नई दिल्ली (New Delhi)। देश की सबसे ताकतवर मानी जाने वाली महिला इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने फिरोज गांधी (Firoz Gandhi) को टूटकर चाहा था, लेकिन जब उन्हें लगने लगा कि वह उनसे बेवफाई कर रहे हैं तो दूरियां बढ़ती चली गईं। इंदिरा एक प्यार करने वाला पति और सुखी परिवार चाहती थीं। यही उन्हें नहीं मिला। अगर फिरोज बेवफाई (Firoz infidelity) नहीं करते तो इंदिरा शायद ही राजनीति की ओर मुड़तीं. तब शायद भारतीय राजनीति में उनके कदमों के निशान ऐसे नहीं होते जो हमें नजर आते हैं।
इंदिरा का बचपन इलाहाबाद में बीता था. पिता जवाहर लाल नेहरू उनमें अपना बेटा देखते थे. वह उनकी हर मांग पूरी करते थे. एक ही बार उन्होंने अपनी बेटी की इच्छा का विरोध किया था, बल्कि कहना चाहिए खासे नाराज भी हुए. बेटी अपने प्यार पर अड़ी. वो अपने प्यार से शादी करना चाहती थी और उसने करके भी दिखाया।
सादगीभरी जिंदगी बिताना चाहती थीं
इंदिरा गांधी की जीवनी लेखिका पुपुल जयकर के अनुसार, “इंदिरा जब फिरोज के प्रेम में पड़ीं तो वह राजनीति की चकाचौंध से दूर होकर शादी करना और सादगीभरी जिंदगी बिताना चाहती थीं, जिसमें वह और उनका परिवार हो.”
“शादी के बाद जब दूरियां बढने लगीं तो इंदिरा ने राजनीति में शिरकत करनी शुरू कर दी. इसने फिरोज के साथ उनके मतभेदों को और बढ़ा दिया. इंदिरा अगर एक ओर पति की बेवफाई से निराश थीं तो उनके पिता नेहरू भी फिरोज को पसंद नहीं करते थे. स्थितियां बनती गईं कि दोनों का विवाहित जीवन करीब करीब खत्म सा ही हो गया.”
जब फिरोज मोहित हो गए
फिरोज का इलाहाबाद के आनंद भवन में प्रवेश जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला की मदद के लिए एक वालिंटियर के रूप में हुआ था. जब कमला बीमार हुईं और आनंद भवन में थीं तब इंदिरा ने जिस तरह नर्स के रूप में मां की सेवा की, उससे फिरोज बहुत प्रभावित हो गए. इंदिरा सुंदर तो थीं ही, उनमें गजब का आकर्षण भी था.
पुपुल जयकर ने अपनी किताब में लिखा, “तब फिरोज ने इंदिरा की ओर ध्यान देना शुरू किया. वह उनके आगे-पीछे मंडराने लगे. वह मौका देखने लगे कि इंदिरा के करीब कैसे रह सकते हैं. हालांकि इंदिरा को उस समय ये सब पसंद नहीं था.”
इंदिरा अवाक रह गईं
जवाहरलाल नेहरू के विशेष सचिव एमओ मथाई अपनी किताब “रिमिनिसेंसेज ऑफ द नेहरू एज” में लिखते हैं, “इंदिरा ने उन्हें बताया कि जब वह 16 साल की होने वाली थीं, उससे पहले ही एक दिन फिरोज ने उनके सामने प्रेम निवेदन किया. शादी का प्रस्ताव रख दिया. इंदिरा अवाक रह गईं. उन्हें फिरोज से ये उम्मीद नहीं थी. उन्होंने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया. मां से शिकायत अलग कर दी. कमला भी जानकर नाराज हुईं. हालांकि इसके बाद भी फिरोज का आनंद भवन आना जाना लगा रहा.
लंदन में जीता इंदिरा का दिल
इंदिरा को पढाई के लिए लंदन भेज दिया गया. वह वहां अकेली थीं. दूसरे विश्व युद्ध से पहले लंदन में अलग तरह का माहौल था. फिरोज भी कुछ समय बाद लंदन रवाना हो गए. वहां उन्होंने भी लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में दाखिला ले लिया. मकसद उनका केवल इतना था कि वहां वो इंदिरा के नजदीक आ पाएंगे. इसमें उन्हें सफलता भी मिली.
आखिरकार उन्होंने लंदन में इंदिरा का दिल जीत लिया. फिरोज के मित्र और जाने माने पत्रकार निखिल चक्रवर्ती ने अपनी किताब में लिखा, “फिरोज महिलाओं के प्रति आकर्षित हो जाते थे. लंदन में बेशक इंदिरा से नजदीकियां बढा रहे थे, लेकिन वहां भी उनके अफेयर कई महिलाओं से हो चुके थे. इंदिरा को इसकी भनक तक नहीं थी.”
क्या उन्होंने गुप्त विवाह कर लिया था
कैथरीन फ्रेंक ने अपनी किताब “इंदिराः द लाइफ ऑफ इंदिरा नेहरू गांधी” में लिखती हैं, “इंदिरा और फिरोज ने गुप्त विवाह कर लिया था. सार्वजनिक विवाह होने से पहले ही दोनों ने पति और पत्नी की तरह साथ रहना शुरू कर दिया था. जब इंदिरा ने पिता से कहा कि उन्हें फिरोज से प्यार है. वह उनसे शादी करना चाहती हैं तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया था. नेहरू और उनका परिवार इस शादी के सख्त खिलाफ था.”
मथाई की किताब कहती है, ” पद्मजा नायडू ने नेहरू से कहा, उनकी बेटी बड़ी हो चुकी है. अगर दोनों ने शादी करनी चाही तो वह उसे रोक नहीं पाएंगे, लिहाजा अनुमति दे देनी चाहिए. नेहरू ने अनिच्छा से अनुमति दे दी.”
शादी के जल्द बाद खटपट शुरू हो गई
शादी के जल्द बाद ही इंदिरा और फिरोज में खटपट शुरू हो गई. साल 1941 में जब वह गर्भवती थीं. राजीव गांधी का जन्म होने वाला था तो उन्हें पता लगा कि फिरोज किसी और महिला से इनवाल्व हैं. उनके कानों में फिरोज के अफेयर के एक नहीं कई किस्सों की खबरें पहुंच रही थीं. वह दुखी हो गईं.
कैथरीन फ्रेंक की किताब “इंदिराः द लाइफ ऑफ इंदिरा नेहरू गांधी” कहती है, “फिरोज बिंदास जिंदगी जीने में यकीन रखते थे.” किताब के अनुसार, “इंदिरा से शादी के बाद भी फिरोज दूसरी महिलाओं से फ्लर्ट करते थे. महमूना सुल्तान के अलावा उनके रोमांटिक रिश्ते संसद की ग्लैमर गर्ल कही जाने वाली तारकेश्वरी सिन्हा, सांसद सुभद्रा जोशी से रहे. उनकी एक और गर्लफ्रेंड थी, जो खूबसूरत नेपाली तलाकशुदा महिला थी और आलइंडिया रेडियो में काम करती थी. उसके ससुराल पक्ष के लोग केरल के बड़े अभिजात्य परिवार से थे.”
जर्मन शिक्षक से जब कहती थीं दिल की बातें
हालांकि इंदिरा गांधी के जीवन में फिरोज पहले शख्स नहीं थे. जब वह पुणे में मैट्रिक करने के बाद शांतिनिकेतन में पढने गईं थीं तो फ्रेंच पढाने वाले जर्मन शिक्षक फ्रेंक ओबरडॉफ उनके प्यार में पड़ गए. पुपुल जयकर ने “इंदिरा गांधी बॉयोग्राफी” में लिखा, ” ओबरडॉफ 1933 में शांतिनिकेतन आए थे. उनकी रविंद्रनाथ टैगोर से मुलाकात 1922 में लातीन अमेरिका में हुई थी. टैगोर ने उन्हें शांतिनिकेतन आने का प्रस्ताव दिया. जब उन्होंने इंदिरा को फ्रेंच पढानी शुरू की तो वह 16 साल की थीं. इंदिरा को पढाते-पढाते वह उनकी सुंदरता पर मोहित हो गए. प्यार का प्रस्ताव रखा. इंदिरा खफा हो गईं. हालांकि समय के साथ उनमें नजदीकियां हो गईं. इंदिरा के अपने दर्द थे. उसे वो जर्मन शिक्षक से बांटती थीं. फ्रेंक उनकी सुंदरता की तारीफ करते रहते थे.”
“जब टैगोर को ये पता चला तो उन्होंने इंदिरा को तुरंत वापस घर भेज दिया. बाद में फ्रेंक की मुलाकात लंदन में इंदिरा से हुई. उन्होंने फिर इंदिरा को मनाने की कोशिश की लेकिन तब तक उनके जीवन में फिरोज का आगमन हो चुका था. लिहाजा वो फ्रेंक से रुखाई से पेश आईं.”
शादी के जल्द बाद ही इंदिरा और फिरोज में खटपट शुरू हो गई
कैथरीन फ्रेंक अपनी किताब में लिखती हैं, ” इंदिरा के जीवन में बाद में दो और पुरुष आए. इनमें धीरेंद्र ब्रह्मचारी और दिनेश सिंह शामिल थे. इंदिरा ने अपनी विश्वस्त डोरोथी नार्मन को धीरेंद्र के बारे में लिखा, वह आकर्षक योगी हैं, जिनसे वह योग सीख रही हैं. दिनेश पर भी वह बहुत भरोसा करती हैं. प्रधानमंत्री हाउस में उनका बेरोकटोक किसी भी समय आना जाना था.” फ्रेंक लिखती हैं कि इंदिरा से अफेयर की चर्चाओं को शायद दिनेश सिंह ने खुद ही हवा दी.
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Murali Karthik Birthday : मुरली कार्तिक मना रहे अपना 47वां जन्मदिन
नई दिल्ली। भारत के पूर्व स्पिनर मुरली कार्तिक आज अपना 47 वां जन्मदिन मना रहे है। मुरली ने पांच साल पहले क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया था। मुरली ने क्रिकेट से जुड़े रहने के लिए कॉमेंटेटर बनने का सोचा और वो इसी में काम करने लगे। मुरली कार्तिक का जन्म 11 सितंबर 1976 को चेन्नई में हुआ था। मुरली ने 2000 से 2007 तक भारतीय टीम में गेंदबाजी की है। अपने करियर के दौरान 8 टेस्ट और 37 वनडे मैचों में 24 टेस्ट में और वनडे में 37 विकेट लिए हैं।
भारत के पूर्व स्पिनर मुरली कार्तिक ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनकी मां नहीं चाहती थीं कि वे क्रिकेटर बनें। माँ बस यह चाहती थीं कि मुरली ज्यादा से ज्यादा पढ़-लिखकर इंजीनियर बन जाएं, हालांकि, मुरली के पिता उन्हें क्रिकेट के लिए सपोर्ट करते थे. मुरली को भी क्रिकेट में रूचि थी लिहाजा वो क्रिकेटर बने।
कार्तिक ने भारत के लिए 2000 से 2007 के बीच भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया था उस समय भारतीय टीम में दो दिग्गज स्पिनर अनिल कुंबले और हरभजन सिंह मौजूद थे, और यही कारण रहा की उनको टीम में ज्यादा मौके नहीं मिल पाए। अंतरराष्ट्रीय करियर में कार्तिक ने सिर्फ दो बार मैन ऑफ द मैच का खिताब हासिल किया है. एक बार वनडे और एक बार टेस्ट में. ये दोनों मैन ऑफ़ द मैच उनको ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिले थे और संयोग की बात ये है की दोनों बार उन्हें मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में ही यह अवॉर्ड मिला।
राष्ट्रीय टीम में उल्लेखनीय वापसी- बहुमुखी स्पिनर ने 2000 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत में पदार्पण किया, लेकिन कभी भी टीम में अपनी जगह स्थायी नहीं बना पाए। हालाँकि, उन्होंने 2007 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एकदिवसीय श्रृंखला में असाधारण वापसी की। उनके आर्थिक जादू ने भारत को एक प्रमुख ऑस्ट्रेलियाई पक्ष के खिलाफ जीत हासिल करने में मदद की। उसी श्रृंखला में, कार्तिक ने 6/27 का अपना सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी आंकड़ा दर्ज किया।
आईपीएल करियर- हालाँकि बाएं हाथ का स्पिनर कभी भी भारतीय टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा नहीं था, लेकिन वह कई आईपीएल टीमों का एक प्रमुख सदस्य था। कार्तिक कोलकाता नाइट राइडर्स, पुणे वॉरियर्स, किंग्स इलेवन पंजाब और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए खेले।
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