नई दिल्ली (New Delhi) । वेद-ग्रंथों और पुराणों में उल्लेख मिलता है कि, धरती पर जिसका भी जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है और इसे कोई बदल नहीं सकता है. लेकिन मृत्यु के बाद केवल शरीर ही नश्वर होती है और आत्मा अमर.
गरुड़ पुराण (Garuda Purana) के अनुसार, मृत्यु के बाद शरीर नष्ट हो जाता है. इसलिए उसका अंतिम संस्कार (Funeral) किया जाता है. लेकिन आत्मा अजर-अमर है, जोकि कभी नष्ट नहीं होती. बल्कि एक शरीर का त्याग कर नए शरीर में जन्म लेती है. इस बारे में गीता में उल्लेख मिलता है कि, जिस तरह मनुष्य पुराने कपड़ों का त्यागकर नए कपड़ों को धारण करता है. ठीक उसी तरह आत्मा भी व्यर्थ शरीर का त्यागकर नए भौतिक शरीर को धारण करती है.
गरुड़ पुराण में मृत्यु, आत्मा और पुनर्जन्म के इसी रहस्य (Mystery) के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है, जिसके बारे में सभी को जरूर जानना चाहिए. इसमें जन्म, मृत्यु, स्वर्ग, नरक, पुनर्जन्म, ज्ञान, धर्म आदि से संबंधित महत्वपूर्ण बातें को उल्लेख किया गया है. मृत्यु के बाद आत्मा के पुनर्जन्म या नए शरीर में जन्म लेने से जुड़े गूढ़ रहस्यों बारे में गरुड़ पुराण में बताया गया है.
मृत्यु के बाद तुरंत नहीं मिलता नया जन्म
गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा को तुरंत नया शरीर नहीं मिलता है. कुछ आत्माओं को तो सालों भटकना पड़ता है. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, मृत्यु के बाद सबसे पहले जीवात्मा के कर्मों का मूल्याकंन किया जाता है, इसके बाद ही नया जन्म निर्धारित होता है.
नए जन्म के लिए आत्मा को लग जाता है इतना समय
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, जो लोग जीवनभर अच्छे कर्म करते हैं, पुण्य का काम करते हैं, किसी का अहित नहीं करते और जरूरमंदों की सहायता करते हैं ऐसे लोगों की आत्मा को तत्काल ही नया जन्म मिल जाता है. लेकिन सभी आत्माएं तत्काल नया जन्म नहीं लेती. किसी को 3 दिन, किसी को 10 दिन, किसी को 13 दिन, किसी को सवा महीने तो किसी को सालभर का भी समय लग जाता है. यह जीवनकाल में व्यक्ति द्वारा किए कर्मों पर निर्भर करता है.
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