इंदौर। इंदौर की तरह औद्योगिक शहर पीथमपुर भी कई हफ्तों से मौसमी बीमारियों व डेंगू-बुखार की जबरदस्त चपेट में है। यहां के उद्योगों में काम करने वालों को इलाज के लिए बार-बार इंदौर आना पड़ता है। एकेवीएन से जमीन लेने के बाद आज तक कर्मचारी राज्य बीमा निगम वहां पर अस्पताल नहीं बना पाया है। इस वजह से औद्योगिक कर्मचारियों, श्रमिक-मजदूरों की सेहत, स्वास्थ्य व जिंदगी सालों से इंदौर के भरोसे है।
पीथमपुर में औद्योगिक विस्तार दिनोदिन बढ़ता ही जा रहा है। यहां 1000 हजार से ज्यादा उद्योग स्थापित हैं। यहां के कर्मचारी, श्रमिक व उद्योगपति सालों से सरकार से अस्पताल बनवाने की मांग करते आ रहे थे। आखिरकार लगभग 4 साल पहले राज्य कर्मचारी बीमा निगम ने एकेवीएन से जमीन लेते वक्त अस्पताल बनाने का ऐलान किया, मगर इसके बाद से आज तक यह अस्पताल कागजों पर ही बना पड़ा है।
एकेवीएन से ले रखी है 32000 वर्गमीटर जमीन
औद्योगिक नगरी पीथमपुर में कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा सेक्टर 3 में 100 बिस्तरों की क्षमता वाला अस्पताल बनाया जाना है। इसके लिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने एकेवीएन से 32000 वर्गमीटर जमीन ले रखी है। जमीन लिए हुए लगभग 4 साल होने जा रहे हैं, मगर अस्पताल बनाने के लिए एक ईंट भी नहीं रखी गई है। इस वजह से कर्मचारियों, श्रमिकों व उनके परिवार को इलाज के लिए इंदौर के नंदानगर स्थित बीमा अस्पताल जाना पड़ता है। इससे लोगों को परेशानी तो होती ही है, साथ ही उनका समय खराब होता है और किराए के रूप में भी पैसे खर्च करना पड़ते हैं। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में 50 हजार से ज्यादा कर्मचारी, श्रमिक-मजदूर काम करते हैं, जिनके स्वास्थ्य, सेहत की जिम्मेदारी कर्मचारी राज्य बीमा निगम पर है। कई बार तो बीमार कर्मचारी-मजदूर इलाज के लिए इंदौर आते-आते दम तोड़ देते हैं।
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