भोपाल। प्रदेश सरकार द्वारा दी गई सहुलियतों, कई बार शुल्क दर में कमी करने के बाद भी प्रदेश की आधे से अधिक मंडियां घाटे में चल रही हैं। वर्तमान में प्रदेश की मंडियों से होने वाली आय 14 फीसदी तक घटी है। इसकी एक वजह यह है कि प्रदेश की अधिकांश मंडियों में सचिव ही नहीं है। जानकारी के अनुसार प्रदेश में ‘ए’ से ‘डी’ श्रेणी की 259 कृषि उपज मंडियां हैं, लेकिन इनमें 220 स्थानों पर मंडी सचिव के पद रिक्त हैं। ऐसे में प्रभार और प्रतिनियुक्ति से प्रशासनिक व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं। सचिवों के नहीं होने पर कई स्थानीय विधायकों ने मंडियों के कामकाज प्रभावित होने को लेकर सरकार का ध्यान खींचा है। राज्य शासन का खजाना भरने में आगे रहे मप्र राज्य कृषि विपणन संघ (मंडी बोर्ड) पिछले तीन साल से कमाई में पिछडऩे लगा है। औसत तौर पर 259 मंडियों में 150 मंडिया घाटे में चली गई हैं। ज्यादातर ए श्रेणी की मंडियों में आय प्रभावित हुई है जबकि चतुर्थ श्रेणी के कई मंडियों ने रिकार्ड तोड़ आय बढ़ाई है। जब इसकी पड़ताल की गई तो यह तथ्य सामने आया कि अधिकांश मंडियों में सचिव ही नहीं हैं। इस कारण मंडियों का कामकाज प्रभावित हो रहा है।
ऐसा है मंडियों में सचिवों का गणित
राज्य मंडी बोर्ड की जानकारी के अनुसार ‘अ’ श्रेणी की 39, ‘ब’ श्रेणी की 42, ‘स’ की 56 और ‘ई’ श्रेणी की 122 मंडियां हैं। प्रदेश की कृषि उपज मंडी समितियों में मंडी सचिवों के रिक्त 220 पदों में सीधी भर्ती के 46 और पदोन्नति के 174 पद शामिल हैं। ‘अ’ श्रेणी के सचिव के सीधी भर्ती के 5 और पदोन्नति के 20 पद हैं। जिसमें से पदोन्नति पद के विरुद्ध प्रतिनियुक्ति पद पर सिर्फ दो अधिकारी कार्यरत हैं। सचिव के ‘ब’ श्रेणी के सीधी भर्ती के एक भी पद नहीं है जबकि पदोन्नति के 73 पद हैं। जिसमें से पदोन्नति पद के विरुद्ध प्रतिनियुक्ति पद पर एक कर्मचारी कार्यरत है। ‘स’ श्रेणी के सीधी भर्ती के 41 और पदोन्नति के 81 पद हैं, जिसमें से पदोन्नति पद के विरुद्ध प्रतिनियुक्ति पद पर 12 कार्यरत हैं। राज्य मंत्री बोर्ड सेवा में मंडी सचिव के अतिरिक्त सीधी भर्ती के अन्तर्गत अन्य 25 संवर्गों में 391 पद तथा पदोन्नति के अन्तर्गत 39 संवर्गों में 896 के पद रिक्त हैं।
मंडी सचिव नहीं होने से ये काम प्रभावित
मंडी सचिव नहीं होने से मंडियों के कई कामों पर असर पड़ता है। जानकारी के अनुसार 168 मंडियों के शौचालय के संचालन और रखरखाव ठीक से नहीं हो रहा। मंडी पर्ची 37ए की और गेट पास काटे जाने में गड़बड़ी हो रही है। मंडी परिसर में निर्माण एवं विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। मंडी टैक्स की चोरी की संभावना और व्यापारियों से सांठगांठ की आशंका बढ़ गई है। कृषि उत्पादन बढऩे से क्षेत्रीय कृषि उपज क्रय-विक्रय केंद्रों की आवश्यकताएं बढ़ रही हैं। मंडी बोर्ड के अपर संचालक एसबी सिंह का कहना है कि मंडियों में सचिवों के पदस्थ रहने से प्रशासनिक व्यवस्था बनी रहती है। लेकिन, यह नहीं कहा जा सकता है मंडी शुल्क और आवक में असर पड़ रहा है। यह तय है कि जो व्यापारी किसान का सामान खरीदेगा, उसका मंडी टैक्स चुकाएगा। जहां गड़बड़ी शिकायतें मिलती हैं, वहां कार्रवाई करते हैं। सर्वोच्च न्यायालय में मामला होने से पदोन्नति में रोक है। नईभर्ती करने के लिए पीईबी के संपर्क में हैं, कार्रवाई चल रही है।
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