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    Delta Variants के सामने कितनी कारगर हैं Vaccine, जानें क्या कहती है नई स्टडी

  • September 09, 2021

    नई दिल्ली। चीन के वुहान में कोरोना के आउटब्रेक (Wuhan Covid Outbreak) के कुछ ही समय बाद दुनियाभर ( around the world) में वैक्सीन (Vaccines) की तलाश शुरू हो गई थी. अगस्त 2020 में सबसे पहले रूस ने अपनी कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक की घोषणा की थी. इसके बाद कई कोरोना वैक्सीन दुनियाभर में एक के बाद एक आती गईं. वैक्सीनेशन कार्यक्रम भी शुरू हो गए. लेकिन कोविड-19 के नए वैरिएंट्स (New Variants) ने वैक्सीन की क्षमता को लेकर संदेह भी पैदा किया।

    भारत में कोरोना की दूसरी लहर का मुख्य कारक रहा डेल्टा वैरिएंट (Delta Variants) अब दुनियाभर में तबाही मचा रहा है. इस वैरिएंट पर मौजूदा वैक्सीन के प्रभाव को लेकर रिसर्च जारी है. प्रतिष्ठित साइंस जर्नल नेचर की एक नई स्टडी में इस वैरिएंट की संक्रामक क्षमता को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. इस स्टडी का कहना है कि डेल्टा वैरिएंट इंसानी प्रतिरोधक क्षमता समेत वैक्सीन को भी चकमा देने में कई गुना अधिक सक्षम है।


    नेचर की ये स्टडी एक इंटरनेशनल टीम ने की है जिनमें कई भारतीय संस्थानों के भी रिसर्चर शामिल हैं. ये स्टडी भारत से इकट्ठा किए गए डेटा पर आधारित है जो बीते मई महीने तक के हैं।

    स्टडी में क्या आया सामने
    स्टडी में सामने आया है कि अगर किसी व्यक्ति को कोरोना संक्रमण हो चुका है तब भी उसमें डेल्टा वैरिएंट से संक्रमण का खतरा 6 गुना तक अधिक है. वहीं वैक्सीन द्वारा शरीर में भेजी गई एंटीबॉडी को चकमा देने का खतरा 8 गुना अधिक है. डेल्टा वैरिएंट की ये तुलना कोरोना के वुहान वैरिएंट के साथ की गई है. मतलब है कि वैक्सीनेशन करवा चुके लोगों में शुरुआती वुहान स्ट्रेन की तुलना में डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित होने का खतरा 8 गुना ज्यादा है।

    फाइज़र और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन पर अध्ययन
    इस स्टडी में मुख्य तौर पर फाइज़र और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को लेकर अध्ययन किया गया है. साथ ही स्टडी में यह भी पाया गया है कि डेल्टा वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन ज्यादा घातक हैं और इनमें खुद की संख्या बढ़ाने की क्षमता भी कहीं ज्यादा है. यानी न सिर्फ ये संक्रामक ज्यादा है बल्कि शरीर में तेजी के साथ फैल भी सकता है।

    ब्रेकथ्रू इंफेक्शन पर भी शोध
    स्टडी में दिल्ली के अस्पतालों में काम करने वाले 130 हेल्थ केयर वर्कर्स में हुए ब्रेकथ्रू इंफेक्शन की भी स्टडी की गई है. सामने आया कि डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन का प्रभाव कम है. ब्रेकथ्रू संक्रमण यानी जब किसी को वैक्सीन लगने के दो हफ्ते के बाद कोविड-19 का संक्रमण हो जाता है. ये संक्रमण वैसे तो काफी हल्के स्तर का होता है लेकिन अन्य संक्रमण की तरह इसके साइड इफेक्ट हो सकते हैं।

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