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G20 शिखर सम्मेलन की कैसी है तैयारी, कौन से हैं मुद्दे और कौन होंगे मेहमान; जानें सबकुछ

August 22, 2023

नई दिल्ली: विश्व पटल (world map) पर सफलता के नए आयाम गढ़ता भारत (India creating dimensions) अगले महीने देश (Country) की राजधानी दिल्ली (Delhi) में G20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) का मेजबान बनने जा रहा है. यह महत्वपूर्ण समिट दिल्ली के प्रगति मैदान के नव निर्मित स्टेट ऑफ आर्ट कंवेंशन कॉप्लेक्स (Newly Built State Of Art Convention Complex) में 9 और 10 सितंबर को आयोजित होगी. जानिए इस समिट को लेकर भारत की क्या कुछ तैयारी है.

भारत वसुधैव कुटम्भकम यानी “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” की प्रेरणा के साथ अपनी अध्यक्षता में इस बैठक का आयोजन करने जा रहा है. वैसे तो पूरे भारत में G20 की बैठकें अलग-अलग राज्यों में हुई हैं. इस बैठक के बाद भारत 1 दिसंबर 2023 को G20 देशों की अधिकारिक अध्यक्षता इंडोनेशिया से लेगा.

अगले एक साल उसकी अध्यक्षता में G20 देशों की प्रगति रूपरेखा तैयार होगी. जी20 में 19 शक्तिशाली देशों के राष्ट्राध्यक्ष और यूरोपीय यूनियन शामिल है. G20 समूह समिट का विचार 1999 में आया था. जब इन समूह देशों के वित्त मंत्री और सेंट्रल बैंक के गवर्नर इंटरनेशनल अर्थव्यवस्था और वित्तीय मुद्दों पर बातचीत के लिए एक मंच पर आए थे.

कैसा है G20 का स्वरूप?
G20 में वह देश शामिल हैं, जो विश्व की आबादी का दो तिहाई हैं. विश्व व्यापार की करीब 75 परसेंट हिस्सेदारी भी इन्हीं देशों के पास है. इतना ही नहीं ग्लोबल जीडीपी की बात करें तो इन देशों की उसमें हिस्सेदारी 85 प्रतिशत है. सन् 2007 के संकट के बाद G20 को राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों के स्तर तक ले जाया गया और इसे अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच का नाम दिया गया.

भारत 1 दिसंबर को इंडोनेशिया से गृहण करेगा G20 की अध्यक्षता
आगामी 1 दिसंबर को भारत पिछले G20 ग्रुप के अध्यक्ष रहे इंडोनेशिया से अध्यक्षता गृहण करेगा. भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और वर्तमान में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था भी है. भारत की G20 की अध्यक्षता पिछले 17 राष्ट्राध्यक्षों द्वारा हासिल किए गए महत्वपूर्ण मील के पत्थरों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

प्रत्येक वर्ष होने वाले शिखर सम्मेलन का स्थान बदलता रहता है. इस बार मेजबानी भारत को मिली है. G20 का कोई स्थायी सचिवालय नहीं है. इसलिए प्रत्येक शिखर सम्मेलन को पिछले, वर्तमान और भविष्य के राष्ट्राध्यक्ष के समर्थन से आयोजित किया जाएगा. इसके समूह को ट्रोइका कहा जाता है. इस बार ट्रोइका में इंडोनेशिया, भारत और ब्राजील हैं.


क्या है G20 के एजेंडे में इस बार?
G20 अध्यक्ष शिखर सम्मेलन की मेजबानी करता है और एक वर्ष के लिए G20 एजेंडे का संचालन करता है. इस बार इसमें दो ट्रैक शामिल हैं. पहला वित्त और दूसरा शेरपा ट्रैक. वित्त ट्रैक का नेतृत्व वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों ने किया. वहीं, शेरपा ट्रैक को शेरपाओं ने लीड किया. यह वित्त ट्रैक के बाद होता है. इसके अलावा अन्य समूह भी इस बार शामिल थे. यह नागरिक समाज, सांसदों, थिंक टैंक, व्यापारियों, शोधकर्ताओं, युवाओं, श्रमिकों और महिलाओं को G20 सदस्य देशों में लाते हैं.

राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था रहेगी ऐसी
दुनिया के 20 सबसे ताकवर देशों के राष्ट्राध्यक्षों की सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रखने के साथ ट्रैफिक के लिए भी विशेष इंतजाम किए गए हैं. इसलिए राजधानी में 8 से लेकर 10 सितंबर तक सार्वजनिक अवकाश रहेगा. इन तीन दिनों तक स्कूल, कॉलेजों से लेकर ऑफिसों में भी अवकाश रहेगा. इसके अलावा वीआईपी मूवमेंट वाले स्थानों पर ट्रैफिक व्यवस्था में बदलाव रहेगा. दिल्ली में रहने वालों के लिए वैकल्पिक रास्तों की जानकारी अलग से मुहैया कराई जाएगी.

शॉपिंग मॉल भी रहेंगे बंद, बसों को किया जाएगा डायवर्ट
सुरक्षा व्यवस्था के चलते शॉपिंग मॉल और मार्केट भी बंद रहेंगे. डीटीसी की बसों को भी दूसरे रूट पर डायवर्ट किया जाएगा या फिर टर्मिनेट कर दिया जाएगा. इसके अलावा इंटरस्टेट बसों को भी बाहरी इलाकों में रोक दिया जाएगा. यूपी की तरफ से आने वाली बसों को सराय काले खां, गाजीपुर और आनंद बिहार पर ही रोक दिया जाएगा. जबकि गुड़गांव की तरफ से हरियाणा-राजस्थान से आऩे वाली बसों को रजोकरी बार्डर पर ही रोक दिया जाएगा या फिर महरौली की तरफ भेज दिया जाएगा.

मेट्रो की सुविधा जारी रहेगी
दिल्ली वासियों के लिए अच्छी बात यह है कि मेट्रो की व्यवस्था सुचारु रुप से चलती रहेगी. सिर्फ एक-दो स्टेशनों पर पाबंदी लग सकती है. पुलिस अधिकारियों ने दिल्ली वासियों से अपील की है कि वह सड़क मार्ग की जगह मेट्रो सेवा का ज्यादा इस्तेमाल करें, जिससे आपको कोई दिक्कत नहीं होगी. हालांकि सुरक्षा व्यवस्था के चलते 8 से 10 सितंबर के बीच सुप्रीम कोर्ट, खान मार्केट, मंडी हाउस, केंद्रीय सचिवालय आदि मेट्रो स्टेशनों को बंद रखा जा सकता है.

G20 समिट में ये देश होंगे मेहमान
इस बार की शिखर सम्मेलन में मेहमानों की लिस्ट में बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाईजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन, और यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई) शामिल हैं. शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आने वाले विश्वभर के दिग्गज नेताओं, गणमान्य व्यक्तियों, मिशन के स्वागत और ठहरने के लिए विदेश मंत्रालय ने कुल 35 होटलों को बुक किया है.

इन होटलों में ठहरेंगे मेहमान
दुनिया के शीर्ष गणमान्य व्यक्तियों की मेजबानी के लिए फाइव स्टॉर होटलों में व्यवस्था की गई है. इनमें ताज महल, शांगरी-ला, मौर्या शेरेटन, ताज पैलेस, ली मेरिडियन, ओबेरॉय और लीला होटल शामिल हैं. सभी होटल अपने सेवा मानकों के अलावा भी अपनी भोजन व्यवस्था में और भी सुधार कर रहे हैं. इसके अलावा कई अस्पताल भी कुछ विशेष भर्तियां इस शिखर सम्मेलन के मद्देनजर कर रहे हैं.

विश्व के एजेंडे को भारत तय करेगा
भारत की कूटनीति इस समय सफल चल रही है. भारत पश्चिमी देशों और रूस दोनों के साथ संतुलित संबंध बनाकर चल रहा है. इस समय भारत की नीति वैश्विक मंच पर नेतृत्व की भूमिका की ओर बढ़ रही है. G20 मंच की अध्यक्षता उसे वैश्विक एजेंडा तय करने की दिशा में मजबूत कदम साबित होगी.

दुनिया में इस समय अस्थिरता की स्थित बनी हुई है. ऐसी परिस्थियों में भारत G20 की अध्यक्षता की जिम्मेदारी निभा रहा है. भारत के पास बड़ी सोच के साथ बेहतर नतीजे देने की क्षमता है. दुनिया के अधिकांश देश भारत से वैश्विक चुनौतियों से निपटने में पहल की आस लगाए बैठे हैं.

ये ताकतवर देश हैं G20 के सदस्य
यूरोपीय यूनियन को हटाकर G20 में 19 शक्तिशाली देश शामिल हैं. इसमें प्रमुख रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको, अर्जेंटीना, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, भारत, इंडोनेशिया, रूस, तुर्की, फ्रांस, जर्मनी, इटली, यूके, सऊदी अरब और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं.

60 शहरों में 200 से ज्यादा मीटिंग
भारत की अध्यक्षता में इस साल G20 की 200 से अधिक मीटिंग होनी थीं. इनके लिए 60 शहर मेजबान बनाए गए थे. इन बैठकों में 13 शेरपा, ट्रैकिंग वर्किंग ग्रुप, 8 आर्थिक ट्रैक वर्कस्ट्रीम, 11 इंगेजेंट ग्रुप और 4 इनिशिएटिव्स ने सकारात्मक बातचीत की है. अब तक कुल 110 देशों के 12,300 प्रतिनिधि G20 की बैठकों में हिस्सा ले चुके हैं. इनमें कुछ आमंत्रित देश भी शामिल थे. जबकि 14 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने भी शिरकत की थी.

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