से कहा है कि ईवीएम यानी इलेकट्रॉनिक वोटिंग मशीन की शेल्फ लाइफ 15 साल की होती है. ऐसे में अगर लोकसभा औऱ विधानसभा के चुनाव साथ हुए यानी एक देश-एक चुनाव की परिकल्पना हकीकत अगर बन पाई तो एक बार जो मशीनें खरीदी जाएंगी, उससे कुल तीन चुनाव कराए जा सकते हैं.
चुनाव आयोग ने जो अनुमान लगाया है, उसकी मानें तो अगले आम चुनावों से देश में तकरीबन 11 लाख 80 हजार पोलिंग स्टेशन यानी मतदान केंद्रों की जरूरत पड़ेगी. चूंकि विधानसभा और लोकसभा के चुनाव साथ-साथ होने हैं, लिहाजा एक मतदान केंद्र पर 2 ईवीएम लगाने पड़ेंगे.
चुनाव आयोग ने और क्या कहा
चुनाव आयोग की मानें तो न सिर्फ 11 लाख 80 हजार पोलिंग स्टेशन के हिसाब से व्यवस्था करनी होगी बल्कि कुछ वीवीपैट मशीनें, कंट्रोल और बैलेट यूनिट को बैकअप के तौर पर भी रखना होगा. ताकि ईवीएम में खराबी और दूसरी गड़बड़ी की स्थिति में ईवीएम और दूसरी चीजों को बदला जा सके. एक ईवीएम के साथ एक कंट्रोल यूनिट, एक बैलट यूनिट और एक वीवीपैट मशीन की जरूरत पड़ती है. ऐसे में चुनाव आयोग को तकरीबन 46 लाख 75 हजार बैलट यूनिट, 33 लाख 63 हजार कंट्रोल यूनिट और 36 लाख 62 हजार के लगभग वीवीपैट मशीनों की आवश्यकता पड़ेगी.
क्यों 2029 से पहले ये मुमकिन नहीं
चुनाव आयोग की मानें तो एक ईवीएम के बैलेट यूनिट की अनुमानित कीमत 7 हजार 900 रूपये के करीब होगी. वहीं एक कंट्रोल यूनिट की 9 हजार 800 रूपये और एक वीवीपैट मशीन की कीमत लगभग 16 हजार रूपये है. ईवीएम के लिए स्टोरेज, साथ ही गाड़ियों और सुरक्षा कर्मियों की जरूरत को देखते हुए चुनाव आयोग का कहना है कि पहला एक देश एक चुनाव 2029 में से पहले संभव नहीं है. हां ये तैयारियां कर ली गईं तो 2029 में यह चुनाव कराया जा सकता है.
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