नई दिल्ली (New Delhi)। महरौली में मस्जिद गिराने की घटना (Mosque demolition incident in Mehrauli) को लेकर हुआ विवाद अभी तक शांत भी नहीं हुआ था कि देश की राजधानी में दो और बड़ी घटनाएं सामने आ गई हैं. दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण को डकैती के समान बताते हुए दिल्ली नगर निगम (MCD) से निगरानी बनाए रखने के लिए ड्रोन और उपग्रह से मिलने वाली तस्वीरों और अन्य तकनीक का उपयोग करने को कहा है. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने केंद्र द्वारा संरक्षित स्मारकों निजामुद्दीन की बावली और बाराखंभा मकबरे के पास अनधिकृत निर्माण पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि अधिकारियों द्वारा ‘कर्तव्य निर्वहन में गंभीर चूक’ की गई, जिन्होंने पुलिस और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सूचना मिलने के बावजूद कदम नहीं उठाया.
अदालत एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) जामिया अरबिया निजामिया वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उक्त याचिका में दावा किया गया था कि बावली गेट के पास खसरा संख्या 556 जियारत गेस्टहाउस, पुलिस बूथ के पास हजरत निजामुद्दीन दरगाह पर अवैध और अनधिकृत निर्माण किया जा रहा है. जस्टिस मनमोहन ने कहा कि न तो एमसीडी और न ही दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने अनधिकृत निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की, जो कि पहले से ही सील किए गए एक गेस्टहाउस की ऊपरी मंजिल पर हुआ है. जिसका निर्माण स्मारकों के पास डीडीए की जमीन पर अवैध रूप से किया गया था. उन्होंने कहा कि दोनों प्राधिकारियों के बीच कुछ गड़बड़ है.
अवैध कब्जा कर निर्माण का दुस्साहस कैसे हुआ?
अदालत ने गेस्टहाउस के मालिक से भी सवाल किया कि पहले से ही सील की गई संपत्ति पर तीन मंजिलों का निर्माण करने का उसका दुस्साहस कैसे हुआ. अदालत ने कहा, ‘वह कानून अपने हाथ में ले रहा है. लोगों को लगेगा कि कोई कानून नहीं है…और किसी कानून का पालन करने की जरूरत नहीं है. अदालत ने सुनवाई के दौरान मौजूद एमसीडी अधिकारी को फाइल देखने के बाद बृहस्पतिवार को भी पेश होने को कहा. अदालत ने संबंधित डीडीए अधिकारी को पेश होने के लिए भी कहा है. एमसीडी के अधिकारी ने कहा कि इस मामले में डीडीए और एमसीडी दोनों को कार्रवाई करनी चाहिए थी. अदालत ने कहा, ‘इन अधिकारियों के खिलाफ कुछ कार्रवाई की जानी चाहिए. ये चीजें किसी के समर्थन के बिना नहीं हो सकतीं. यदि समर्थन नहीं है, तो मिलीभगत की कोई रणनीति अपनाई गई है.’
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