नई दिल्ली। Dussehra- असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजया दशमी (Vijaya Dashami) यानी दशहरा (Dussehra) आज देश भर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाते हैं। इस दिन रावण पुतला दहन किया जाता है। रावण (Dussehra) को दशानन भी कहते हैं।
आपको बता दें कि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन विजयादशमी यानी दशहरे का पर्व मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिन पूरे होने के बाद दशमी तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने लंकाधिपति दशानन का वध कर सीता माता को छुड़ाया था। दशहरे के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाते हुए रावण का पुतला जलाया जाता है। इस दिन रावण के साथ उसके भाई कुंभकरण और बेटे मेघनाद के भी पुतलों का दहन किया जाता है।
रावण की कितनी पत्नियां थीं ?
कहा जाता है कि रावण की तीन पत्नियां थीं। पहली पत्नी का नाम मंदोदरी था। मंदोदरी राक्षसराज मयासुर की बेटी थी। इंद्रजीत, मेघनाद, महोदर, प्रहस्त, विरुपाक्ष भीकम वीर मंदोदरी की संतानें थीं। रावण की दूसरी पत्नी का नाम धन्यमालिनी था। धन्यमालिनी ने दो पुत्रों अतिक्या और त्रिशिरार को जन्म दिया था। वहीं तीसरी पत्नी का नाम अज्ञात है। तीसरी पत्नी के बारे में कहा जाता है कि रावण ने उसकी हत्या कर दी थी। मान्यताओं के अनुसार, तीसरी पत्नी के प्रहस्था, नरांतका और देवताका नामक पुत्र थे।
रावण के माता-पिता
मान्यताओं के अनुसार, रावण ऋषि विश्वश्रवा और कैकसी का संतान था। कैकसी ऋषि विश्वश्रवा की दूसरी पत्नी थीं। ऋषि विश्वश्रवा की पहली पत्नी का इलाविडा था, जिनसे रावण से पहले कुबेर का जन्म हुआ था।
रावण के भाई-बहन
रावण के कुल 8 भाई-बहन थे। विभीषण, कुंभकरण, अहिरावण, खर, दूषण रावण के सगे भाई थे। सूर्पनखा और कुम्भिनी रावण की सगी बहनें थीं। इसके अलावा रावण का सौतेला भाई (जो कि रावण से बड़े थे) कुबेर थे।
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