नई दिल्ली। गणेश चतुर्थी(Ganesh Chaturthi ) यानि गौरी पुत्र गजानन का जन्मोत्सव 31 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा. गणपति बप्पा (ganpati bappa) की पूजा से बुद्धि, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है जो गणेश उत्सव में बप्पा की सच्चे मन से आराधना करता है उसका बेड़ा पार हो जाता है. गणपति की उपासना से सारे सकंट खत्म हो जाते हैं.
इस साल गणपति स्थापना का मुहूर्त सुबह 11 बजकर 05 से दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक है. गणपति के जन्म की कथा तो काफी प्रचलित है लेकिन क्या आप जानते गणपति के दो विवाह क्यों हुए? कौन है उनके पुत्र और पोते. आइए जानते हैं गणपति के परिवार के बारे में.
क्यों हुए गणपति के दो विवाह ?
पौराणकि कथा (mythology) के अनुसार एक बार गणेश जी को तपस्या में लीन देखकर तुलसी जी उन पर मोहित हो गईं. तुलसी जी ने गणपति के सामने शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन गणेश जी ने खुद को ब्रह्मचारी बताते हुए शादी करने से इनकार कर दिया. गणपति की बात सुनकर तुलसी जी क्रोधित हो गईं और उन्होंने गजानन को श्राप दे दिया कि तुम्हारे दो विवाह होंगे.
कैसे रिद्धि-सिद्धि बनी गणपति की पत्नी ? (Lord Ganesh marriage story)
एक दूसरी कथा के मुताबिक भगवान गणेश(Lord Ganesha) की शरीर की बनावट के चलते उनसे कोई शादी करने को तैयार नहीं था. गणपति देवी-देवताओं के विवाह में विघ्न डालने लगे. गणपति के इस व्यवहार के चलते देवतागण अपनी परेशानी लेकर ब्रह्माजी के पास पहुंचे. ब्रह्माजी ने अपनी दो मानस पुत्रियों रिद्धि और सिद्धि को गणेश जी से शिक्षा लेने के लिए उनके पास भेज दिया. जब गणेश जी के समक्ष किसी के विवाह की सूचना पहुंचती,रिद्धि और सिद्धि उनका ध्यान भटका देती. सभी विवाह बिना विघ्न के संपन्न हो गए, लेकिन जब इस बात का पता गणेश जी को लगा तो वो रिद्धि और सिद्धि पर क्रोधित होकर उन्हें श्राप देने लगें. तब ब्रह्मा जी ने गणपति के सामने रिद्धि-सिद्धि से विवाह का प्रस्ताव रखा. गणेश जी ने इसे स्वीकार कर लिया. इस तरह गणपति की दो पत्नियां हुईं. गणपति की रिद्धि-सिद्धि से दो संतान हुई, जिनका नाम शुभ और लाभ रखा गया. पौराणक मान्यताओं के अनुसार गणेश जी को आमोद और प्रमोद दो पोते हैं.
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