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    निगम को रजिस्ट्रियां शून्य करने के अधिकार कैसे, कोर्ट ने पूछा

  • August 28, 2021


    मामला श्रीराम बिल्डर्स की भवन अनुज्ञा के साथ विक्रय लेख निष्प्रभावी करने का… हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
    इंदौर। न्याय नगर गृह निर्माण संस्था (Nyay Nagar Home Construction Society) की जमीन को लेकर पिछले दिनों सहकारिता विभाग (Cooperative Department) ने जहां विक्रय की दी गई अनुमति को वापस लिया था उस पर भी हालांकि हाईकोर्ट (High Court) ने स्टे दे दिया। उसी तरह श्रीराम बिल्डर्स की भवन अनुज्ञा स्थगित करने के साथ ही निगम ने पिछले दिनों तीनों विक्रय लेख भी निष्प्रभावी, अवैध (Illegal) और शून्य अपने आदेश में बता दिए, जिसके चलते श्रीराम बिल्डर्स (Shriram Builders) ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कल हाईकोर्ट (High Court) ने इस मामले में निगमायुक्त को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट (High Court) में याचिकाकर्ता के वकील ने यह सवाल उठाया कि निगम को रजिस्ट्रियां शून्य करने के अधिकार कैसे हासिल हो गए, जबकि यह अधिकार सिविल कोर्ट को ही हैं। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अभिभाषक एके सेठी और नितिन फडके ने पैरवी की, तो शासन की ओर से विवेक दलाल ने तर्क रखे।
    गृह निर्माण संस्थाओं (Home Building Institutions) के खिलाफ शासन-प्रशासन ने जो अभियान चला रखा है, उसके चलते न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण संस्था की जांच-पड़ताल भी चल रही है। वहीं न्याय नगर एक्सटेंशन (Nyay Nagar Extension) में वर्षों पहले तीन विक्रय लेखों यानी रजिस्ट्रियों के चलते श्रीराम बिल्डर्स (Shriram Builders) ने जमीन हासिल की। हालांकि सहकारिता विभाग ने भी संस्था को जमीन बेचने की अनुमति दी और फिर प्राधिकरण की योजना 171 से भी इस जमीन को मुक्त किया गया। शासन आदेश और बोर्ड संकल्प के साथ हाईकोर्ट (High Court) और सुप्रीम कोर्ट से भी श्रीराम बिल्डर्स के पक्ष में ही फैसले हुए, लेकिन अभी चल रही मुहिम के चलते पहले सहकारिता विभाग ने जमीन बेचने की दी गई अनुमति को वापस ले लिया। उसके खिलाफ भी हालांकि श्रीराम बिल्डर्स (Shriram Builders) ने पिछले दिनों स्टे हासिल कर लिया। वहीं अभी नगर निगम ने 13 अगस्त को 3.194 हेक्टेयर जमीन पर जारी की गई भवन अनुज्ञा को भी स्थगित कर दिया। निगमायुक्त श्रीमती प्रतिभा पाल (Corporation Commissioner Smt. Pratibha Pal ) द्वारा जारी इस आदेश में कहा गया कि न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण संस्था की न्याय नगर एक्सटेंशन अवैध कालोनी है और उसमें श्रीराम बिल्डर्स द्वारा बताए गए तीनों स्वत्व लेख दिनांक 31.03.2003 में उल्लेखित ग्राम खजराना की सर्वे नम्बर 66/2, 73/4/2, 74, 75/3, 83/2 और 84/2 की जमीन म्युन्सीपल कार्पोरेशन एक्ट की धारा 292-ई से शासित है। लिहाजा तीनों विक्रय लेख का स्वामित्व 136 भूखंड स्वामियों का है और संस्था ने विक्रय लेखों में उल्लेखित भूमियों का स्वामित्व होने संबंधी असत्य और कूटरचित विवरण लिखा, जिसके चलते तीनों विक्रय लेख यानी रजिस्ट्रियां निष्प्रभावी, अवैध और शून्य हैं। उसके साथ भवन अनुज्ञा भी प्रतिसंहत कर ली गई। इसके खिलाफ श्रीराम बिल्डर्स ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और कल न्यायमूर्ति विवेक रुसिया ने निगमायुक्त को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ता के अभिभाषकों ने यह सवाल उठाया कि निगम को रजिस्ट्रियां शून्य करने का अधिकार ही नहीं है।

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