मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर के चर्चित किडनी काण्ड की पीड़िता सुनीता आज भी जीवन मौत से जूझ रही है. सुनीता डायलीसिस के सहारे SKMCH में जिंदगी काट रही है और उनकी उम्मीदें अब टूटने लगी हैं. वहीं इन सब के बीच सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैला कि सुनीता के पति ने भी उसका साथ छोड़ दिया,सुनीता से बात की तो उन्होंने बताया कि ये सब गलत अफवाह फैलाया गया है.
बता दें कि बरियारपुर ओपी क्षेत्र में एक फर्जी डॉक्टर द्वारा सुनीता नाम की महिला का गर्भाशय के ऑपरेशन के दौरान दोनों किडनी निकाल दी है. वहीं सुनीता की मां तेतरी देवी ने बताया कि बेटी जिंदगी मौत से जूझ रही है, लेकिन किडनी की व्यवस्था नहीं हो पा रही है. उन्होंने बताया कि पहले खुद किडनी देने की बात कही थी, लेकिन वह भी संभव होता नहीं दिख रहा है.
किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन प्रोफेसर अमित गुप्ता कहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति की दोनों किडनियां नहीं है, तो वह तब तक जिंदा रह सकता है. जब तक कि उसका डायलिसिस होता रहे. बिना डायलिसिस के जीना संभव नहीं है. हालांकि डायलिसिस से कितने दिन तक मरीज जिंदा रहेगा ये बताना मुश्किल है.
अगर किसी व्यक्ति के शरीर में दोनों किडनियां नहीं हैं तो उसके शरीर से जहर या अपशिष्ट पदार्थ बाहर नहीं निकल पाएगा. शरीर में सूजन आएगी, जी मिचलाएगा, उल्टी आएगी, भूख नहीं लगेगी, सांस फूलेगी लेकिन अगर डायलिसिस होता रहेगा तो ये दिक्कतें कुछ कम होंगी और मरीज सर्वाइव कर पाएगा.
किडनी निकालने और लगाने के लिए होते हैं बहुत सारे टेस्ट
अमित गुप्ता कहते हैं कि जब भी किसी मरीज की किडनी ली जाती है या दूसरे को लगाई जाती है तो उसके लिए पूरा एक प्रोसेस होता है. किडनी डोनर की खून, पेशाब की जांच, अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, इम्म्यूनोलोजिकल टेस्ट्स आदि होते हैं. वहीं किडनी लेने वाले की भी जांचें होती हैं क्योंकि अगर डोनेट की हुई किडनी मैच नहीं करती या रिसीवर को सूट नहीं करती तो उसका कोई फायदा ही नहीं है.
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