नई दिल्ली: ‘हमारा खून खौल रहा है. कश्मीर को हम पाकिस्तान का हिस्सा बनाकर रहेंगे.’ ये बयान शहबाज शरीफ का है, जो उन्होंने अप्रैल 2018 में एक चुनावी रैली में दिया था. शहबाज शरीफ ने जब ये बयान दिया था, तब वो पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) की ओर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे. इस एक बयान से समझा जा सकता है कि शहबाज का भारत के प्रति किस तरह का नजरिया है.
शहबाज शरीफ अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने वाले हैं. कश्मीर को लेकर शहबाज अक्सर बातचीत की हिमायत करते रहे हैं. इस बार भी इमरान सरकार गिरने के बाद शहबाज शरीफ ने कहा, ‘हम भारत के साथ शांति चाहते हैं, लेकिन कश्मीर मुद्दे के समाधान के बिना शांति संभव नहीं है.’
पाकिस्तान में हाल ही में जो सियासी बदलाव हुआ है, उसका भारत पर भी असर पड़ने की संभावना है. उसकी एक वजह ये है कि पाकिस्तान एक ऐसा पड़ोसी मुल्क है जो शांति की बात तो करता है, लेकिन शांति बनाने की कोशिश नहीं करता. भारत का साफ कहना है कि जब तक आतंकवाद पर बात नहीं होगी, तब तक कश्मीर पर भी कोई बात नहीं होगी. हालांकि, शहबाज शरीफ तो क्या, पाकिस्तान का कोई भी नेता आतंकवाद के मुद्दे पर बात करना नहीं चाहता.
फरवरी 2014 में शहबाज शरीफ ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान दोनों जगह की सुरक्षा एजेंसियां भारत-पाकिस्तान में ट्रेड डील में सबसे बड़ा ‘रोड़ा’ है. उनका कहना था कि जब तक दोनों देशों के बीच ‘आर्थिक सुरक्षा’ नहीं होगी, तब तक आम सुरक्षा भी नहीं हो सकती.
शहबाज शरीफ के पुराने बयान इस ओर इशारा करते हैं कि वो भारत से दोस्ती करना तो चाहते हैं, लेकिन कश्मीर को लेकर उनका रवैया अच्छा नहीं है. इमरान खान की सरकार में भारत और पाकिस्तान के संबंध और बिगड़ गए थे, क्योंकि इमरान लगातार कश्मीर मुद्दा उठाते रहे थे. शहबाज शरीफ भी इसी तरह के हैं. वो कश्मीर मुद्दा उठाने का कोई मौका नहीं गंवाते.
जून 2018 में सिंगापुर में अमेरिका के तब के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की मुलाकात हुई थी. इस मुलाकात को भी शहबाज शरीफ ने भारत-पाकिस्तान से जोड़ दिया था. उस समय शहबाज ने ट्वीट कर कहा, ‘अगर अमेरिका और उत्तर कोरिया परमाणु हमले की कगार से वापस लौट सकते हैं तो ऐसा कोई कारण नहीं है कि भारत और पाकिस्तान ऐसा नहीं कर सकते.’ उन्होंने कश्मीर पर बातचीत करने का मुद्दा उठाया था.
ब्लेम गेम बंद करें और बातचीत हो
ये बात स्पष्ट है कि पाकिस्तान की धरती पर आतंकवादी खुलेआम जी रहे हैं. भारत अक्सर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इस मुद्दे को उठाता रहा है कि पाकिस्तान की धरती पर आतंकवादी हैं और वो भारत के खिलाफ काम करते हैं. पाकिस्तान का कोई भी नेता इस बात को नहीं मानता, लेकिन शहबाज शरीफ तो उल्टा भारत पर भी आरोप लगा देते हैं.
एक बार शहबाज शरीफ ने कहा था कि भारत में भी कुछ कट्टरपंथी समूह हैं, जो शांति प्रयासों का विरोध करते हैं. उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का नाम लेते हुए कहा था कि संघ हमेशा पाकिस्तान के खिलाफ रहा है. शरीफ ने ये भी इल्जाम लगाया था कि बलूचिस्तान में अलगाववादियों को भारत समर्थन करता है और इस बात के उनके पास पक्के सबूत हैं. उन्होंने कहा था कि दोनों देशों को ब्लेम गेम बंद करना चाहिए और एक क्लियर-कट एजेंडा पर आगे बढ़ना चाहिए.
दोनों पंजाब साथ मिलकर काम करें
शहबाज शरीफ पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के तीन बार मुख्यमंत्री रहे हैं. वो अक्सर पाकिस्तानी पंजाब और भारतीय पंजाब के साथ मिलकर काम करने की बात करते रहे हैं. दिसंबर 2013 में शहबाज शरीफ भारत दौरे पर आए थे. तब उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात भी की थी.
2017 में दोनों पंजाब और उत्तर भारत में धुंध की समस्या चल रही थी, तब शहबाज शरीफ ने पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को एक चिट्ठी लिखी थी. इसमें उन्होंने स्मॉग की समस्या और प्रदूषण के मुद्दे से निपटने के लिए एक मैकेनिजम बनाने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि दोनों प्रांतों के लोगों के भविष्य के लिए हमें साथ आना चाहिए.
हाफिज सईद के संगठन को करोड़ों रुपये दिए थे
शहबाज शरीफ और मुंबई हमले के मास्टरमाइंड आतंकी हाफिज सईद के बीच दोस्ताना संबंध भी हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 में शहबाज शरीफ ने हाफिज सईद को करोड़ों रुपये की मदद की थी. उस समय शहबाज पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री थे. उन्होंने हाफिज के आतंकी संगठन जमात-उद-दावा से जुड़े मरकज-ए-तैयबा को 6.1 करोड़ रुपये दिए थे.
लेकिन चीन ने इमरान से बेहतर दोस्त माना
पाकिस्तान में सत्ता बदलते ही चीन के सुर भी बदल गए हैं. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि इमरान खान की तुलना में शहबाज शरीफ के कार्यकाल में चीन और पाकिस्तान के रिश्ते और बेहतर हो सकते हैं. ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि पाकिस्तान में आंतरिक सत्ता परिवर्तन का चीन और पाकिस्तान के रिश्तों पर असर नहीं पड़ेगा.
अखबार ने लिखा, इमरान खान के उत्तराधिकारी उस शरीफ परिवार से आते हैं जिसने हमेशा से चीन-पाकिस्तान के मजबूत रिश्तों का समर्थन किया है. ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, इमरान खान के समय जिस तरह से दोनों देशों के रिश्ते थे, उससे कहीं ज्यादा बेहतर शरीफ के समय हो सकते हैं.
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