राजगढ़: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Former Chief Minister Digvijay Singh) को राजगढ़ संसदीय सीट (Rajgarh Parliamentary Seat) से हार का सामना करना पड़ा है. लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा क्षेत्रों में से दिग्विजय सिंह को दो पर जीत, जबकि 6 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है. खास बात यह है कि दिग्विजय सिंह अपने बेटे जयवर्धन सिंह के विधानसभा क्षेत्र राघोगढ़ से चुनाव जीत गए हैं. दूसरी तरफ दिग्विजय सिंह को अपने भाई लक्ष्मण सिंह की चाचौड़ा विधानसभा से चुनाव हार गए हैं.
बता दें, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राजगढ़ संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी थे. उनके सामने बीजेपी ने तीसरी बार रोडमल नागर पर विश्वास जताया था. चुनावी प्रचार के दौरान पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने मतदाताओं से आखिरी चुनाव का हवाला देते हुए भावनात्मक अपील भी की थी. इसके बावजूद दिग्विजय सिंह चुनाव जीत नहीं सके हैं. दिग्विजय सिंह को राजगढ़ संसदीय क्षेत्र की राघोगढ़, खिलचीपुर और सुसनेर विधानसभा से अच्छी खासी लीड मिलने की उम्मीद थी, लेकिन तीनों ही विधानसभाओं ने दिग्विजय सिंह को निराश कर दिया हैं.
लोकसभा चुनाव में राजगढ़ संसदीय सीट पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठनबंधन हो गया था. इस सीट पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन काम नहीं आया. आप नेता ममता मीना ने कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह के समर्थन में प्रचार प्रसार भी किया, इसके बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिली. राघोगढ़ विधानसभा क्षेत्र दिग्विजय सिंह के परिवार का गढ़ हैं. इस सीट से दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह वर्तमान में विधायक हैं. लोकसभा चुनाव में राघोगढ़ के वोटर्स ने भी दिग्विजय सिंह को निराश किया है. जिस लीड की उम्मीद की जा रही थी, वह लीड नहीं मिल सकी है.
राघोगढ़ से दिग्विजय सिंह को महज 4505 वोटों की ही लीड मिली, दूसरी ओर चाचौड़ा विधानसभा ने भी दिग्विजय सिंह को निराश किया है. चाचौड़ा सीट से दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह विधायक रह चुके हैं. चाचौड़ा सीट से दिग्विजय सिंह 61570 वोटों से हार गए हैं. जबकि खास बात यह है कि आप नेता ममता मीना का भी चाचौड़ा से ही विधायक रहीं हैं. राजगढ़ संसदीय सीट में 8 विधानसभा शामिल हैं. जिनमें सुसनेर, राघोगढ़, खिलचीपुर, ब्यावरा, राजगढ़, नरसिंहगढ़, सारंगपुर और चाचौड़ा शामिल है.
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