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विधानसभा चुनावों में वर्चुअल चुनाव प्रचार के लिए कितने तैयार राजनीतिक दल?

January 12, 2022

– कमलेश पांडे

कोरोना की चुनौतियां और ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे के बीच केंद्रीय चुनाव आयोग ने देश के पांच राज्यों में आगामी 10 फरवरी से 7 मार्च के बीच सात चरणों में होने वाले विधानसभा चुनावों की क्रमशः 10, 14, 20, 23 व 27 फरवरी एवं 3 व 7 मार्च की तारीखों का ऐलान कर दिया है। लगे हाथ ही उसने चुनाव प्रचार के लिए नई गाइड लाइंस भी तय कर दी है, जिससे इन सभी राज्यों में डिजिटल और वर्चुअल चुनाव प्रचार की उम्मीदें जग गई हैं। हालांकि, इस पर निर्णायक निर्णय 15 जनवरी को कोविड समीक्षा के बाद आएगा। लेकिन 15 जनवरी तक सभी राजनीतिक दलों को डिजिटल व वर्चुअल चुनाव प्रचार पर ज्यादा निर्भर रहना होगा।

ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या राजनीतिक दल इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं? और यदि हां, तो क्या सभी मतदाताओं तक उनकी डिजिटल और वर्चुअल माध्यम से पहुंच संभव है! क्या सभी विधानसभा क्षेत्रों में डिजिटल संसाधन उपलब्ध हैं, जिसका फायदा निर्दलीय उम्मीदवार भी आयोग द्वारा तय चुनाव खर्च सीमा के अंदर उठा सकें। सवाल यह भी है कि भारत में मीडिया और इंटरनेट का जाल कितना बड़ा है और राजनीति के डिजिटलीकरण से कौन सी आबादी चुनावी अभियानों से जुड़ पाएगी और कौन सी नहीं? क्योंकि भारत में एक तरफ डिजिटल क्रांति है तो दूसरी तरफ गरीबी, अशिक्षा के साथ ही दूरस्थ इलाकों तक कई तरह की डिजिटल सुविधाओं व अन्य संसाधनों की समुचित पहुंच नहीं है, जिस पर गौर किये बिना शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष चुनाव की गारंटी नहीं दी जा सकती है।

वहीं, समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने डिजिटल और वर्चुअल माध्यम से चुनाव प्रचार को लेकर हुए कहा है कि जिन वर्कर के पास संसाधन नहीं है वो वर्चुअल रैली कैसे करेंगे। जो छोटी पार्टियां हैं उन्हें कैसे स्पेस मिलेगा। इसलिए डिजिटल प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने में चुनाव आयोग हमारी मदद करे। उन्होंने आयोग से मांग की है कि विपक्षी पार्टियों व छोटे छोटे दलों को सरकारी प्रचार माध्यमों यानी आकाशवाणी और दूरदर्शन पर सत्ताधारी भाजपा व अन्य दलों से ज्यादा समय दिया जाए। स्वाभाविक है कि आयोग इस पर भी गौर करेगा और देर-सबेर कोई माकूल व्यवस्था देगा, ताकि उसकी साख बची रहे।

खैर, जब चुनाव आयोग ने फैसला किया है तो स्वाभाविक है कि उसने राजनीतिक दलों व अधीनस्थ प्रशासनिक अधिकारियों से हरेक संभावित पहलुओं का आकलन करके ही उनकी भी रजामंदी अवश्य ली ही होगी, अन्यथा इतना बड़ा फैसला वह खुद तो नहीं ले सकता है। क्योंकि केंद्रीय चुनाव आयोग ने पूरी चुनावी प्रक्रिया की तिथियों को घोषित करते हुए आगामी 15 जनवरी तक के लिए सभी तरह के रोड शो, साइकिल रैली, पदयात्रा और जनसभाओं पर स्पष्ट रूप से रोक लगा दी है। साथ ही उसने सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे जनसंपर्क के लिए ज्यादा से ज्यादा डिजिटल व वर्चुअल साधनों का ही प्रयोग करें। इसके अलावा, डोर टू डोर कैम्पेन में भी अधिकतम पांच लोग ही शामिल हों। वहीं, आयोग ने यह भी साफ कर दिया है कि 15 जनवरी को वह देश में कोरोना संक्रमण की स्थिति का जायजा लेने के बाद ही चुनाव प्रचार के लिए नई गाइड लाइंस जारी करेगा। यानी कि चुनावी रैलियों व नुक्कड़ सभाओं आदि पर लगाए गए प्रतिबंध पर छूट मिलेगी या वह जारी रहेगी। कहने का तातपर्य यह कि यदि कोरोना संक्रमण के मामलों में उस दिन तक गिरावट नहीं आई तो जनसंपर्क के लिए ज्यादा से ज्यादा डिजिटल व वर्चुअल चुनाव प्रचार के साधनों का ही प्रयोग करने का विकल्प राजनीतिक दलों के पास बचेगा।

बता दें कि मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने स्पष्ट कहा है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए चुनाव की प्रक्रिया पूरी करवाना एक चुनौती है। ऐसे में हमने कोविड सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए चुनाव कराने का निर्णय लिया है। हमारी कोशिश है कि मतदाता अपनी सुविधा और पूरी सुरक्षा के साथ मतदान कर सकें। उन्होंने साफ कहा है कि कोरोना वायरस के बीच चुनाव कराना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन लेकिन यह हमारा कर्तव्य है। हमने चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की और यह तय किया कि कोरोना नियमों के साथ चुनाव कराएंगे, क्योंकि पांच राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है। इसलिए 690 विधानसभा सीटों पर मतदान होने वाला है। जहां चुनावों में कुल 18.3 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे। कोरोना में चुनाव कराना महत्वपूर्ण है। इसके लिए नए प्रोटोकॉल बनाए गए हैं। कुछ तैयारियां भी की गई हैं। हमने इस बार तीन उद्देश्यों पर काम किया है। कोविड फ्री चुनाव, मतदाताओं की सहूलियत और अधिकतम मतदाताओं की भागीदारी। चूंकि हर राज्य की विधानसभा सीट का कार्यकाल पांच साल ही रह सकता है। लिहाजा समय पर चुनाव कराना लोकतांत्रिक शासन सुनिश्चित कराने के लिए जरूरी है। चुनाव ड्यूटी में लगे सभी अधिकारी ऐसे होंगे, जो टीके की दोनों खुराक ले चुके हैं। उन्हें एहतियाती अतिरिक्त खुराक भी दी जा सकेगी।

बता दें कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का एलान होते ही पांचों राज्यों में आदर्श आचार संहिता यानी मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू हो गई है। इन चुनावों की मतगणना 10 मार्च को होगी। इन चुनावों में 2.15 लाख मतदान केंद्र होंगे। हर मतदान केंद्रों पर अधिकतम 1250 वोटर ही होंगे। हर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में एक मतदान केंद्र पूरी तरह से महिला स्टाफ के जिम्मे होगा। 690 निर्वाचन क्षेत्रों में ऐसे 1620 मतदान केंद्र होंगे। चुनाव में धनबल का इस्तेमाल रोका जाएगा। गैरकानूनी पैसे-शराब पर कड़ी नजर रखी जाएगी। सभी एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया है। पैसे के दुरूपयोग पर ज़ीरो टॉलरेंस, गैर कानूनी पैसे और शराब पर नज़र रहेगी। सभी एजेंसियां अलर्ट पर रहेंगी। सभी राजनीतिक दलों के लिये सुविधा एप बनाया गया है। विधानसभा चुनाव के लिये खर्च की सीमा बढ़ायी गई है, जो अधिकतम 40 लाख रुपये कर दी गई है। वहीं, मुख्य चुनाव आयुक्त ने ये भी साफ कर दिया है कि इस बार क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को समाचार पत्रों व टीवी चैनलों पर अपना आपराधिक अभिलेख प्रकाशित करना होगा। साथ ही राजनीतिक दलों को भी ऐसे उम्मीदवारों को टिकट देने के पीछे की वजह बतानी होगी। हालांकि, जीतने की योग्यता वाले तर्क को खारिज कर दिया जाएगा।

बता दें कि चुनाव आयोग के ताजा दिशा निर्देशों के मद्देनजर राजनैतिक पार्टियां फेसबुक लाइव से लेकर 3डी रैली तक के ‘डिजिटल चुनाव प्रचार’ की योजनाओं पर अमल करने जा रही हैं। क्योंकि कोरोना के खतरे ने उन्हें वर्चुअल व डिजिटल रैलियों के लिए मजबूर कर दिया है। इसलिए उनके रणनीतिकारों ने डिजिटल सलाहकारों की मदद से अपनी भावी रैलियों को लेकर चुनावी रणनीति बदल दी है और वे अपने चुनावी वाररूम को वारफुटिंग पर चालू करने में तल्लीनता पूर्वक जुट गए हैं।

राजनीतिक मामलों के जानकारों के मुताबिक, सभी पार्टियां राज्य भर में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में एलईडी स्क्रीन वाले वैन और ट्रकों का उपयोग करके वीडियो को प्रदर्शित करने योजना बना रही हैं। क्योंकि सभी राजनीतिक दलों से डिजिटल और वर्चुअल चुनाव प्रचार करने की अपील चुनाव आयोग ने भी चुनाव की तिथियां घोषित करते हुए की है।

कांग्रेस महासचिव और पार्टी की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा अपने सोशल मीडिया पेजों पर पार्टी की महिला केंद्रित मिशन ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ अभियान चला रही हैं। मसलन, कोविड संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए कांग्रेस पार्टी जमीनी रैलियों, मैराथन और चुनावी अभियानों को स्थगित करते हुए वर्चुअल मोड में आ चुकी है। पार्टी फिलहाल नई उपजी परिस्थितियों में चुनाव प्रचार की रणनीति में बदलाव करने में जुट गई है। जानकार बताते हैं कि पार्टी प्रदेश कार्यालय में पार्टी का कॉल सेंटर हमेशा चलता है, इसे ही डिजिटल वाररूम में तब्दील किया जा रहा है। वोटरों तक पहुंचने के लिए सीमित लोगों के साथ डोर टू डोर कैंपेन और डिजिटल व वर्चुअल नुक्कड़ सभाएं भी आयोजित की जाएंगी। वर्चुअल सभाओं की भी तैयारी को अंतिम रुप दिया जा रहा है। वहीं, सोशल मीडिया के सहारे भी मतदाताओं तक पहुंच बनाई जाएगी। वहीं, उन अभियानों को अंतिम रूप दिया जा रहा है जिन्हें वर्चुअल तरीके से चला कर नए मतदाताओं को जोड़ा जा सके।

बता दें कि पिछले दिनों भाजपा की रैलियों में बड़ी भीड़ और कोविड का प्रोटोकॉल न होने को लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग को एक पत्र भेजा था। जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा और प्रमोद तिवारी, पीएल पुनिया जैसे नेताओं की तरफ़ से संयुक्त रूप से भारत निर्वाचन आयोग से सरकारी खर्चे पर बड़ी रैलियों पर रोक लगाने और भारी भीड़ वाली रैलियों को रोकने की माँग की गयी थी, जिस पर अब चुनाव आयोग का ताजा निर्देश उसके मनोनुकूल आ गया है। इससे कांग्रेस उत्साहित नजर आ रही है।

एक तरफ उत्तरप्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने डिजिटल व वर्चुअल चुनाव प्रचार अभियानों पर सत्ताधारी दल भाजपा के मुकाबले संसाधनों की कमी का रोना रोया है और परस्पर संतुलन स्थापित करने के लिए आयोग से विपक्षी पार्टियों को सरकारी टीवी, रेडियो चैनलों व डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अधिक समय दिलवाने की मांग रखी है। वहीं, दूसरी तरफ उसने डिजिटल व वर्चुअल चुनाव प्रचार अभियान चलाने के लिए अंदरूनी तौर पर अपने सभी घोड़े खोल दिये हैं। क्योंकि वह हर हाल में अपनी खोई हुई सत्ता पाना चाहती है। यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है कि यूपी की सत्ता में रहते हुए 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान भी समाजवादी पार्टी का सोशल मीडिया वॉर रूम काफी सक्रिय रहा था। जानकारों का कहना है कि सपा की योजना अब सोशल मीडिया गेम को कई पायदान ऊपर ले जाने की है।

सपा अब सोशल मीडिया पर अपना प्रचार लाने जा रही है। एक ओर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व अन्य दिग्गज नेता और पार्टी उम्मीदवारों के भाषण फेसबुक पर लाइव चलेंगे। तो दूसरी ओर व्हाट्सएप्प पर सभी नेताओं के ज्यादा से ज्यादा संदेश भेजे जाएंगे। यही नहीं, टीवी चैनलों, सोशल मीडिया, न्यूज़, व्यूज व मनोरंजन पोर्टल आदि पर भी नेताओं के भाषण व उनकी तथा पार्टी की उपलब्धियों का प्रचार होगा और विरोधियों पर तीखे हमले किये जायेंगे। वहीं, समाजवादी पार्टी की डिजिटल विंग अपनी वेबसाइट http://spdigitalwing.com पर युवाओं को जोड़ रही है। इसके तहत पार्टी समर्थक युवा अपने जिले व निर्वाचन क्षेत्र का चयन कर सकते हैं। वहीं, एक पार्टी का व्हाट्सएप्प ग्रुप का नंबर भी जारी किया गया है। जिसमें क्यूआरकोड स्कैन कर उन्हें ग्रुप में शामिल कराया जा रहा है। इसके लिए समाजवादी पार्टी ने राज्य के 403 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा संचालित व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए लोगों को आमंत्रित करने वाला एक लिंक भी ट्वीट किया है।

कोरोना संक्रमण के मद्देनजर बहुजन समाज पार्टी भी डिजिटल व वर्चुअल चुनाव प्रचार समेत एचडी रैलियां करने की तैयारियों में जुट गई है। इस नजरिए से पार्टी प्रमुख सुश्री मायावती के लिए पार्टी कार्यालय और उनके आवास पर एक सेटअप तैयार किया जा रहा है। वहीं, उनके भतीजे आकाश आनंद के लिए दिल्ली में ही एक और सेटअप तैयार किया जा रहा है, जहां से अपनी और पार्टी की जरूरत के आधार पर वे दिल्ली से ही यूपी व पंजाब आदि की वर्चुअल व डिजिटल रैलियों को संबोधित करेंगे। बसपा ने इसके लिए कुछ दिग्गज तकनीकी विशेषज्ञों की टीम को भी लगाया है। इसके लिए चिन्हित जगहों पर कैमरे लगाए जा रहे हैं। बताया गया है कि जिस विधानसभा सीट या सम्बन्धित जनपद में रैलियां होंगी, वहां पर बड़ी बड़ी टीवी स्क्रीन लगाई जाएगी। वहीं, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र भी अधिकतर डिजिटल रैलियां ही करेंगे। बताया गया है कि कोरोना का प्रकोप कम होने पर और चुनाव आयोग द्वारा हरी झंडी मिलने पर ही भविष्य में क्षेत्रीय रैलियां होंगी। वहीं, बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए बसपा महिला संवाद कार्यक्रम को भी स्थगित कर दिया गया है। हालांकि, उनके प्रतिद्वंद्वी दलों के मुकाबले बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती की डिजिटल व वर्चुअल चुनाव प्रचार की तैयारियां अभी बहुत पीछे हैं।जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी पार्टियां सोशल मीडिया पर आक्रामक रूख के साथ मौजूद हैं।

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के दृष्टिगत अब आम आदमी पार्टी भी डिजिटल व वर्चुअल सभाएं ही करेगी। गत 8 जनवरी को उसने वाराणसी में आयोजित एक वर्चुअल जनसभा के माध्यम से अपने डिजिटल व वर्चुअल परफॉर्मेंस का आगाज भी कर दिया और पार्टी के प्रदेश प्रभारी एवं राज्यसभा सांसद संजय सिंह की बढ़ती लोकप्रियता का डिजिटल ढिंढोरा भी पीट दिया। प्रदेश प्रवक्ता महेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि सांसद के संबोधन का लिंक सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर शेयर किया गया, जिसे लोगों ने अपने-अपने घरों में ही बैठकर फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम व यू-ट्यूब के माध्यम से देखा सुना। इससे पार्टी की लोकप्रियता भी बढ़ी।

उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी बीजेपी, जो अबतक हुए चुनाव अभियानों में सोशल मीडिया गेम का नेतृत्व करती आई है, ने अपने पिछले एक महीने से कई अखबारों में फुल पेज या हाफ पेज विज्ञापनों की बौछार कर रही है। खास बात यह कि इनमें से अधिकांश विज्ञापनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की तस्वीरों के साथ तीन मुख्य नारे ही प्रकाशित किए जा रहे हैं- ‘डबल इंजन की सरकार’; ‘सोच ईमानदार, काम दमदार’ और ‘फर्क साफ है’।

वहीं, पिछले कुछ समय से बीजेपी समर्थकों के व्हाट्सएप ग्रुप और ट्विटर हैंडल पर भी इसी तरह के मैसेज प्रेषित हो रहे हैं। चुनाव आयोग द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने से पहले बीजेपी भी मजबूत जमीनी जनसंपर्क अभियान चला रही थी, लेकिन चुनाव आयोग का ताजा चुनावी दिशा निर्देश मिलते ही पार्टी के शीर्ष आईटी विंग के एक अधिकारी ने कहा है कि बीजेपी का फोकस ‘3 डी तकनीक’ का इस्तेमाल कर सोशल मीडिया पर वर्चुअल रैलियां करने का है। उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी के पास पहले से ही हरेक राज्य में करीब 1.5 लाख से अधिक बूथ स्तर पर व्हाट्सएप ग्रुप मौजूद हैं, जिसका भाजपा चुनावी सदुपयोग करेगी।

बता दें कि कोरोना काल में भाजपा ने अपनी नियमित बैठकों के लिए पार्टी के रणनीतिक डिजिटल प्लेटफार्म का प्रयोग किया था। दरअसल, पार्टी की संगठनात्मक दृष्टि से 1918 मंडल हैं, जहां आईटी और सोशल मीडिया की टीम बन चुकी हैं। आईटी कार्यकर्ताओं की मंडल स्तर पर करीब 8000 दायित्ववान कार्यकर्ताओं की फौज भाजपा के जनसंपर्क अभियान में सर्वाधिक फोकस करेगा और लाभार्थियों से संपर्क पर रहेगा। बताया गया है कि इस दौरान केंद्र व यूपी के 6 करोड़ लाभार्थियों से संपर्क किया जाएगा और इन तक पार्टी के पत्र पहुंचेंगे। वहीं, महिला मोर्चा अलग से महिलाओं से संपर्क करेगी। जबकि एससी मोर्चा और पार्टी के दलित नेतागण दलित बस्तियों व मोहल्लों में चुनाव तक लगातार जनसंपर्क अभियान चलाएंगे। वहीं, पार्टी के पिछड़े चेहरों और ओबीसी मोर्चा को उनसे संपर्क की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

इसके अलावा, बीजेपी की जन विश्वास यात्रा के रथ को देखने के लिए उमड़ चुकी भीड़ को पार्टी के साथ जोड़े रखने के लिए वह अब डिजिटल रथ का सहारा लेने जा रही है। पार्टी के ऐसे रथ यूपी भर में पार्टी के प्रचार के लिए उतारे जाएंगे। गत दिनों गृहमंत्री अमित शाह ने पार्टी के प्रचार अभियान का ड्राफ़्ट तैयार करते हुए इस पर भी खुली चर्चा की थी। जिसके मुताबिक बीजेपी अब यूपी भर में अपने डिजिटल रथ उतारेगी, जो हर विधानसभा में घूमेंगे और पार्टी के पक्ष में माहौल बनाएंगे। बता दें कि वर्ष 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने इस तरह के डिजिटल प्रचार का सहारा लिया था, पर इस बार सियासी विरोधियों पर वार और खुद को प्रचार में आगे रखने के लिए उसने ये योजना बनायी है।

गौरतलब है कि भाजपा के ‘डिजिटल रथ’ वो ऑडिओ-वीडियो वाहन होंगे, जो प्रचार के लिए हर विधानसभा में घूमेंगे। इससे केंद्र और राज्य सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धियों का प्रचार किया जाएगा। इसमें हर ज़िले के स्थानीय नेता भी समय समय पर शामिल होंगे। खास बात ये है कि जिस तरह के रिकॉर्डेड कंटेंट और विजुअल इस तरह के प्रचार रथ पर चलते हैं, उसके अलावा पार्टी लाइव भाषण और नेताओं की छोटी सभा का प्रचार भी इससे कर सकती है। बताया गया है कि इस तकनीक से प्रचार में जहां डिजिटल व वर्चुअल सभा हो रही होगी, वहां के अलावा आस-पास के कई क्षेत्र में लाइव कनेक्ट बनेगा और कोविड को देखते हुए भीड़ भी ज़्यादा नहीं होगी।

जानकार बताते हैं कि डिजिटल माध्यम से प्रचार का फ़ायदा तो बीजेपी पिछले तीन चार चुनाव में उठा चुकी है। उसके टेलिफ़ोन मैसेज, ऑडियो मैसेज तो पहले से ही चुनावों में उपयोग होते रहे हैं। इसलिए अबकी बार पार्टी डिजिटल रथ के जरिए प्रचार करके अपने नेताओं की बात और पार्टी के दावों को रि-इंफ़ोर्स कर सकती है। इस मामले में लाइव प्रसारण की योजना भी पार्टी बना चुकी है।

कोविड के समय में पार्टी के लिए ये प्रचार का ऐसा तरीक़ा होगा जिसमें बड़ी संख्या में लोग न हों और रथ लोगों के बीच पहुँचे। महत्वपूर्ण ये भी है कि पार्टी अभी ‘सोच ईमानदार, काम दमदार, फिर एक बार भाजपा सरकार’ का स्लोगन हर जगह प्रयोग कर रही है। हालांकि, जल्द ही वह इन प्रचार रथों और डिजिटल माध्यम से अन्य प्रचार के लिए नया टैगलाइन भी सामने ला सकती है। इसको लेकर भी अमित शाह की मौजूदगी में चर्चा हुई, जिस पर आगे क्या क्या नया अमल होता है, देखना दिलचस्प होगा।

(वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार)

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