नई दिल्ली: बीजेपी (BJP) में संगठन के स्तर पर फेरबदल की तैयारियां शुरू हो गई हैं. नए साल 2025 (new year 2025) के जनवरी या फरवरी में बीजेपी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष (New National President) मिल सकता है. इससे पहले पार्टी के संविधान के मुताबिक बीजेपी को कम से कम 50 फीसदी राज्यों में संगठन के चुनाव पूरे कराने होंगे. इसके साथ ही 15 जनवरी तक महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, यूपी, गुजरात, बंगाल, जम्मू-कश्मीर और झारखंड में प्रदेश अध्यक्षों में भी बदलाव किया जाएगा.
भाजपा का पूरा संगठन सात भागों में विभाजित है. इसमें राष्ट्रीय स्तर से लेकर स्थानीय स्तर तक विभाजन किया गया है. राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय परिषद और राष्ट्रीय कार्यकारिणी होती है. ऐसे ही प्रदेश स्तर पर प्रदेश परिषद और प्रदेश कार्यकारिणी होती है. इसके अलावा क्षेत्रीय समितियां, जिला और मंडल समितियां होती हैं. ग्राम और शहरी केंद्र होते हैं. फिर पांच हजार से कम जनसंख्या पर स्थानीय समिति गठित की जाती है.
18 फरवरी 2024 को दिल्ली में बीजेपी का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ था. इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति पर एक प्रस्ताव पास किया गया था. इसके अनुसार, पद खाली होने पर पार्लियामेंट्री बोर्ड पार्टी अध्यक्ष की नियुक्ति कर सकेगा. इसके अलावा पार्टी के संविधान की धारा-19 में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. इसके मुताबिक पार्टी की राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषदों के सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष को चुनते हैं. यह चुनाव पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा बनाए गए नियमों के मुताबिक होता है.
पार्टी के संविधान की धारा-20 के तहत राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अध्यक्ष और अधिकतम 120 सदस्य हो सकते हैं. इनमें कम से कम 40 महिलाएं और 12 अनुसूचित जाति/जनजाति के सदस्य होते हैं. इन सबको मनोनीत करने का जिम्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष का होता है. इनके अलावा अध्यक्ष ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों में से अधिकतम 13 उपाध्यक्ष, नौ महामंत्री, एक महामंत्री (संगठन), अधिकतम 15 मंत्री और एक कोषाध्यक्ष को मनोनीत करते हैं. इन पदाधिकारियों में से कम से कम 13 महिलाएं चुनी जाती हैं. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में से प्रत्येक वर्ग में से कम से कम तीन पदाधिकारियों का चुनाव अध्यक्ष करते हैं.
कार्यकारिणी का सदस्य होने के लिए जरूरी है कि कम से कम तीन कार्यकाल तक संबंधित पदाधिकारी पार्टी का सक्रिय सदस्य रहा हो. हालांकि, खास परिस्थिति में राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिकतम 15 सदस्यों को इस शर्त से छूट भी दे सकता है. जरूरत पड़ने पर राष्ट्रीय अध्यक्ष संगठन महामंत्री की सहायता के लिए संगठन मंत्रियों की नियुक्ति भी कर सकता है. साथ ही प्रदेश अध्यक्षों को भी ऐसी नियुक्तियों के लिए अनुमति दे सकता है. जरूरत होने पर बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष दो या ज्यादा राज्यों के संगठन कार्य के लिए क्षेत्रीय संगठन मंत्रियों की नियुक्त्ति भी करते हैं. इसके अलावा राज्य अध्यक्ष को प्रदेश स्तर पर दो या अधिक जिलों के लिए विभाग या संभाग संगठन मंत्रियो की नियुक्ति की अनुमति देते हैं.
नियमों के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपनी कार्यसमिति में 25 प्रतिशत नए सदस्यों को स्थान देना होता है. राष्ट्रीय कार्यकारणी में स्थायी आमंत्रित पदेन सदस्य तो होते ही हैं, इनके अतिरिक्त विशेष आमंत्रित सदस्य होते हैं, जिनकी संख्या 30 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती. बीजेपी अध्यक्ष ही पार्टी का सर्वेसर्वा होता है और पार्टी के पूर्ण अधिवेशन की अध्यक्षता करता है. पार्टी को एक बनाए रखने की चुनौती राष्ट्रीय अध्यक्ष के कंधों पर होती है. इसलिए आमतौर पर ऐसे अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है, जो सर्वमान्य हो. अब तक बीजेपी के सभी अध्यक्ष निर्विरोध ही चुने गए हैं.
चुनाव के दौरान पार्टी के प्रत्याशियों के चयन में पार्टी अध्यक्ष की अहम भूमिका होती है. संगठन में अलग-अलग स्तर से मिलने वाली रिपोर्ट के अनुसार पार्टी की नीति के अनुसार अध्यक्ष की सहमति से ही पार्टी के उम्मीदवार घोषित किए जाते हैं. पार्टी के राज्य अध्यक्षों के कंधों पर अपने-अपने राज्यों में पार्टी के संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी होती है. राज्य स्तर पर संगठन के निर्माण और विधानसभा व स्थानीय निकाल चुनाव के लिए उम्मीदवार चुनने में भी यह अहम भूमिका अदा करते हैं.
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