वॉशिंगटन। अमेरिका में पांच नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होना है। ऐसे में इन आखिरी हफ्तों में डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन उम्मीदवार यानी कमला हैरिस तथा डोनाल्ड ट्रंप चुनावी तैयारी में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। जैसे-जैसे इस साल के राष्ट्रपति पद के चुनाव पास आ रहे वैसे-वैसे प्रचार-प्रसार जमकर किया जा रहा है। इस बीच, चुनाव से दो हफ्ते पहले ही दो करोड़ से अधिक लोगों ने अपना वोट डाल दिया है।
फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के इलेक्शन लैब के आंकड़ों के अनुसार, करीब 78 लाख वोट प्रारंभिक व्यक्तिगत मतदान (early in-person methods) के माध्यम से आए, जबकि शेष 1.3 करोड़ वोट डाक-इन-बैलेट (डाक मतपत्रों) के माध्यम से डाले गए। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि विजेता का फैसला सात राज्यों एरिजोना, नेवादा, विस्कॉन्सिन, मिशिगन, पेंसिल्वेनिया, उत्तरी कैरोलिना और जॉर्जिया में चुनाव के नतीजों के आधार पर किया जाएगा।
प्रारंभिक मतदान अमेरिकी मतदाताओं के लिए एक अलग और खास प्रावधान है, जिसमें मतदाता या तो डाक-इन-बैलेट के जरिए या वे कई राज्यों में वास्तविक वोटिंग से कुछ सप्ताह पहले खुलने वाले मतदान केंद्रों पर जाकर अपना वोट डाल सकते हैं। डाक-इन-बैलेट कुछ मायनों में भारत के डाक मतपत्रों की तरह ही होता है।
फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में इलेक्शन लैब के अनुसार, एशियाई अमेरिकियों के बीच शुरुआत मतदान प्रतिशत सिर्फ 1.7 फीसदी है।हालांकि, कई स्थानों पर कई भारतीय-अमेरिकियों को वोट डालने के लिए कतारों में खड़े देखा गया। 88 वर्षीय चंचल झिंगन और उनकी बेटी वंदना झिंगन 21 अक्तूबर को इलिनोइस के एक उपनगर में मतदान के अधिकार का प्रयोग करने के लिए लाइन में खड़ी हुईं। उन्होंने बताया कि उन्होंने ऐसे व्यक्ति के लिए मतदान किया, जो अमेरिका को फिर से महान बना सकता है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उम्मीद से अधिक रिपब्लिकन जल्दी मतदान कर रहे हैं। एरिजोना में शुरुआती मतपत्रों पर नजर रखने वाले डेमोक्रेटिक राजनीतिक रणनीतिकार सैम एल्मी ने कहा, ‘उन्होंने (रिपब्लिकन) अपने मतदाताओं को जल्दी वोट देने के लिए प्रेरित करने का बेहतर काम किया है। मुझे लगता है कि उन्हें एहसास हो गया है कि जल्दी वोट करना आसान और सुविधाजनक है। इससे आपके मतदाता जल्दी वोट देते हैं । साथ ही चुनाव के दिन मतदाताओं का विचार बदलने का खतरा नहीं उठाना पड़ता है।’
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