जबलपुर। यूं तो भ्रष्टाचार सर्वत्र व्याप्त है। एक तरह से भ्रष्टाचार शिष्टाचार हो गया है। ऐसे-ऐसे घोटाले, काण्ड एवं भ्रष्टाचार के किस्से उद्घाटित हो रहे हैं जिन्हें सुनकर एवं देखकर शर्मसार हो जाते हैं। समानांतर काली अर्थव्यवस्था इतनी प्रभावी है कि वह कुछ भी बदल सकती है, बना सकती है और मिटा सकती है। भ्रष्टाचार का रास्ता चिकना ही नहीं, ढालू भी है। यही कारण है कि इसमें परिवहन, शिक्षा एवं चिकित्सा के क्षेत्र को भी नहीं बख्शा है। हमारा नेतृत्व को संभालने वाले हाथ दागदार हैं इसलिए वे इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई करते हुए दिखाई नहीं देते।।। ऐसा ही मामला शहर का इस समय चर्चाओं में हैं जिसकी बात पूरे देश में चल रही है। पाठक समझ ही गए होंगे हमारा इशारा एआरटीओ संतोष पाल को लेकर है । संतोष पाल भ्रष्टाचार की ऐसी दीमक जिसने सारे सिस्टम को खोखला कर दिया।एक ऐसी सड़ांध जिसके भ्रष्टाचार की बदबू पूरे शहर में फैल गई। पान की दुकान से,कांग्रेस की राजनीति , सट्टे का काम, एल.आई.सी की नौकरी , फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्राप्त कर पी.एस.सी में सेलेक्शन के बाद परिवहन विभाग में संतोष ने नौकरी प्राप्त की। हर वसूली के लिए पाल ने अलग अलग कटर रखें है जो कि संतोष पाल के लिए वसूली का कार्य करते थे। कहते हैं सज्जू,राम , नितिन के एक वक्त खाने के लाले पड़े होते हैं । संतोष पाल के संरक्षण मिलने से इनकी जिंदगी ही बदल गईं। साथ ही नगर सैनिक भूपेंद्र विश्वकर्मा के भी ऐसे जलवे थे । ऐसे कई पालतू कटर जिनकी कहानी विस्तार से ही टाइम्स में पाठकों के समक्ष लाई गई है। वैसे तो संतोष जैसे और भी कई भ्रष्टाचारी है जो भ्रष्टाचार दबा कर रहे हैं और जो नहीं कर पाते । एक हास्यास्पद व्यंग्य में कहा गया कि जिन्हें यह खुशी नसीब नहीं, वो किस्मत को, सरकार को और भ्रष्टाचार को कोसते हैं और गमजदा रहते हैं। अपनी भड़ास निकालने के माध्यम तलाशते हैं, सहारे ढूंढते हैं। लेख लिखते हैं, भाषण करते हैं, किंतु देश की हालत वही-की-वही। नेताओं के भाषण तो चुनावी और स्वार्थी होते हैं, लेकिन ज्ञानी-ध्यानी व विद्वानों के प्रवचनों से लगता है कि जनता सुधर जाएगी, मगर पांडाल छोड़ते ही काल सिर पर चढ़ जाता है।
कभी संभालता था पान की दुकान
आगा चौक जगदीश मंदिर के पास जन्मे संतोष पाल की जिंदगानी कुछ इस प्रकार की ही है कि पड़ोसी बताते हैं कि गरीब परिवार से संतोष पाल जो की पिछडा वर्ग जाति में जन्मे थे ,पहले इनके परिवार की पान की दुकान थी। जिसे वह संभालते थे एवं पढाई करते थे फिर इनका जब कॉलेज में एडमिशन हुआ तो वह छात्र राजनीति से जुड़कर पुराने कांग्रेस के नेताओ के छर्रे बनकर आगा चौक में चोरी छिपे सट्टे का काम करने लगे। फिर इनकी नौकरी एल. आई. सी मे लगी जिसके बाद ये एल आई सी मे लिपिक के पद पर काम करते थे, तभी इनकी मुलाकात श्रीमती रेखा पॉल से हुई जो क्रिस्चन धर्म से थीं। बहुत वर्ष जबलपुर कटनी अप डाउन साथ में किया । इसके बाद दोनो ने विवाह रचा लिया। तभी फायदे का सौदा देख संतोष पाल ने अपना धर्म परिवर्तन किया एवं पाल से पॉल बन गए। जिसके बाद उन्होंने अपना जाति प्रमाण पत्र एससी/एसटी का बनवा लिया। उसके बाद उन्होंने पढाई तो की लेकिन सामान्य वर्ग एवं पिछडा वर्ग के काबिल छात्रों को पछाड़ कर उन्होंने अनुसूचित जाति के कोटे से पी.एस.सी क्लीयर कर ली। सूत्र बताते है की जब रेखा पॉल आगा चौक स्थित लर्निंग लाइसेंस शाखा में पदस्थ थी तब संतोष पॉल उनकी घूस की रकम खुद एजेंटो से लिया करते थे। घूस की रकम इतनी मन भाई की आर टी ओ बनकर खुले आम लूट की।
बर्खास्त नगर सैनिक भूपेन्द्र विश्वकर्मा को भी पाल ने पाला
आरटीओ कार्यालय में वाइट कलर की एक्सयूवी बड़ी ही प्रसिद्ध है। चारों तरफ कांच में ब्लैक फिल्म लगी हुई है। जब आरटीओ कार्यालय में यह एक्सयूवी प्रवेश करती थी तो मानो ऐसा लगता था कि कोई बड़ा अधिकारी इस एक्सयूवी में बैठ कर आ रहा है आसपास के लोगों से जब इस एक्सयूवी में बैठे व्यक्ति की चर्चा की गई तो पता चला कि यह एक्सयूवी चलाने वाला व्यक्ति बर्खास्त नगर सैनिक भूपेंद्र विश्वकर्मा है जो कि एक आम्र्स एक्ट का आरोपी भी रह चुका है। कई बार इसका ट्रांसफर शहर से दूसरी जगह किया गया था, परंतु आरटीओ साहब जहां-जहां जाते थे वहां भूपेंद्र को अपने साथ ले जाते थे । जलवे ऐसे कि भूपेन्द्र स्वयं ही अपने आपको आरटीओ से कम नहीं समझता। बहुत सारी वसूली का कार्य भूपेंद्र द्वारा भी किया जाता था । आम्र्स एक्ट का आरोपी होने के बाद नगर सैनिक के पद से भूपेंद्र को अलग कर दिया गया जिसके बाद आरटीओ साहब संतोष पाल ने प्राइवेट रूप में उसे अपने साथ रख लिया परंतु भूपेंद्र अपने आप को पूरे परिसर में नगर सैनिक ही बताता था ।
केंद्रीय परिवहन मंत्री गड़करी ने एक माह पूर्व ही चेताया था
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आरटीओ द्वारा की जा रही वसूली की बात पर ध्यान देने को कहा था । गडकरी ने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री से कहा कि मध्यप्रदेश के आरटीओ अधिकारी एवं कर्मीयों व्दारा चेक पोस्ट एन्ट्री के लिए बड़े पैमाने पर हो रही रिश्वतखोरी के बारे में इस निवेदन द्वारा विदित किया गया है। एन्ट्री चेक पोस्ट पर गाड़ी के सारे कागजात ठिक पाए जाने पर और गाडी अंडरलोड पाई जाने पर किसी भी प्रकार की एन्ट्री भरने का प्रावधान नहीं है। फिर भी ट्रक ड्रायवर्स एवं मालिकों को परेशान किया जाता है। मंत्री द्वारा पत्र में आगे लिखा कि मैने इससे पहले भी आपको इस विषय में ध्यान देने की प्रार्थना की थी। लेकिन इस समस्या का कोई भी हल अभी तक नहीं निकला है जिसकी वजह से मध्यप्रदेश का नाम खराब हो रहा है। इस निवेदन द्वारा उजागर किए गए मुद्दो के बारे में संज्ञान लेकर संबंधित अधिकारियों को आपके व्दारा निर्देश दिए जाने की जरुरत है।
सज्जू खुद को आरटीओ से कम नहीं समझता
पूर्व मे ऑनलाइन की दुकान चलाने वाले सज्जू खान जो की फिटनेस प्रभारी के रूप मे काम कर रहा है। जिसके घर मे खाने के लाले हुआ करते थे वो आज लाखो के आसामी है। हाथीताल कॉलोनी मे अपना निवास ले चुका है सूत्र बताते है की रोब इतना है कि गाड़ी किसी अन्य जिले में है और सज्जू मोबाइल में फोटो लेकर बिना गाड़ी बुलाए वाहन का फिटनेस कर देता है। आर टी ओ के फिटनेस ग्राउंड मे सज्जू खान स्वयं आर टी ओ का पॉवर रखता है।
सटोरी राम गुप्ता फ्लाईंग स्क्वाड का नकली थाना प्रभारी
एम पी पी एस सी की तैयारी करने वाला घमापुर क्षेत्र में सट्टे खिलाने वाले परिवार में जन्मे राम गुप्ता इस समय टी आई बंनकर खुले आम आर टी ओ के उडऩ दस्ते में घूमता है। सूत्र बताते है की उसकी काली कमाई इतनी है कि वैशाली परिसर में उसका अलीशान मकान बनवा रहा है । सट्टे का काम भी इसके द्वारा किया जाता है । वाहन चेकिंग करने के लिए उडऩ दस्ता सुबह 3 बजे निकलता है एवं 9 बजे सुबह वापिस आ जाता है जिसमें राम गुप्ता अधिकारी बनकर लाखो रुपये कमा कर संतोष पाल को देता है।
नितिन पाल का सबसे खास कटर
नितिन एक सफाई कर्मी है जिसने अपने पिता की जगह प्राप्त की है। इसकी पोस्टिंग सिवनी में है, लेकिन जहां भी संतोष पॉल पोस्टिंग लेता है वहा इसको ले जाता है। सूत्र बताते है कि नितिन संतोष का सबसे खास कटर है। संतोष पाल के गैर मौजूदगी मे वह स्वयं हस्ताक्षर कर देता है।
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