कोरोना (corona) के कहर को रोकने के लिए दुनिया भर में वैक्सीनेशन अभियान पर जोर दिया जा रहा है। भारत में करीब 44 करोड़ लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक डोज मिल चुकी है। लेकिन सबसे बड़ी चिंता यह है कि वैक्सीन अभियान तेज करने के बावजूद कोरोना का संक्रमण (corona infection) रुक नहीं रहा है। ऐसे में दुनिया भर में विशेषज्ञ लोगों को चेता रहे हैं कि मास्क लगाकर बाहर निकलें। पर कई विशेषज्ञ इस बात को लेकर बंटे हुए हैं कि कोरोना वैक्सीन की पूरी खुराक लेने के बाद मास्क लगाना चाहिए या नहीं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जून 2021 के अंत में लोगों से फिर से घर के अंदर भी मास्क पहनने का आग्रह किया है। WHO ने यह भी कहा है कि जो लोग वैक्सीन की दोनों खुराक ले चुके हैं, वे भी बाहर निकलते समय मास्क जरूर लगाएं। हालांकि इस सलाह पर कई देशों में कोई निर्णय नहीं लिया गया।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में संक्रामक रोग विशेषज्ञ पीटर चिन-होंग ने कहा है कि इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि पूर्ण टीकाकरण के बाद भी कोविड-19 का संक्रमण हो सकता है। सीडीसी इन आंकड़ों का बारीकी से अध्ययन कर रहा है। इसलिए एहतियातन लोगों को मास्क लगाने चाहिए। हालांकि दोनों खुराक लेने वालों के लिए मास्क लगाने से संबंधित कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं हुए हैं।
पहली खुराक वाले को डेल्टा वेरिएंट से खतरा
अमेरिका में 18 साल से ऊपर 60 प्रतिशत आबादी को पूरी तरह से टीका लगाया जा चुका है। पर डेल्टा वेरिएंट को लेकर सबको संदेह है। प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता है कि डेल्टा जैसे वेरिएंट के बढ़ने से उन लोगों में संक्रमण की आशंका बढ़ सकती है, जिन्होंने वैक्सीन की पहली खुराक ली है। उदाहरण के लिए एक अध्ययन में पाया गया कि फाइजर वैक्सीन की एक खुराक में डेल्टा संस्करण के मुकाबले लक्षण वाले रोग के खिलाफ सिर्फ 34 प्रतिशत की प्रभावशीलता थी जबकि पुराने अल्फा संस्करण में यह 51 प्रतिशत थी।
दूसरी ओर स्कॉटलैंड और कई अन्य देशों के आंकड़ों के अनुसार दो खुराक के बाद फाइजर वैक्सीन डेल्टा संस्करण के खिलाफ मजबूत सुरक्षा प्रदान करती है। कनाडा और इंग्लैंड के प्रारंभिक अध्ययनों में शोधकर्ताओं ने अल्फा संस्करण के खिलाफ 93 प्रतिशत और डेल्टा संस्करण के खिलाफ 88 प्रतिशत प्रभावशीलता देखी गई।
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