नई दिल्ली। मिल्खा सिंह (Milkha Singh) की बेटी सोनिया सांवलका ने अपने पिता के जीवन पर रेस ऑफ माई लाइफ नाम से किताब लिखी, जो साल 2013 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब के प्रकाशित होने के बाद फिल्म निर्माता राकेश ओम प्रकाश मेहरा (Producer Rakeysh Om Prakash Mehra) ने उनके जीवन पर फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ (Movie Bhaag Milkha Bhaag) बनाने का निर्णय लिया। फिल्म बनाने की अनुमति देने के बदले निर्माता राकेश ओम प्रकाश मेहरा से मिल्खा सिंह (Milkha Singh) ने मात्र एक रुपये का नोट लिया था। इस एक रुपये की खास बात यह थी कि एक रुपये का यह नोट साल 1958 का था, जब मिल्खा ने राष्ट्रमंडल खेलों (Commonwealth Games) में पहली बार स्वतंत्र भारत के लिए स्वर्ण पदक (gold medal) जीता था।एक रुपये का यह नोट पाकर मिल्खा भावुक हो गए थे। यह नोट उनके लिए एक कीमती याद की तरह था। इस फिल्म में अभिनेता फरहान अख्तर (Farhan Akhtar) ने मिल्खा की भूमिका निभाई थी। फिल्म को देखकर मिल्खा सिंह (Milkha Singh) ने कहा था कि इससे युवाओं को खेलों में देश के लिए मेडल जीतने की प्रेरणा मिलेगी।
भाग मिल्खा भाग के प्रदर्शित होने के बाद इसे बेहतर रिस्पांस मिला था। इसके बाद फिल्म में मिल्खा सिंह का किरदार निभाने वाले अभिनेता फरहान अख्तर सहित फिल्म में काम करने वाले सितारे चंडीगढ़ सेक्टर 8 स्थित मिल्खा सिंह के घर भी पहुंचे थे।
मिल्खा सिंह के निधन से दुखी हूं…नहीं पता था आखिरी बातचीत है: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिल्खा सिंह के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि हमने एक महान खिलाड़ी को खो दिया। देश के नागरिकों के दिलों में मिल्खा सिंह बसते थे। उन्होंने देश के लाखों लोगों को अपने व्यक्तित्व से प्रेरित किया है। उनके निधन से मैं बहुत दुखी हूं। पीएम ने लिखा कि उन्होंने कुछ ही दिनों पहले मिल्खा सिंह से बात की थी लेकिन उन्हें नहीं पता था कि वे आखिरी बार उनसे बात कर रहे हैं।
कोरोना से अंतिम सांस तक बहादुरी से लड़े मिल्खा सिंह: पीजीआई
पीजीआई चंडीगढ़ के प्रवक्ता डॉ अशोक कुमार ने बताया कि मिल्खा सिंह को तीन जून को कोविड आईसीयू में भर्ती कराया गया था। कोविड के साथ उन्होंने बहादुर लड़ाई लड़ी। उनकी रिपोर्ट भी निगेटिव आई। लेकिन पोस्ट -कोविड जटिलताओं के कारण, उन्हें कोविड अस्पताल से मेडिकल आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया था।
मेडिकल टीम के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद मिल्खा सिंह को उनकी गंभीर स्थिति से नहीं निकाला जा सका और वे चले गए। पीजीआई में उन्होंने 18 जून की रात 11.30 बजे अंतिम सांस ली। पीजीआई के निदेशक प्रो. जगतराम ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें हमेशा मैदान पर उनके सपोर्टिंग आइकन और बाहर उनकी असाधारण उपलब्धियों व उनके प्यारे मानवीय व्यक्तित्व के लिए याद किया जाएगा।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved