जब कोई व्यक्ति कोविड-19 जैसे लक्षणों का अनुभव करता है या उससे डायगनोज़ होता है, तो उसे सबसे पहले अपने लक्षणों को ट्रैक करना चाहिए, और कितने दिनों से वे लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि ज़्यादातर लोग वायरस के शरीर के अंदर घुसने के 2-3 दिनों बाद लक्षण विकसित करना शुरू करते हैं। संक्रमण का सबसे पहला हिस्सा होता है वायरल रिएक्शन और इसलिए ज़्यादातर लोग वायरल बुखार का अनुभव करते हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली दूसरे चरण में अपना काम शुरू करती है।
जबकि प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण को जड़ से खत्म करने के लिए प्रचंड एंटीबॉडी का उत्पादन करती है, लेकिन कई बार यह अतिरंजित हो सकता है और बीमारी के बिगड़ने का कारण बन जाता है, जो 6 या 7 दिन से शुरू हो सकता है। यही वह समय है जब कई लोगों के लिए वास्तव में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई शुरू होती है।
इस दौरान 5वें से 10वें दिन के बीच का समय वो होता है जब ज़्यादातर लोग संक्रमण के लक्षणों की ‘दूसरी लेहर’ से गुज़रते हैं। ये कई मायनों में गंभीर भी हो सकती है। वास्तव में, अब डॉक्टर देख रहे हैं कि संक्रमण के दूसरे सप्ताह को लापरवाही से लेने के बाद अधिक से अधिक लोग गंभीर लक्षणों, जैसे निमोनिया होने पर अस्पतालों का सहारा ले रहे हैं।
एक व्यक्ति को कोविड-19 से उबरने में कितना समय लगता है?
अधिकांश लोगों में लक्षणों को ख़त्म होने में एक हफ्ते से 10 दिनों का समय लगता है और उसके बाद ही वह ठीक होना शुरू होते हैं। यह आमतौर पर उन लोगों के साथ होता है जिन्हें हल्के से मध्यम रूप का संक्रमण है। वहीं, जो लोग गंभीर संक्रमण से जूझते हैं, वे 5वें से 10वें दिन तक संक्रमण से जुड़ी असली दिक्कतों का सामना करते हैं। इन दिनों में बीमारी के शुरुआती दिनों से बेहद अलग महसूस होता है। डॉक्टरों का कहना है कि कई मरीज़ लक्षणों के कम होने पर बेहतर महसूस करते हैं, लेकिन फिर उन्हें लक्षणों की दूसरी लहर से जूझना पड़ता है।
एक सप्ताह के बाद किस तरह की परेशानियां सामने आ सकती हैं?
जो लोग कोविड-19 संक्रमण से गुज़रे हैं, वो ही बता सकते हैं कि ठीक होने के दौरान किस तरह महसूस होता है। बदन में दर्द, थकान, थकावट और खांसी जैसे लक्षण लंबे समय तक बने रह सकते हैं, जबकि सांस की तकलीफ, छाती में दर्द, असुविधा, भारीपन जैसे गंभीर सांस के लक्षण बिगड़ भी सकते हैं। भ्रम, फोकस करने में दिक्कत और बेहोशी जैसे मानसिक गिरावट के लक्षण भी मौजूद हो सकते हैं।
हाइपोक्सिया- एक ऐसी गंभीर स्थिति, जहां रक्त ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है और इसते ख़तरनाक तरीके से निम्न स्तर पर गिरता है, कि किसी का ध्यान भी नहीं जाता। ऐसी समस्या का सामना दूसरे सप्ताह में करना पड़ता है।
एक अन्य लक्षण जो चिंता का कारण बन सकता है वह है बुख़ार। जबकि कोविड-19 से पीड़ित मरीज़ हल्के बुखार का अनुभव करता है, लेकिन अगर बुख़ार 9 या 10 दिन बाद भी नहीं उतरता, तो निमोनिया या रक्त संक्रमण में बदल सकता है।
ऐसे में क्या करना चाहिए?
कोविड आइसोलेशन के दौरान पूरी तरह से सावधानी बरतनी चाहिए। संक्रमण के शुरुआती दिनों में बुख़ार, पल्स, ऑक्सीजन के स्तर पर लागातर निगरानी रखनी चाहिए। जो लोग पहले से बीपी या डायबिटीज़ से पीड़ित हैं, उन्हें ब्लड शुगर स्तर और बीपी के स्तर की लगातार जांच करनी चाहिए।
सांस लेने में दिक्कत जैसे परेशानी महसूस होते ही मेडिकल सपोर्ट लें। हर मरीज़ में एक ही तरह के लक्षण नहीं दिखते हैं, इसलिए अपने शरीर की सुनें और फौरन ज़रूरी स्टेप्स ले। जो मरीज़ हाइपोक्सिया से गुज़र रहे होते हैं, उनके होंठ नीले, त्वचा पीली हो जाती है, जो इसका अहम संकेत हैं।
नोट: उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्या जानकारी के लिए हैं इन्हें किसी प्रोफेशनल डाक्टर की सलाह के रूप में न लें। कोई भी बीमारी या परेंशानी होनें पर डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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